November 15, 2024

एमपी: BJP में नए-पुरानों के बीच घमासान, नए चेहरे लाना चाहती है पार्टी

भोपाल,28 अक्टूबर (इ खबरटुडे)। मध्य प्रदेश भाजपा में विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारी को लेकर बुजुर्ग नेताओं के दावों और नए चेहरों पर दांव लगाने की पार्टी की तैयारी से घमासान बढ़ गया है। कई नेताओं ने तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दरवाजा भी खटखटाया है।

दरअसल केंद्रीय नेतृत्व ने साफ कर दिया है कि प्रदेश चुनाव समिति लगभग चालीस फीसदी नए चेहरों के साथ उम्मीदवारों की सूची बनाए, ताकि सरकार विरोधी माहौल का असर कम किया जा सके।

छत्तीसगढ़ में भाजपा नेतृत्व ने मध्य प्रदेश व राजस्थान इकाई को संकेत दे दिए हैं कि वे इसी फार्मूले पर अपनी सूचियां तैयार करें। राजस्थान में पहले से ही चेहरे बदलने की तैयारी चल रही है, जिसमें पिछली बीर चुनाव लड़े लगभग 50 फीसदी नेता चुनाव मैदान से बाहर हो सकते हैं।

मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा दिक्कत है क्योंकि यहां पर पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर व पूर्व केंद्रीय मंत्री सरताज सिंह जैसे बुजुर्ग नेता भी दावा कर रहे हैं। हालांकि इन नेताओं का दावा इसलिए भी मजबूत है कि वे अभी तक चुनाव नहीं हारे हैं। साथ ही वे पूरी तरह से शारीरिक व राजनीतिक रूप से सक्रिय भी हैं।

शिवराज ने भी यात्रा समाप्त की
मध्य प्रदेश के टिकट तय करने के लिए ही भाजपा नेताओं ने अपने कई कार्यक्रमों में बदलाव भी किए हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी अपनी प्रदेशव्यापी ‘जन दर्शन यात्रा’ जबलपुर में समाप्त कर दी है, जबकि वह राज्य की 230 में से 187 सीटों तक ही पहुंच सके थे।

बाकी सीटों पर वे चुनाव प्रचार के दौरान जाएंगे। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, मध्य प्रदेश के संगठन प्रभारी विनय सहस्रबुद्धे के साथ राष्ट्रीय महासचिव रामलाल भी मध्य प्रदेश के मामलों को सीधे तौर पर देख रहे हैं।

पांचों चुनावी राज्यों में मध्य प्रदेश सबसे अहम
भाजपा के लिए पांचों राज्यों में सबसे अहम मध्य प्रदेश है, क्योंकि यहां पर उसके व कांग्रेस के बीच बेहद कड़ा मुकाबला है। राजस्थान में सरकार विरोधी माहौल व वहां की पांच साल में सरकार बदलने की प्रवृत्ति को देखते हुए भाजपा मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ को हर हाल में जीतना चाहती है।

हालांकि इन दोनों राज्यों में भाजपा की सरकारें बीते 15 साल से हैं, इसलिए उसे सरकार विरोघी माहौल का सामना भी यहीं पर ज्यादा करना पड़ रहा है। इससे निपटने के लिए नए चेहरों पर ज्यादा दांव लगाने की रणनीति बनाई गई है। ताकि लोगों की नाराजगी कुछ कम की जा सके।

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