चुनावी चकल्लस-2/शहर की सडक़ों पर चलती गोल्फ कोर्ट की गाडी
रतलाम,15 नवंबर (इ खबरटुडे/तुषार कोठारी)। भला हो भैयाजी का और चुनाव का,जो रतलाम के बाशिन्दों ने शहर की सडक़ों पर गोल्फ कार्ट को चलते देख लिया। वरना इससे पहले इस चीज को खाली फिल्मों में ही देखा जाता था। इन दिनों शहर की सडक़ों पर जो छोटी सी बिना आवाज की गाडी चल रही है,वो वैसे तो गोल्फ कोर्ट में चलती है,लेकिन इन दिनों भैयाजी की मेहरबानी से रतलाम की सडक़ों पर चल रही है। रतलामी बाशिन्दों ने तो गोल्फ कोर्ट भी फिल्मों में ही देखा है। हाकी जैसी स्टिक से खिलाडी बाल को मारता है। बाल बहुत दूर न जाने कहां चली जाती है। फिर खिलाडी गोल्फ कार्ट में सवार होकर बाल तक जाता है। एक अर्दली कन्धे पर कई सारी अलग अलग तरह की हाकी स्टिक्स लेकर चलता है। गोल्फ खिलाडी,गाडी से उतरता है,कोई नई स्टिक चुनता है और फिर बाल को मारता है। आखिर में बाल को एक छोटे से गड्ढे में डाला जाता है। कोई दौड भाग नहीं,कोई शोर शराबा नहीं,पता नहीं टीम भी होती है या नहीं,या केवल एक ही आदमी खेलता है। जो भी हो,फिल्मों में देखकर इतना तो समझ में आ जाता है कि गोल्फ का खेल बडे साहब लोगों का खेल है,जो बाल के पास जाने के लिए भी गाडी में बैठकर जाते है। बहरहाल वही गाडी अब रतलाम शहर की सडक़ों पर देखी जा सकती है। उम्मीद की जा सकती है कि जब गोल्फ वाली गाडी शहर में आ गई है,तो आगे पीछे गोल्फ कोर्ट भी शहर में बन जाएगा। खैर,फिलहाल तो इस गाडी का बेहतरीन उपयोग भैयाजी कर रहे हैं। मतदाताओं तक पंहुचने के लिए इससे अच्छा तरीका हो भी क्या सकता था? इसका एक फायदा यह भी है कि गोल्फ कार्ट में खडे भैयाजी दूर तक मतदाताओं को नजर आ जाते है जबकि पैदल चलती बहुरानी साथ चल रही भीड में छिप सी जाती है। मतदाता को नजर ही नहीं आती। उधर बहुरानी का चुनाव मैनेजमेन्ट भी फिलहाल गडबडाया हुआ है। कहने वाले कह रहे हैं कि पार्टी पर परिवार हावी है। पंजा पार्टी के जिन नेताओं को चुनावी मैनेजमेन्ट का अनुभव है,उन्हे फिलहाल भाव नहीं दिया जा रहा है।
व्यक्तिगत नाराजगी का कष्ट और स्थानीय होने का फायदा
जिले की सबसे दूर वाली सीट आलोट पर पंजा पार्टी जय वीरु की जोडी के भरोसे है। इस जोडी का जलवा इतना बढा कि आलोट से उम्मीदवारी के सपने देख रहे गुड्डू भईया को पंजा छाप छोडकर फूल छाप पार्टी का हाथ थामना पड गया। गुड्डू भईया के जाते ही पूरी पंजा छाप जय वीरु के कब्जे में आ गई। नतीजा यह हुआ कि पंजा पार्टी का टिकट भी जय वीरु अपने प_े को दिलवा लाए। फूल छाप का टिकट एससीएसटी एक्ट वाले मंत्री के पुत्र को दोबारा दिया गया है। फूल छाप पार्टी को दो तरफा कष्ट है। मंत्री पुत्र होने का खामियाजा यह है कि विरोधियों को अहंकार का आरोप लगाने का मौका मिल जाता है। दूसरा कष्ट एससीएसटी एक्ट का है। पूरे जिले में यही ऐसा इलाका है,जहां एससीएसटी एक्ट के प्रकरण सबसे ज्यादा बनते है। इलाके में सोंधिया राजपूतों की तादाद भी काफी बडी है। ये सारे लोग एससीएसटी एक्ट से खासे नाराज बताये जा रहे है। पंजा पार्टी का प्रत्याशी नया नया है,सबके धोक देने को तैयार रहता है। फिलहाल की कहानी इतनी ही है कि फूल छाप पार्टी को व्यक्तिगत नाराजगी की दिक्कत है,तो पंजा छाप को स्थानीय और नया होने का फायदा है।