कटारिया वायर्स में श्रमिक की मौत
सुरक्षा प्रबन्धों की कमी के चलते हुए हादसा
रतलाम,25 फरवरी(इ खबरटुडे)। शहर के उद्योगों में सुरक्षा प्रबन्धों की अनदेखी आमबात हो गई है और इसी लापरवाही का खामियाजा उद्योग में काम करने वाले श्रमिकों को अपनी जान देकर चुकाना पडता है। मंगलवार को डीपी कटारिया समूह के कटारिया वायर्स में एक श्रमिक की छत से गिरने से मौत हो गई।
प्राप्त जानकारी के अनुसार,गंगासागर निवासी अंसार पिता इब्राहिम 35 विगत 6-7 वर्षो से कटारिया वायर्स में ठेकेदार के अधीन वेल्डिंग काम करता था। मंगलवार को फैक्ट्री के गेट न.4 के भीतर सीमेन्ट के पतरे लगाने का काम शुरु होना था। सुबह करीब साढे दस बजे अंसार अपने साथी वेल्डर शाहरुख वे हेल्पर गजराज व गोपाल के साथ छत पर चढकर सीमेन्ट शीट्स लगाने की जगह देख रहा था,कि अचानक सीमेन्ट की वह शीट टूट गई ,जिसपर अंसार खडा था। सीमेन्ट चद्दर टूटने से अंसार सीधे करीब सौ फीट नीचे जमीन पर जा गिरा। इतनी उंचाई से सिर के बल गिरने पर अंसार की खोपडी फट गई और मौके पर ही उसकी मौत हो गई।
अंसार की मौत की खबर फेलते ही श्रमिकों की भीड इक_ा हो गई। अंसार को तत्काल जिला चिकित्साल ले जाया गया। घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस अधिकारी भी मौके पर पंहुच गए थे। पुलिस ने मर्ग कायम कर मामले की जांच शुरु कर दी है।
पहले भी हुआ हादसा
मृत अंसार के परिचितों का कहना था कि करीब दो साल पहले अंसार के पैर पर एंगल गिरने से उसका पैर टूट गया था। उस वक्त भी फैक्ट्री प्रबन्धकों ने उसके ईलाज का पूरा खर्चा देने का वादा किया था,लेकिन बाद में उसे कोई रकम नहीं दी गई। इसके बावजूद अंसार पेट पालने की मजबुरी में यहां काम करता रहा और मंगलवार को उसे अपनी जान गंवानी पडी।
सुरक्षा प्रबन्ध नदारद
फैक्ट्री संचालन के नियमों के मुताबिक खतरनाक परिस्थितियों में किए जाने वालों कार्यों के दौरान श्रमिकों को पूरे सुरक्षा साधन उपलब्ध कराने चाहिए। जब श्रमिक उंचाई पर चढकर काम कर रहेहो,तब सिर पर हैल्मेट लगाना अनिवार्य है। यदि अंसार ने हैल्मेट पहना होता तो उसका सिर फूटने से बच सकता था। लेकिन फैक्ट्री प्रबन्धन हैल्मेट,दस्ताने जैसे सुरक्षा साधनों को गैरजरुरी और बेवजह का खर्च मानते है। इसलिए इस तरह के साधन सिर्फ दिखावे के लिए रखे जाते है,लेकिन श्रमिकों को उपयोग के लिए नहीं दिए जाते। इसी का नतीजा यह होता है कि निर्दोष श्रमिकों को अपनी जान गंवानी पडती है।
लापरवाही छुपाने की कोशिश
घटना के प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक दुर्घटना होने के बाद फैक्ट्री प्रबन्धन के लोगों ने अपनी लापरवाही को छुपाने के कई प्रयास किए। दुर्घटना के शिकार अंसार को सुरक्षा के लिए कोई हैल्मेट इत्यादि नहीं दी गई थी,लेकिन दुर्घटना के बाद फैक्ट्री प्रबन्धकों ने दुर्घटना स्थल पर हैल्मेट और दस्ताने इत्यादि आसपास फैला दिए जिससे कि यह दर्शाया जा सके कि सुरक्षा प्रबन्ध पर्याप्त थे। पुलिस ने इन वस्तुओं को जब्त भी किया है।
जिम्मेदार ही है लापरवाह
विभिन्न उद्योगों में सुरक्षा प्रबन्धों की अनदेखी आम बात बन चुकी है। हांलाकि शासन स्तर पर सुरक्षा नियमों का पालन कराने के लिए फैक्ट्री इन्स्पेक्टर जैसे अधिकारियों की नियुक्तियां की जाती है,लेकिन इन जिम्मेदार अधिकारियों को उद्योग संचालक येन केन प्रकारेण अपने प्रभाव में ले लेते है। इसी का परिणाम यह होता है कि दुर्घटनाओं के लिए वास्तविक जिम्मेदार फैक्ट्री संचालक और उद्योगपतियों के खिलाफ कभी कोई कार्यवाही नहीं होती। न तो पुलिस और न ही औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा विभाग वास्तविक जिम्मेदार उद्योगपतियों के खिलाफ कोई कार्यवाही करते है। इसके उलट फैक्ट्री के किसी प्रभावहीन छोटे अधिकारी के सिर पर ठीकरा फोड कर कत्र्तव्य की इतिश्री कर लेते है। अंसार के मामलें में यही सबकुछ होने की आशंका है।