October 7, 2024

कुपोषित से स्वस्थ बालिका बनी नन्हीं सुखिया

भोपाल 15 नवम्बर (इ खबरटुडे)। अति-कुपोषित बच्चे को भी यदि उचित इलाज और देखभाल मिले, तो स्वस्थ जीवन जी सकता है। इसकी मिसाल है नन्हीं सुखिया। सुखिया के पिता श्री राजपूत उसे 2 वर्ष की उम्र में खमरिया गाँव से नरसिंहपुर जिला अस्पताल जुलाई-2015 में अति-गंभीर अवस्था में लाये थे। अपने माता-पिता की तीसरी संतान सुखिया की माँ दुर्गाबाई अपंग है और उसकी दो माह की बहन की देखभाल करने गाँव में ही रुक गयी थी।

भर्ती करते समय चिकित्सकों द्वारा किये गये सभी परीक्षण, वजन, लम्बाई आदि में सुखिया अति-कुपोषित होने के साथ गंभीर रक्ताल्पता और फेफड़ों की टीबी से प्रभावित पायी गयी। पिता के अनुसार वह जन्म से ही बहुत कमजोर थी और उसे बाहर का दूध और बिस्किट ही खिलाया गया है। लगातार खाँसी आने से उसकी हालत और खराब हो गयी है।

चिकित्सकों ने फार्मूला एफ-75 में सुखिया का तुरंत इलाज शुरू किया। कुपोषण के साथ टी.बी. का इलाज भी शुरू किया गया। अच्छी चिकित्सा और देखभाल से 12 दिन में ही सुखिया का वजन बढ़ गया और उसकी गिरती सेहत सम्हलने लगी। सुखिया 29 दिन तक पोषण-पुनर्वास केन्द्र में रहने के बाद स्वस्थ बालिका के रूप में 20 अगस्त, 2015 को केन्द्र से डिस्चार्ज हुई। केन्द्र में लाते समय उसका वजन 4.94 किलोग्राम और लम्बाई 75.5 सेंटीमीटर थी। सुखिया का 4 बार फॉलोअप चेकअप किया गया। हर बार उसके वजन में उल्लेखनीय सुधार मिला। अक्टूबर में हुए चौथे फॉलोअप में सुखिया का वजन 8.15 किलोग्राम और लम्बाई 77 सेंटीमीटर पायी गयी। उसके परिवार ने भी डॉक्टरों द्वारा खान-पान, स्वच्छता, स्वास्थ्य और पोषण की सलाह पर अमल किया। आज सुखिया खुश है और आम बच्चों की तरह खेल-कूद रही है।मध्यप्रदेश में वर्ष 2005-06 से गंभीर कुपोषित बच्चों के इलाज के लिये 315 पोषण-पुनर्वास केन्द्र कार्य कर रहे हैं। केन्द्र लगभग सभी ब्लॉक-स्तर पर स्थापित हैं।

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