कृषि को लाभकारी बनाने के लिए सेमिनार 17 मार्च को
रतलाम 14 मार्च (इ खबरटुडे)। वन विभाग के अनुसंधान एवं विस्तार वृत्त रतलाम के तत्वावधान में कृषि को लाभ का उद्योग बनाने में वानिकी की सहभागिता विषय पर 17 मार्च को प्रात: 10.30 बजे से कार्यालय परिसर सागोद रोड़ रतलाम में उच्च स्तरीय सेमिनार आयोजित होगा। इस सेमिनार में प्रधान मुख्य वन संरक्षक मध्यप्रदेश रमेश के.दवे,अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक अनुसंधान,विस्तार एवं लोकवानिकी मध्यप्रदेश एस.पी.सिंह, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक प्रशासन (उज्जैन वृत्त प्रभारी) जब्बार हुसैन तथा उज्जैन संभाग के वन अधिकारीगण मौजूद रहेंगे। इनके अलावा संभाग के विभिन्न जिलाें के सांसदाें,विधायकाें व अन्य जनप्रतिनिधियाें एवं कृषकाें तथा पर्यावरणविद्ाें को भी सेमिनार में आमंत्रित किया गया है।
मुख्य वन संरक्षक अनुसंधान एवं विस्तार वृत्त रतलाम से मिली जानकारी के अनुसार कृषि वानिकी भूमि के बहुउपयोग की प्रणाली है जिसके अंतर्गत भूमि के प्रति इकाई क्षेत्रफल से एक ही समय में कृषि फसलाें एवं वृक्षाें का एक साथ उत्पादन किया जाता है। उज्जैन संभाग के रतलाम,नीमच और शाजापुर जिलाें में कृषक अपने खेताें में फसलाें के साथ-साथ बांस,सागौन,खमेर,आंवला आदि वृक्षाें को भी लगाकर भूमि से प्रति इकाई क्षेत्र से होने वाली आय में वृध्दि कर रहे हैं। मुख्य वन संरक्षक ने बताया कि कृषि के साथ वृक्ष लगाने से कृषि भूमि की जल रोकने एवं जलधारण करने की क्षमता बढ जाती है तथा मृदा क्षरण भी कम हो जाता है। इससे भूमि की उत्पादन क्षमता बढ जाती है। साथ ही वृक्ष उस क्षेत्र की सूक्ष्म जलवायु में भी सुधार करते हैैं। कृषि के साथ वृक्ष लगाने से देश के वन आवरण में भी वृध्दि होगी। साथ ही ग्रामीण क्षेत्राें में रोजगार के अतिरिक्त साधन भी उपलब्ध हाेंगे। कृषि वानिकी में वृक्षाें से प्राप्त होने वाले फल, ईंधन, काष्ठ, फूल,कत्था,गाेंद व औषधि आदि से अनेक कुटीर उद्योग आरंभ किए जा सकते है। मुख्य वन संरक्षक ने बताया कि सेमिनार में कृषकाें को कृषि वानिकी के लाभाें के बारे में बताया जाएगा तथा उनकी समस्याआें और विचाराें की भी जानकारी ली जाएगी।