चुनावी चकल्लस-11 प्रत्याशी और पार्टियों के साथ साथ प्रशासन भी जुटा मतदाताओं को मनाने में
-तुषार कोठारी
रतलाम,24 नवंबर। इस चुनाव के तीन पक्ष है। पहला तो हुआ, चुनाव लड रहे प्रत्याशी और राजनैतिक पार्टियां। दूसरा हुआ, पब्लिक यानी वोटर और तीसरा पक्ष है प्रशासन या चुनाव आयोग। पहला पक्ष दूसरे पक्ष को मनाने रिझाने में और अपनी तरफ करने में लगा हुआ है। यानी प्रत्याशी और पार्टियों का टार्गेट मतदाता है जिन्हे वे अपनी ओर करना चाहते है। तीसरा पक्ष भी दूसरे पक्ष को मनाने समझाने में जुटा हुआ है। यानी प्रशासन भी मतदाताओं को मतदान करने के लिए प्रेरित करने में जुटा हुआ है। इस तरह दूसरे पक्ष पर सभी की नजर है। प्रत्याशी चुनाव जीतने के लिए मतदाताओं को मनाने में लगे है,तो प्रशासन उन्हे मतदान के प्रति जागरुक करने की कोशिशों में लगा है। चुनाव आयोग ने अफसरों को मतदाता जागरुकता के लिए भिडा रखा है। प्रशासन को इसके लिए काफी मेहनत मशक्कत करना पड रही है। कभी नाच गा कर मतदाताओं को रिझाया जा रहा है,तो कभी और किसी तरीके से मतदाताओं को जागरुक करने के प्रयास किए जा रहे है। आज जिला प्रशासन की बडी मैडम ने तमाम सरकारी कारिन्दों और कई सारे दूसरे लोगों को बुलाकर मानव श्रृंखला बनवाई,ताकि लोगों तक शत प्रतिशत मतदान करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।
मानव श्रृंखला बनाने के लिए सरकारी महकमों के कर्मचारियों के अलावा स्कूल कालेजों के छात्र छात्राओं को भी मौजूद रहने का फरमान दिया गया था। सरकारी फरमान था,इसलिए सबको आना भी पडा और साढे चार किलोमीटर की लम्बाई वाली मानव श्रृंखला बन गई। इतनी सारी मेहनत मशक्कत का वोटरों पर कितना असर हुआ है इसका नतीजा तो 28 नवंबर को मतदान के बाद ही पता चलेगा। जानने वाले बताते है कि मतदाताओं को मनाने रिझाने के लिए चुनाव आयोग ने नगर सरकार को काफी बडा बजट भी दिया है। नगर सरकार के अफसर तो हर वक्त ताक में रहते है कि कब किसी काम के लिए बजट आए और कब उनका फायदा हो। अफसरों ने इस काम के लिए इवेंट कम्पनियों से भी सम्पर्क साधा था। जानकारों का कहना है कि मतदाता जागरुकता की इस कहानी से कईयों के वारे न्यारे हो गए।
बिना पूछ परख वाले लोग
चुनाव के इस दौर में हर ओर बस उन्ही के चर्चे है,जो बडी पार्टियों के है। इसके अलावा भी कई सारे लोग चुनावी मैदान में मौजूद है,लेकिन इनकी कोई पूछ परख ही नहीं हो रही। हांलाकि जिले में तीन निर्दलीय प्रत्याशी ऐसे है जिनका गाहे बगाहे जिक्र हो ही जाता है। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी है जो चर्चित पार्टियों से होकर भी काबिले जिक्र नहीं बन पाए है। निर्दलीयों की आम तौर पर कोई पूछ परख नहीं होती,लेकिन कुछ निर्दलीय ऐसी ताकत दिखाते है कि चुनावी चर्चाओं में अपना मुकाम बना लेते है। जावरा के डाक्टर सा और पिपलौदा के फूल छाप वाले बागी ऐसे ही निर्दलीय है। हाल के दिनों में सैलाना सीट पर भी एक निर्दलीय ने अपनी हैसियत बढाई है। जयस से जुडा यह उम्मीदवार मामांचल में लगातार अपनी मौजूदगी दर्ज करवा रहा है। जेएनयू से निकला यह उम्मीदवार मामांचल में लम्बे समय से सक्रिय था। चुनावी मैदान में आने के बाद इस प्रत्याशी ने अपनी हैसियत बढाई और यहां तक बढाई कि चुनावी जोड बाकी लगाने वाले अब उसके नाम पर भी वोटों का हिसाब लगा रहे है। लेकिन कुछ पार्टियां ऐसी भी है,जो देशभर में चर्चित होने के बावजूद जिले में जिक्र के काबिल नहीं बन पाई है। यूपी की हाथी वाली बहनजी ने जिले की पांचों सीटों पर उम्मीदवार खडे किए है,लेकिन इन्हे कोई नहीं जानता। दिल्ली की झाडू वाले बाबूजी की आप ने भी जिले की पांच में से चार पर प्रत्याशी खडे किए है। इन्हे कोई नहीं पूछ रहा। और तो और तीर कमान वाली शिवजी की सेना ने भी चार उम्मीदवार उतारे है। सबसे बुरी हालत एससीएसटी एक्ट के लिए मैदान में आई सपाक्स की है। कुछ महीनों पहले तक सपाक्स की बडी चर्चाएं थी,लेकिन आज उसके उम्मीदवार को कोई जानता तक नहीं।
सभाओं का गुणा भाग
जिस वक्त यह लिखा जा रहा है,उसके कुछ ही देर बाद पंजा पार्टी और फूल छाप दोनो की ही चुनावी सभाएं शुरु हो जाएंगी। झुमरु दादा के आने की खबर ने वैसे ही चुनाव में रोचकता ला दी है। इधर फूल छाप वाले भैयाजी ने भी सभा की घोषणा कर दी है। दोनो एक ही समय पर है। चुनावों में मनोरंजन की तलाश करने वालों के लिए दादा मनोरंजन की गारंटी है। आरोप प्रत्यारोप भी उधर ही होंगे। फूल छाप वालों की सभा में मनोरंजन कम और गंभीरता ज्यादा रहने की उम्मीद है। राजनीतिक जोड बाकी लगाने वाले,दोनो सभाएं निपटने का इंतजार कर रहे है ताकि उन्हे जोड बाकी लगाने का मौका मिल सके।