November 14, 2024

ईज ऑफ डूइंग बिजनस रैंकिंग में भारत 23 पायदान की छलांग के साथ 77वें स्थान पर पहुंचा

नई दिल्ली,31अक्टूबर (इ खबरटुडे)। विश्व बैंक की यह रैंकिंग 10 मानदंडों मसलन कारोबार शुरू करना, निर्माण परमिट, बिजली कनेक्शन हासिल करना, कर्ज हासिल करना, टैक्स भुगतान, सीमापार कारोबार, अनुबंध लागू करना और दिवाला मामले का निपटान पर आधारित होती है।

इन मानदंडों में सुधार
विश्व बैंक की कारोबार सुगमता पर 2019 की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में कारोबार शुरू करने और उसमें सुगमता से संबंधित दस मानदंडों में से 6 में भारत की स्थिति सुधरी है। इन मानदंडों में कारोबार शुरू करना, निर्माण परमिट, बिजली की सुविधा प्राप्त करना, कर्ज प्राप्त करना, करों का भुगतान, सीमापार व्यापार, अनुबंधों को लागू करना और दिवाला प्रक्रिया से निपटना शामिल है।

4 साल में कहां से कहां पहुंचे
इंडिकेटर 2014 2018 4 साल में सुधार
कारोबार की शुरुआत 158 137 21
निर्माण परमिट 184 52 132
बिजली कनेक्शन हासिल करना 137 24 113
कर्ज हासिल करना 36 22 14
टैक्स भुगतान 156 121 35
सीमापार कारोबार 126 80 46
अनुबंध लागू करना 186 163 23
दिवाला मामले का निपटान 137 108 29

कुछ मानदंडों में अभी और सुधार की जरूरत: जेटली
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रैकिंग की घोषणा के दौरान मीडिया से कहा कि जब केंद्र में मोदी सरकार बनी तो हम 142वें स्थान पर थे। पीएम ने टॉप 50 में पहुंचने का लक्ष्य रखा है। पिछले चार साल में देश की कारोबार सुगमता रैंकिंग 67 अंक बेहतर हुई। उन्होंने कहा कि ‘कारोबार की शुरुआत’सहित कुछ इंडिकेटर में अभी सुधार की जरूरत है। वित्त मंत्री ने कहा कि एनडीए सरकार ने भ्रष्टाचार और लालफीताशाही को खत्म किया है। वाणिज्य और उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने इसे देश के लिए दिवाली का तोहफा बताया और कहा कि सरकार रैंकिंग में सुधार के लिए और प्रयास करेगी।

पहले नंबर पर कौन?
कारोबार सुगमता रैंकिंग में न्यू जीलैंड शीर्ष पर है। उसके बाद क्रमश: सिंगापुर, डेनमार्क और हांगकांग का नंबर आता है। सूची में अमेरिका 8वें, चीन 46वें और पाकिस्तान 136वें स्थान पर है। विश्व बैंक ने इस मामले में सबसे अधिक सुधार करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में भारत को दसवें स्थान पर रखा है।
विश्व बैंक की यह रैंकिंग 10 मानदंडों मसलन कारोबार शुरू करना, निर्माण परमिट, बिजली कनेक्शन हासिल करना, कर्ज हासिल करना, टैक्स भुगतान, सीमापार कारोबार, अनुबंध लागू करना और दिवाला मामले का निपटान पर आधारित होती है।

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