December 28, 2024

गाय और नीलगाय में कोई साम्य नहीं,सरकार दे मारने की इजाजत

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किसानों के लिए संकट बनी नीलगाय पर किसान संघ नेता केलकर ने कहा

रतलाम,9 अगस्त(इ खबरटुडे)। भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभाकर केलकर ने यहां कहा कि नीलगाय नामक पशु पूरे देश के किसानों के लिए संकट बन चुका है। सरकारों को चाहिए कि वे या तो किसानों को इस पशु से बचाएं अन्यथा उन्हे मारने की अनुमति प्रदान करें। नीलगाय की वजह से किसानों की मेहनत से तैयार फसलें मिनटों में पूरी तरह चौपट हो जाती है और यह राष्ट्रीय संपत्ति की भी क्षति है। नीलगाय को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री समेत अनेक लोग भ्रम की स्थिति में है।
रतलाम के प्रवास पर आए श्री केलकर ने इस संवाददाता से विशेष चर्चा के दौरान कहा कि देश के लगभग हर हिस्से के किसान नीलगाय नामक जंगली पशु से परेशान है। ये प्राणी झुण्ड में विचरता है,और जहां से गुजरता है,उस पूरे ईलाकें की फसलें पूरी तरह बरबाद कर देता है। किसानों द्वारा अपना खून पसीना बहाकर मेहनत से तैयार की गई फसलें,इस प्राणी के कारण मिनटों में चौपट हो जाती है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार द्वारा दिए गए गाय और नीलगाय सम्बन्धी बयान पर टिप्पणी करते हुए श्री केलकर ने कहा कि इस प्राणी को नीलगाय कहना उचित नहीं है। इसमें और गाय में कोई साम्य नहीं है, यह मृग जाति का पशु है और इसका वैज्ञानिक नाम बोस्लाफस ट्रेगोकैमेलस है। लेकिन हिन्दी नाम नीलगाय होने से भ्रम की स्थिति बनती है। हांलाकि ग्रामीणजन इसे रोजडा या घोडारोज कहते हैं। श्री केलकर ने कहा कि रोजडा या घोडारोज नामक प्राणी किसानों की करोडों रुपए की फसलें चौपट करता है। किसानों की मेहनत से उगाई गई फसलें राष्ट्रीय सम्पत्ति है और इसे नष्ट करना राष्ट्रीय सम्पत्ति का भी नुकसान है। ऐसी स्थिति में किसानों को इस समस्या से बचाना सरकारों की जिम्मेदारी है। श्री केलकर ने कहा कि ऐसी व्यवस्था की जाना चाहिए कि ये प्राणी जंगलों में रहे और ग्रामीण क्षेत्रों में ना आ सके। लेकिन यदि ऐसी व्यवस्था नही हो पाती तो किसानों को अपनी फसलें बचाने के लिए घोडारोज को मारने की अनुमति दी जाना चाहिए। श्री केलकर ने कहा कि इन प्राणियों को मारने पर रोक होने की वजह से इनकी तादाद बढती जा रही है। ऐसी स्थिति में इस समस्या का प्राथमिकता के आधार पर तुरंत निराकरण किया जाना चाहिए। यदि इन पशुओं की समस्या का और कोई समाधान न हो तो कम से कम इनका बधियाकरण किया जाना चाहिए जिससे कि इनकी तादाद में हो रही वृध्दि पर रोक लग सके।

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