डॉक्टर ने डेड घोषित कर थमा दी थी बॉडी, अर्थी पर लिटाते ही चलने लगी सांस
ग्वालियर,24 नवंबर (इ खबरटुडे)।माधव डिस्पेंसरी के सामने सहयोग अस्पताल में भर्ती एक मरीज को डॉक्टरों ने शुक्रवार की सुबह डेथ घोषित कर दिया। परिजनों ने गलत इंजेक्शन लगाने से मौत का आरोप लगाते हुए हंगामा कर दिया। मौके पर पुलिस पहुंची और समझाबुझाकर डेडबॉडी लेकर परिजनों को रवाना किया। घर पहुंचकर जब मृतक को अर्थी पर लेटाया जाने लगा कि सांस चलने लगी। परिजन आनन फानन वृद्ध को लेकर जयारोग्य अस्पताल पहुंचे, जहां उनका इलाज चल रहा है।
यह था मामला…
हरी सिंह राजपूत पिता मूलराम राजपूत उम्र 60 साल निवासी शब्द प्रताप आश्रम को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। परिजनों ने दो दिन पहले वृद्ध को सहयोग अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मरीज की हालत में भी काफी हद तक सुधार आया था। सुबह उनको डिस्चार्ज करने की कह दिया गया था। गुरूवार को सुबह पौने छह बजे स्टाफ ने एक इंजेक्शन हरी सिंह को लगाया था। इसके बाद उनकी हालत बिगड़ना शुरू हो गई। जब मरीज को गर्मी लगने लगी तो परिजनों ने डॉक्टर को बताया, कोई कुछ समझता इससे पहले ही उल्टी और मुंह से झाग निकलना शुरू हो गए। परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर ने मरीज को मृत घोषित करते हुए डेडबॉडी लेकर जाने की कह दिया। परिजनों ने जब हंगामा शुरू किया और पुलिस मौके पर पहुंच गई तो दिखावे के लिए आईसीयू में शिफ्ट करके वेंटिलेटर पर रख दिया गया। मृतक के पुत्र लक्ष्मीनारायण राजपूत का आरोप है कि गलत इंजेक्शन के कारण मौत हुई और अस्पताल प्रबंधन ने कार्रवाई के डर से वेंटिलेटर पर रखकर पुलिस को गुमराह किया।
रोते में गले लगाया तो सांस चलती महसूस हुई
परिजन जब डेडबॉडी लेकर पहुंचे तो दाह संस्कार की तैयारी शुरू हो गई। अर्थी तैयार हो चुकी थी, परिजन बिलख-बिलखकर रो रहे थे। अर्थी पर लेटाते समय रोते में परिजन ने गले लगाया तो सांस चलती महसूस हुई। जब डॉक्टर को बुलाकर चैक कराया तो वृद्ध जीवित था। इसके बाद परिजन तुरंत वृद्ध को जयारोग्य अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां उनका इलाज चल रहा है।
क्या कहता है अस्पताल प्रबंधन
सहयोग अस्पताल प्रबंधन के मुताबिक मरीज को गुरूवार को ही भर्ती किया गया था। उसका एसजीओटी, एसजीपीटी काफी बढ़ा हुआ था। लीवर पूरी तरह से डेमेज हो चुका था। फिर भी उसको बचाने की पूरी कोशिश की गई थी। मरीज को सुबह मोनोसेफ एंटीबायोटिक इंजेक्शन लगाया गया था। परिजनों को बताया गया लेकिन वह समझने को तैयार ही नहीं है।