December 24, 2024

घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं को पूरा कानूनी संरक्षण-सुश्री बारोल

mahilasashkt

महिला सशक्तिकरण विभाग की कार्यशाला संपन्न

रतलाम 25 जुलाई (इ खबरटुडे)।  सेवानिवृत्त अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुश्री सुनीता बारोल ने कहा कि महिलाएं सर छुपाने के लिए एक घर की चाह में बहुत से अनचाहे समझौते करने पर विवश होती हैं। उन्होंने कहा कि घरेलू हिंसा से पीड़ित महिला संरक्षण अधिनियम 2005 नियम 2006 महिला और बच्चों को अपने घर में स्वतंत्र व सुरक्षित रहने का अधिकार देता है चाहे उस घर पर उनका मालिकाना हक हो या न हो।सुश्री बारोल विगत दिवस आंगनबाड़ी प्रशिक्षण केन्द्र बिरियाखेड़ी में महिला सशक्तिकरण विभाग द्वारा आयोजित कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में उद्बोधन दे रही थी।उन्होंने घरेलू हिंसा को परिभाषित करते हुए बताया कि घरेलू हिंसा यानी ऐसा कोई कार्य जो किसी पीड़ित महिला या बच्चों के स्वास्थ्य,सुरक्षा या जीवन को खतरा पैदा करती हो अथवा इससे आर्थिक नुकसान या क्षति हो और महिला या बच्चे दुखी व अपमानित होते हो। सुश्री बारोल ने कहा कि न्यायालय से अपेक्षित है कि घरेलू हिंसा से संबंधित प्रत्येक आवेदन की पहली सुनवाई की तारीख के 60 दिनों के भीतर प्रकरण का निपटारा करने का प्रयास करे। न्यायालय महिला द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य एवं बयानों को विश्वसनीय मानकर भी हिंसा रोके जाने और महिला को संरक्षण प्रदान करने का आदेश दे सकता है। उन्होंने उपरोक्त कानून के तहत मिलने वाली राहत के बारे में भी जानकारी दी और मध्यप्रदेश सरकार द्वारा संचालित उषाकिरण योजना पर भी प्रकाश डाला।
जिला महिला सशक्तिकरण अधिकारी प्रफुल्ल खत्री ने कार्यशाला में दिए अपने उद्बोधन में कहा कि महिला संरक्षण अधिनियम में दोषी को सजा दिलाने की बजाय पीड़ित के संरक्षण एवं बचाव पर अधिक जोर दिया गया है। उन्होंने कहा कि न्यायालय का आदेश न मानने पर दोषी व्यक्ति को एक साल की सजा या 20 हजार रूपए तक जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है। श्री खत्री ने कहा कि यह अधिनियम घरेलू रिश्तों में रहते हुए भी आपत्तिजनक व्यवहार को सुधारने का पूरा अवसर देता है।उन्होंने बताया कि प्रदेश में महिलाओं एवं बालिकाओं के विरूध्द हिंसा,अपराध,उत्पीड़न और यौन शोषण की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए शौर्या दल गठित किए जा रहे हैं।इन दलों का गठन प्रत्येक ग्राम में होगा। दल में शामिल दस सदस्यों में से पांच महिलाएं होगी जिन्हेें महिला समूहों से चुना जाएगा। पांच अन्य सदस्य जन समुदाय में स्वीकार्यता रखने वाले जागरूक एवं संवेदनशील व्यक्ति होंगे। ये दल महिला अत्याचार,हिंसा एवं उत्पीड़न पर पूर्ण विराम लगाने की दिशा में प्रयास करेंगे।
कार्यशाला में विधिक सहायता अधिकारी फारूख अहमद सिद्दीकी ने महिला संरक्षण से संबंधित कानूनी प्रावधानों की जानकारी दी और घरेलू हिंसा से पीड़ित असहाय व निर्धन महिलाओं को शासन द्वारा दी जाने वाली विधिक सहायता के बारे में बताया।जिला स्वास्थ्य अधिकारी डा.आर.एम.राजलवाल ने उपस्थित महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहने की समझाईश दी और स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रदाय की जा रही विभिन्न सेवाओं के बारे में भी बताया।
कार्यशाला का शुभारंभ मुख्य अतिथि सुश्री बारोल एवं अन्य अतिथियों ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलित कर किया।कार्यशाला को कामयाब बनाने में संजय आगरकर, अजय सेंगर,पंकज देवमुरारी,सुश्री पवन कुंवर, धूमसिंह,श्री राकेश पटेल और श्रीमती पारू मालवीय का विशेष सहयोग रहा। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता प्रशिक्षण केन्द्र की प्राचार्या श्रीमती पवासा ने प्रशिक्षण केन्द्र द्वारा संचालित किए जा रहे प्रशिक्षण कार्यक्रमों की जानकारी दी। कार्यशाला का संचालन पर्यवेक्षक श्रीमती एहतेशाम अंसारी ने किया। श्रीमती प्रतिभा मित्तल ने अतिथियों का आभार माना।

You may have missed

Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds