जगन्नाथ यात्रा पर SC में सुनवाई, केंद्र ने कहा- सार्वजनिक भागीदारी के बिना दे सकते हैं मंजूरी
नई दिल्ली,22 जून (इ खबरटुडे)। देश में कोरोना वायरस (Covid Pandemic) के खतरे को देखते हुए ओडिशा में भगवान जगन्नाथ (Puri Jagannath Rath Yatra) की रथ यात्रा पर रोक लगाई गई है. इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में कई याचिकाएं दायर की गई हैं. सोमवार को इन पर सुनवाई हो रही है. इस मामले में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए इसे सार्वजनिक भागीदारी के बिना आयोजित किया जा सकता है.
केंद्र ने और क्या कहा?
केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, ‘सदियों की परंपरा को रोका नहीं जा सकता, क्योंकि यह करोड़ों लोगों की आस्था की बात है. अगर भगवान जगन्नाथ 23 जून को नहीं आएंगे, तो वे परंपराओं के अनुसार 12 साल तक नहीं आ सकते हैं. यह सुनिश्चित करने के लिए कि महामारी ना फैले, सावधानी बरतते हुए राज्य सरकार एक दिन के लिए कर्फ्यू लगा सकती है.’
तुषार मेहता ने कहा, ‘शंकराचार्य द्वारा तय किए गए अनुष्ठानों में वो सभी सेवायत भाग ले सकते हैं, जिनका कोरोना टेस्ट नेगेटिव है. लोग जगन्नाथ यात्रा को टीवी पर लाइव टेलीकास्ट देख सकते हैं और भगवान का आशीर्वाद ले सकते हैं.’ सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि पुरी के राजा और मंदिर समिति इन अनुष्ठानों की व्यवस्था की देखरेख कर सकते हैं, ताकि कोरोना महामारी को फैलने से रोका जा सके.
दरअसल, पुरी से लोकसभा चुनाव लड़ चुके बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा (Sambit Patra) ने अनुरोध किया है कि वह कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर पुरी की भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा पर रोक लगाने वाले अपने आदेश की समीक्षा करे. याचिका में कहा गया है कि भगवान जगन्नाथ के उन 800 सेवायतों के माध्यम से भक्तों की मंडली के बिना रथ यात्रा आयोजित करने की अनुमति दी जा सकती है, जो सेवायत कोविड टेस्ट में निगेटिव आते हैं.
पुरी में भगवान जगन्नाथ (Puri Jagannath Rath Yatra) रथयात्रा पर रोक के खिलाफ 20 से ज्यादा याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हुई है. यह रथयात्रा 23 जून से शुरू होनी है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ओडिशा सरकार ने भी कहा था कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर इस साल पुरी में रथ यात्रा नहीं आयोजित होगी. मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की आपातकालीन बैठक में ये फैसला लिया गया था.