उमेशमुनि जी ने लिया संथारा
हजारों शिष्य पंहुचेउज्जैन
उज्जैन18 मार्च (इ खबरटुडे)। जैन संत आचार्य प्रवर श्री उमेशमुनिजी म.सा. ‘अणु ‘ ने आज रविवार को सुबह उौन में संथारा धारण कर लिया। आचार्य श्री के संथारे की खबर पहुंचते ही रतलाम के गुरुभक्तों में मायूसी छा गई। गुरुदेव के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना को लेकर यहां नवकार महामंत्र के जाप चल रहे है। तो कई गुरुभक्त गुरुदेव के दर्शन लाभ लेने के लिए उौन पहुंच गए।
जैन परंपरा को बखूबी निभाने वाले आचार्य भगवंत श्री उमेशमुनिजी म.सा. ‘अणु’ ने अस्वस्थता के बीच कल शनिवार को उन्हेल से उौन में मंगल नगर प्रवेश किया था। गुरुदेव की अस्वस्थता को देखते हुए उन्हें चेरिटेबल हॉस्पिटल में उपचार के लिए ले जाया गया जहां चिकित्सकों ने स्वास्थ्य परीक्षण कर समाजजनों को ऑपरेशन की सलाह दी थी। उौन चेरिटेबल के चिकित्सकों की सलाह के बाद आचार्य भगवंत के ऑपरेशन के लिए इंदौर से भी डाक्टरों की एक टीम रविवार की सुबह उौन पहुंच गई थी।
डाक्टरों की टीम चेरिटेबल ट्रस्ट अस्पताल में गुरुदेव के ऑपरेशन की तैयारी कर रही थी। रविवार सुबह 10 बजे ऑपरेशन होना था किन्तु उसके पहले ही उन्होने ऑपरेशन करवाने से इंकार कर संथारा धारण करने की बात कही। गुरुदेव को अस्पताल से उौन के नयापुरा स्थित चंदनबाला स्थानक ले जाया गया जहां शिष्य समुदाय ने गुरुदेव को संथारे के पच्चक्खाण दिए।
ज्ञातव्य हैं कि समाजजन गुरुदेव के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना के लिए ऑपरेशन करवाने के लिए तैयार थे किन्तु आचार्य प्रवर ऐसा नहीं चाहते थे। वे जानते थे कि समाजजन इसके लिए राजी नहीं होंगे और ऑपरेशन करवाएंगे ही, इसी वजह से गुरुदेव आचार्य उमेशमुनिजी म.सा. ने चेरिटेबल अस्पताल में ही संथारा धारण कर पच्चक्खाण ले लिए।
संथारा ग्रहण करने के बाद गुरुभगवंत को उौन के नयापुरा स्थित चंदनबाला स्थानक ले जाया गया जहां पर वे विराजित है। आचार्य प्रवर के संथारे के पच्चक्खाण की खबर मात्र से गुरुभक्त इतने मायूस हो गए कि बरबस ही उनकी आंखों से आंसू छलक आए थे। गुरुदेव के उौन पहुंचने पर गुरुभक्तों की भारी भीड़ पहले से ही वहां जमा थी और इस भीड़ को जैसे ही संथारे लेने की खबर मिली उनकी आंखों से अश्रुगंगा बह निकली।
आचार्य ‘अणु’ के संथारे ग्रहण करने की खबर मध्यप्रदेश के साथ राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र में पहुंची वैसे ही गुरुभक्तों ने उनके स्वास्थ्य लाभ की कामना के लिए नवकार महामंत्र के जाप शुरू कर दिए। उौन नयापुरा चंदनबाला स्थानक में भी जाप चल रहे है।
बहुमुखी व बहुआयामी व्यक्तित्व वाले 81 वर्षीय आचार्य उमेशमुनिजी म.सा. ‘अणु’ ने 60 बरस पहले बाल्यावस्था में ही महावीर जयंती के दिन 15 अप्रैल 1954 को थांदला में दीक्षा ग्रहण की थी। दीक्षा प्रणेता सूर्यमुनिजी म.सा. के तेज से थांदला में जन्मे बालक उच्छब आज आचार्य उमेशमुनिजी के रूप में कहला रहे है। आपका जन्म 7 मार्च 1932 को मालवा डूंगरप्रांत के थांदला में हुआ था। उन्होंने मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान में विचरण करते हुए धर्मगंगा प्रवाहित कर धर्मदेशना दी थी। आप आगम के अच्छे ज्ञाता थे। आपने अभी तक सैकड़ों शिष्यों को दीक्षा प्रदान की। वहीं आपने राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश में 60 के लगभग चातुर्मास पूर्ण किए है।
आचार्य भगवंत उमेशमुनिजी ‘अणु’ को मानने वाले अनुयायी होने उन्हें वर्तमान के वर्धमान मानते है। गुरुभक्तों के लिए वे भगवान के समान है। वे छोटे-छोटे से गांव भी यदि विचरण करते, तो वहां पर भी भक्तों का तांता लग जाता हैं। पिछले साल ही उन्होंने रतलाम जिले के कस्बे ताल में ऐतिहासिक चातुर्मास सम्पन्न किया था।
गतवर्ष एकमाह तक आपने रतलाम में विराजित रहकर दीक्षा और वर्षीतप के पारणे करवाने के बाद ताल पहुंचे थे। उसके बाद मदिहपुर में दीक्षा करवाकर उन्हेल में होली चातुर्मास पूर्ण किया। आचार्य भगवंत को गले में कुछ परेशानी से आपका स्वास्थ्य अनुकूल नहीं था। वे अस्वस्थता के बावजूद उौन पहुंचे।