ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ ग्वालियर में कांग्रेस के लिए इस बार भी राह आसान नहीं
ग्वालियर,23 नवंबर (इ खबरटुडे)। मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया का गढ़ माने जाने वाले ग्वालियर में आजकल चुनाव प्रचार जोरों पर है. लेकिन पिछले विधान सभा चुनाव में इसी गढ़ में बीजेपी ने अच्छी ख़ासी सेंध लगा दी थी. बीजेपी के हौसले इस बार भी बुलंद हैं. ऐसे में ये सवाल उठना लाज़िमी है कि सिंधिया की छत्रछाया में चुनाव प्रचार में जुटी कांग्रेस के पास इस बार ऐसा कौन सा तुरुप का पत्ता है जिससे वह अपनी सीटें बचा सके.ग्वालियर सीट से बीजेपी के कद्दावर नेता जयभान सिंह पवय्या ‘डोर टू डोर’ चुनाव प्रचार कर रहे हैं. पिछली बार ये सीट जीत कर मंत्री बने थे. लेकिन रामजन्म भूमि मुद्दे से जुड़े जयभान पवय्या को राम का भरोसा कम और विकास का ज्यादा है. पवय्या का कहना है, ‘देखिए न हम राम लहर पैदा करना चाहते हैं और न राम की लहर है हमारा मेन एजेंडा विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ना है.
ग्वालियर विधानसभा क्षेत्र में करीब सवा लाख मतदाता हैं. इनमें कोली समाज के 45 हजार मतदाता भी हैं. इसीलिए बीजेपी शिवपाल कोली जैसे रुठे कार्यकर्ताओं को मनाकर संगठन से जोड़ रही है ताकि जयभान पवैय्या की डगर आसान हो सके. शिवपाल कोली का कहना है, मैं पिछली बार निर्दलीय चुनाव लड़े थे लेकिन पंद्रह दिन पहले बीजेपी में शामिल होकर काम कर रहा हूं.
गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव में ग्वालियर की छह सीटों में चार पर बीजेपी और दो पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी लेकिन इस बार कांग्रेस को ये समीकरण बदलते दिख रहे हैं और कार्यकर्ता उत्साह से लबरेज़ हैं. जयभान पवय्या जैसे बीजेपी के हैवीवेट उम्मीदवार को हराने के लिए कांग्रेस के प्रद्युम्न सिंह तोमर भी अपना सियासी वजन तौल रहे हैं. वो कहते हैं कि जनता के मुद्दे पर वो 21 बार जेल जा चुके हैं. वे कहते हैं, ‘मुझ पर लूट का मामला नहीं दर्ज है बल्कि इस सरकार ने मुझे 21 बार जेल भेजा है।
पानी और बिजली के मुद्दे पर देल गया हूं’. ग्वालियर में साफ पानी, सड़क और बेरोजगारी मुख्य मुद्दा है. जेसी मिल सहित 84 फीसदी उद्योग बंद हो चुके हैं. जिसके आधार पर कांग्रेस बीजेपी को घेरने में जुटी है. लेकिन बीजेपी अपने जमीनी कार्यकर्ताओं के दम पर जनता को भरोसे में लेने की कोशिश कर रही है.