चुनावी चकल्लस-13/ चुनावी शोर थमने के बाद बची केवल चुनावी चकल्लस और जीत हार के दावे,सैलाना और ग्रामीण से सौतेला व्यवहार
-तुषार कोठारी
रतलाम,26 नवंबर। जैसा कि हर चुनाव में होता है,मतदान समाप्ति के अडतालिस घण्टे पहले चुनावी शोर बन्द हो चुका है। शहर में दोनो पार्टियों ने आखरी वक्त का उपयोग महाजनसम्पर्क की रैलियां निकालकर शक्तिप्रदर्शन करने में किया। भैयाजी ने तोपखाना से रैली निकाली और राम मन्दिर पर जाकर समाप्त की,तो बहुरानी ने त्रिपोलिया गेट के अपने चुनाव कार्यालय से रैली निकालकर बाजार में ही खत्म की।
प्रचार के शोर को एक दिन पहले बन्द करने के इस नियम के पीछे तर्क यह दिया जाता है कि अब कम से कम छत्तीस घण्टे मतदाता शान्ति से यह विचार कर सके कि वोट किसे दिया जाए। चुनावी चकल्लस इन्ही छत्तीस घण्टों में सबसे ज्यादा होती है। लोग गली मोहल्लों और चौराहों पर इसी चर्चा में व्यस्त रहते है कि चुनावी उंट किस करवट बैठने वाला है।
बहरहाल,पिछले तेरह दिनों से चुनावी चकल्लस लगातार जारी है और अब केवल एक दिन और बचा है। दोनो पार्टियों में अब आखरी वक्त के मैनेजमेन्ट को लेकर योजनाएं बनाई जा रही है। आज की रात से लेकर बुधवार की सुबह तक के छत्तीस घण्टों में अब वो सारे प्रयास किए जाने है,जिन्हे चुनाव आयोग रोकने की कोशिशें करता है। चुनाव आयोग बेहद सख्त है,लेकिन कई सारे शौकीन मतदाता इस मौके को लेकर उत्साहित रहते है। वे जानते है कि चुनाव आयोग चाहे जो कहे,लोकतंत्र के इस उत्सव का मजा तो पार्टियां दिलवा ही देंगी। कम से कम दो दिन तो जेब में हाथ नहीं डालना पडेगा और झूमने के इंतजाम आटोमैटिकली हो जाएंगे।
दूसरी तरफ बुध्दिजीवी किस्म के मतदाता अपने अपने स्तर पर जोड बाकी लगाएंगे कि पलडा किसका भारी है। इसी बात को लेकर हर ओर बहस मुबाहसें होते नजर आएंगे। चुनावी हार जीत के दावों और बहस का अंत ग्यारह तारीख को देख लेना,जैसे वाक्यों के साथ होता है। कुल मिलाकर अब छत्तीस घण्टों तक हर कोई चुनावी चकल्लस में ही व्यस्त रहने वाला है।
ग्रामीण और सैलाना से सौतेला व्यवहार
फूल छाप पार्टी में इस बात की बडी चर्चा है,कि जिस तरह पंजा पार्टी ने रतलाम शहर और आलोट सीट को उपेक्षित कर दिया,उसी तरह फूल छाप वालों ने रतलाम ग्रामीण और सैलाना से सौतेला व्यवहार किया। चुनाव प्रचार के लिए फूल छाप वालों के पास स्टार प्रचारकों की पूरी फौज मौजूद थी। शहर,आलोट और जावरा में ढेरों स्टार प्रचारक पंहुचे,लेकिन ग्रामीण और सैलाना सीट पर किसी भी बडे नेता को नहीं भेजा गया। यहां तक कि इन सीटों पर एक भी सभा नहीं हुई। आलोट में केन्द्रीय मंत्री के पुत्र है,इसलिए वहां योगी जी और गृहमंत्री तो पंहुचे ही प्रदेश के मामा ने भी हाजरी लगा दी। फूल छाप के कुछ वरिष्ठों का कहना है कि फूल छाप वालों ने जानबूझ कर ग्रामीण और सैलाना सीट से सौतेला व्यवहार किया है। ग्रामीण सीट पर फूल छाप पार्टी पहले ही मामा भांजे के कारण तकलीफ में थी। उपर से इस सीट पर एक भी बडा नेता नहीं पंहुचने के कारण नुकसान और बढ गया। इसी तरह मामांचल की सैलाना सीट पर फूल छाप को सबसे कडी चुनौती मिल रही है। लेकिन फूल छाप के रणनीतिकारों ने इसकी कोई चिंता नहीं की,और वहां भी किसी स्टार प्रचारक को नहीं भेजा गया।