December 23, 2024

ग्रामीण महिलाएँ बदल रही हैं अपने परिवारों की तकदीर

प्रदेश में अब तक 70 हजार से अधिक स्व-सहायता समूह गठित
 

भोपाल 29 जून (इ खबरटुडे)।  जिला गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा प्रदेश के ग्रामीण अँचलों में गठित महिला स्व-सहायता समूहों को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाया जा रहा है। समूहों के गठन के बाद ग्रामीण महिलाओं ने अपने परिवारों की आर्थिक दशा को बदला है। ग्रामीण बेरोजगार युवाओं को रोजगार मुहैया कराने में भी इन समूहों की भूमिका रही है। प्रदेश में अब तक 70 हजार से अधिक स्व-सहायता समूह से लाखों गरीब ग्रामीण परिवार को जोड़कर उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की कोशिशें जारी हैं।

राजगढ़ जिले के ब्यावरा बाय-पास के पास ग्राम मोई की महिलाओं ने 8 समूह के जरिये छोटी-छोटी बचत से 81 हजार रुपये जमा कर लिये हैं। इस छोटे से गाँव में 328 परिवार रहते हैं। इन समूहों को डी.पी.आई.पी. द्वारा 11.92 लाख रुपये का कर्ज मुहैया कराया गया। अब तक 18 लाख 71 हजार से अधिक राशि का कर्ज इन समूहों को मिला। महिलाओं ने समूहों से ऋण लेकर भैंस-बकरी पालन और अन्य गतिविधियाँ शुरू कर अपनी स्थिति को बेहतर बनाया है। ये सभी कर्ज को समय पर चुका रही हैं और कर्ज की दूसरी किश्त लेकर गतिविधियों का विस्तार भी कर रही हैं।

स्व-सहायता समूहों की महिलाएँ ग्राम सभा में भी भागीदारी करती हैं। इनके प्रयासों से ही गाँव में नल-जल योजना साकार हुई है। महिलाओं ने खुले में शौच की बुराई को मिटाने के लिये अपने घरों में शौचालय बनवाये हैं। इन महिलाओं के चेहरों पर आत्म-विश्वास साफ दिखता है। यह बदलाव आस-पास के कई ग्रामों की महिलाओं के लिये भी प्रेरणादायक सिद्ध हुआ है।

जिले के ग्राम कचनारिया की गरीब ग्रामीण महिलाओं ने भी स्व-सहायता समूहों से जुड़कर गाँव के आर्थिक विकास की नई इबारत लिख दी है। कुल 152 परिवार का यह गाँव डीपीआईपी से शुरूआत से जुड़ा है। ये सभी परिवार 12 स्व-सहायता समूहों से जुड़कर खुशहाल हो रहे हैं। ग्राम उत्थान समिति से 17.69 लाख का ऋण इन समूहों को मिला था। बाद में बैंकों से भी इन समूहों ने कर्ज लिया। अब तक 60.79 लाख की राशि कर्ज के रूप में ली है। ये महिलाएँ और उनके परिवार आटा चक्की, किराना दुकान के साथ सायकल रिपेयरिंग, सेंट्रिंग, पशुपालन जैसे व्यवसाय का संचालन कर रही हैं। श्रीकृष्ण भगवान समूह की इमरत बाई ने सफल व्यवसाय से बेटे को इंजीनियरिंग की शिक्षा दिलवाई है और बहू को भी टेलरिंग प्रशिक्षण से आत्म-निर्भर बनाया है।

राजगढ़ जिले के कालीपीठ गाँव में दिसम्बर 2013 में गठित क्लस्टर स्तरीय संगठन से अब तक परियोजना के 25 ग्राम के 170 समूह जुड़ चुके हैं। राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा अधोसंरचना मद से संगठन के लिये नये कार्यालय भवन का निर्माण तथा कम्प्यूटर और फर्नीचर भी मुहैया करवाया गया है। इस संगठन को अब तक 31.22 लाख की राशि समूहों को ऋण देने के लिए दी जा चुकी है। इस राशि से समूहों द्वारा दुकानें स्थापित कर ग्रामीण बाजार शुरू किये गये हैं। विभिन्न समूहों को 46.50 लाख का ऋण दिया जा चुका है। समूहों द्वारा अब तक 19.21 लाख का ऋण वापस कर दिया गया है।

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