November 14, 2024

चुनावी चकल्लस 12/ भारी निराशा लेकर लौटे मनोरंजन की तलाश में पंहुचे लोग,पंजा पार्टी में पदों की बंदरबांट

– तुषार कोठारी

रतलाम,25 नवंबर। मनोरंजन की तलाश में धानमण्डी पंहुचे रतलामी बन्दों को कल भारी निराशा हाथ लगी। सब के सब बडी उम्मीद लेकर गए थे। चुनावी मनोरंजन मिले लम्बा अरसा भी हो चुका था। पांच साल पहले पिछले चुनाव में लोगों को थोडा बहुत मनोरंजन हासिल हुआ था। दादा तब निर्दलीय थे। मनोरंजन कम हुआ था,इसलिए लोगों ने दादा की जमानत ही जब्त करवा दी थी।
इस बार टिकट नहीं मिलने से दुखी दादा,राजा के मनाने के बाद आखरी समय में राजी हुए थे। लोगों को फिर भी उम्मीद थी कि दादा की सभा होगी,तो इस नीरस चुनाव में थोडा तो मजा आएगा। वैसे दादा की सभा को लेकर सब के अलग अलग विचार थे। पंजा पार्टी वालों को उम्मीद थी कि दादा कोई बडा धमाका कर देंगे,तो हालत थोडी सुधर जाएगी। इसी का नतीजा था कि धानमण्डी पर बडे इंतजाम किए गए थे। दो-दो एलईडी स्क्रीन लगाए गए थे,ताकि सभी लोगों को दादा की नौटंकी का पूरा मजा मिल सके।
ऐसा नहीं है कि दादा ने नौटंकी कम की। नौटंकी तो उन्होने बहुत की लेकिन आधे अधूरे मन से की,इसलिए इसका कोई खास मजा नहीं आया। नए नए प्रयोग भी देखने को मिले। भाषण के साथ फिल्मी गीतों की जुगलबन्दी जमाई गई। मंच पर डांसर भी खडे किए गए। भाषण के बीच बीच में नाच गाने भी चले। पंजा पार्टी वाले दादा की सभा को लेकर इतने उत्साहित थे,कि सारे के सारे मंच पर ही जमा हो गए थे। हालत ये हो गई थी कि बेचारी बहुरानी और दादा को ही मंच पर जगह मिलने में दिक्कत आ रही थी। दोनों किसी तरह मंच पर चढे और जैसे तैसे जगह बनाई। सभा संचालक चाको जी बेचारे चिल्ला चिल्ला कर मंच को खाली करने का निवेदन करते रहे,लेकिन पंजा पार्टी के शूर वीर मानने को तैयार नहीं थे। चाको जी को घबराहट ये हो रही थी कि कहीं मंच टूट कर नीचे ना आ जाए। ये तो गनीमत रही कि ऐसा नहीं हुआ।
ठीक नौ बजे बहुरानी और दादा मंच पर पंहुचे। बेचारी बहुरानी,उन्हे भाषण देना तो आता नहीं है। अपने स्वर्गीय ससुर जी और पापा जी का जिक्र करके उन्होने मतदाताओं से आशीर्वाद मांगा। फिर बारी आई दादा की। मनोरंजन की तलाश में पंहुचे लोगों में उत्साह चरम पर पंहुच गया। दादा के पास कुल पैंतालिस मिनट थे। इसमें से पहले के पन्द्रह मिनट तो दादा ने अपने नए प्रयोग किए। मंच पर मौजूद बहूरानी से कुछ लोगों को राखी बन्धवाई। मंच पर गीत बजता रहा भैया मेरे राखी के बन्धन को निभाना। पन्द्रह मिनट गुजर जाने के बाद दादा के भाषण की बारी आई। दादा ने भैयाजी की गाडी से लगाकर उनके उद्योगपति होने पर ढेर सारे कमेन्ट किए। पूरे तीस मिनट तक दादा ने यही कुछ किया। लेकिन एक भी मिनट दादा ने रतलाम के विकास को लेकर एक शब्द नहीं कहा। आखिर में दादा ने कहा कि दूसरे मुद्दों पर वो अगली सभा में बोलेंगे। और बस,सभा समाप्त। मनोरंजन की तलाश में जुटे लोगों का गुस्सा उस वक्त देखने लायक था।

भीड कम मुद्दे ज्यादा

कस्तूरबा नगर में फूल छाप वालों की सभा में मनोरंजन नाम की चीज ही नहीं थी। मंच पर चढने की कोई मारामारी नहीं। मंच पर वही लोग थे,जिनकी जरुरत थी। बाकी सामने थे। यहां आए लोग भी मनोरंजन की तलाश में नहीं थे। शहर में फूल छाप के स्थानीय नेताओं की यह पहली सभा थी। भैयाजी के भाषण में लोगों को ज्यादा मजा भी नहीं आता,लेकिन शहर के लोग विकास के विजन को समझना चाहते है। इस सभा में यही कुछ हुआ। भैयाजी और दूसरे वक्ता पूरे समय यही समझाते रहे कि शहर में क्या हो चुका है और क्या किया जाना बाकी है।

पदों की बंदरबांट

चुनावी दौर में नेताओं को कई तरह के लाभ प्राप्त होते है। लेकिन पंजा पार्टी में इस बार एक नया लाभ भी नेताओं को मिला। पंजा पार्टी ने छुटभेय्यै नेताओं को खुश करने के लिए चुनावी दौर में बडे बडे पदों से नवाजा। विधानसभा चुनाव में पंजे की जमानत जब्त करवा कर सबसे कम मतों का रेकार्ड बनाने वाले एक एक्स हीरो को पंजा पार्टी ने पूरे सूबे का महासचिव बना दिया। पदों की बंदरबांट इतनी बढी कि इन्ही नेताजी के एक और प_े को पार्टी ने सूबे का सचिव बना दिया। पंजा पार्टी वाले कह रहे है कि जो दस वोटरों को प्रभावित नहीं कर सकते,उन्हे प्रदेश स्तर के पद दिए जा रहे है। पदों की रेवडियां नीचे जिले और वार्डों तक बांटी जा रही है। लेकिन प्रदेश के पदों पर रेकार्ड होल्डर्स को बिठाए जाने से पंजा पार्टी की हालत सुधरने के बजाय बिगडने लगी है। जो काम कर रहे थे,वे दूर होने लगे है।

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