November 14, 2024

चुनावी चकल्लस-10 /राजा जी के समन्वय का असर,दादा के मैदान में आने की खबर,मतदाताओं को अब आएगा मजा

-तुषार कोठारी

रतलाम,23 नवंबर (इ खबरटुडे)। शहर का चुनाव अब तक तो फीका फीका सा ही था। आमतौर पर चुनाव में मतदाता मौन रहा करते थे,लेकिन इस बार के चुनाव में ऐसा लग रहा था जैसे दोनो पार्टियां ही मौन हो गई हो। फूल छाप वालों ने तोमर सा.की सभा भी करवा दी थी,लेकिन पंजा पार्टी तो अब तक पूरी तरह मौन ही थी। भैयाजी और बहुरानी अलग अलग इलाकों में जाकर मतदाताओं से मिल तो रहे थे,बोल कोई नहीं रहा था। पंजा पार्टी के लोकल नेताओं ने कोशिश की थी,कि सभा कर लें,लेकिन फिर वह भी रद्द हो गई। दिग्गी राजा आए,तो शहर के बाहर त्रिवेणी पर, और वो भी सिर्फ कार्यकर्ताओं के लिए। कार्यकर्ता भी गिने चुने ही मौजूद थे। लेकिन राजा जी एक काम जरुर कर गए। उन्हे पंजा पार्टी ने समन्वय की जिम्मेदारी दी थी,तो उन्होने बाकायदा समन्वय किया और टिकट ना मिलने से नाराज दादा को मना ही लिया। उधर पंजा पार्टी ने दादा को प्रदेश भर के लिए जिम्मेदारी सौंपी,इधर दादा ने रतलाम में भी प्रचार करने पर हामी भर दी। हांलाकि अब प्रचार के लिए मात्र चार दिन बचे है। दादा की सभा शनिवार को यानी 24 नवंबर को रखी गई है। इसके बाद केवल दो दिन बचेंगे। पंजा छाप वाले कह रहे है कि दादा की दूसरी जगहों पर भारी डिमाण्ड है इसलिए रतलाम के लिए केवल एक दिन ही मिला है। दादा के भाषण से वोटर के वोट पर कोई फर्क चाहे न पडता हो,लेकिन लोगों को मनोरंजन की पक्की गारंटी है। लोगों को उम्मीद है कि दादा के आने से इस नीरस चुनाव में कुछ तो मजा आएगा। देखने वाली बात यह रहेगी कि दादा अपने दुख को दबा कर बहुरानी के लिए वोट कैसे मांगेंगे….?

इधर घोषणापत्र जारी,उधर नहीं है कोई तैयारी

शहर के चुनाव में फूल छाप हर तरह से पंजा पार्टी से बढत बना रही है। फूल छाप ने भैयाजी को काफी पहले ही प्रत्याशी घोषित कर दिया था,लेकिन बहुरानी का चयन कई दिनों बाद हुआ था। भैयाजी तो नाम घोषित होने से भी काफी पहले से तैयारी में लग चुके थे। लेकिन इधर पंजा पार्टी का टिकट ही दीवाली के बाद तय हुआ। दीवाली निपटने के बाद ही पंजा पार्टी की गतिविधियां शुरु हो पाई। इधर भैयाजी ने आज स्थानीय स्तर पर शहर के खबरचियों को बुलाकर अपना घोषणा पत्र भी जारी कर दिया। इसे संकल्प पत्र का नाम दिया गया है। पढने वालों के हिसाब से यह संकल्प पत्र काफी मेहनत के बाद तैयार हुआ और यह मतदाताओं को प्रभावित करने में पूरी तरह सक्षम है। उधर पंजा पार्टी में अभी इस बात पर कोई सोच विचार ही नहीं हुआ है। पंजा पार्टी के लोगों को जब पता चला कि भैयाजी का संकल्प पत्र जारी हो गया है,तब कहीं जाकर उन्हे ध्यान में आया कि यह भी एक जरुरी काम है,जो चुनाव में करना पडता है। लेकिन अब मुश्किल ये है कि प्रचार के केवल चार दिन बचे है। घोषणा पत्र तैयार करना इतना आसान भी नहीं होता। देखिए,पंजा पार्टी कब तक यह काम कर पाती है..? यह भी देखने वाली बात होगी कि अब पंजा पार्टी अपने घोषणा पत्र में नया क्या ला पाएगी…?

एक तीर से दो निशाने

पंजा पार्टी छोडकर फूल छाप पार्टी में आए एक नेता आमतौर पर जय परशुराम का नारा लगाते रहते है। फूल छाप वालों ने इन नेताजी को चाचाओं के इलाके की जिम्मेदारी सौंप दी। पंजा पार्टी के अध्यक्ष रह चुके इन नेताजी को कहा गया कि वे अपने पुराने सम्बन्धों को फूल छाप पार्टी के पक्ष में भुनाए,ताकि फूल छाप को कुछ वोट इन इलाकों से भी मिल सके। कहने वालों का कहना है कि ऐसा करके फूल छाप वालों ने एक तीर से दो शिकार कर डाले। इस बहाने नेताजी को मुख्य प्रचार अभियान से दूर भी कर दिया और नाम के लिए जिम्मेदारी भी दे दी। भैयाजी उन इलाकों में प्रचार करने पंहुचे,तो कोई खास उत्साह दिखाई नहीं दिया। इस का ठीकरा अब बेचारे उन्ही नेताजी के सिर पर फोडा जा रहा है।

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