इ पंचायतों की आड में ६५ लाख का घोटाला
जिला पंचायत ने ताक पर रखे सरकारी निर्देश,प्रदेश में कई स्थानों पर गडबड़ी
रतलाम,२३ अगस्त (इ खबरटुडे)। राष्ट्रीय इ गवर्नेस कार्यक्रम के तहत पंचायतों को इ पंचायतों में बदलने की महत्वाकांक्षी योजना जिला पंचायत के अफसरों की कमाई का साधन बनकर रह गई है। अकेले रतलाम जिला पंचायत में ही ६५ लाख का घोटाला होने की जानकारी सामने आई है। प्रदेश में रतलाम मन्दसौर समेत अनेक जिलों में इस योजना में घोटाले होने की खबर है। सांसद प्रेमचंद गुड्डु ने इस तरह के घोटालों की विस्तृत शिकायतें भी की है।
राष्ट्रीय इ गवर्नेस कार्यक्रम के तहत देश की समस्त ग्राम पंचायतों को कम्प्युटरीकृत कर इ पंचायत में बदलने की चरण बध्द योजना बनाई गई है। योजना के प्रथम चरण में रतलाम जिले की ६५ पंचायतों का चयन किया गया था। इन सभी पंचायतों को सारे साधनों से लैस कम्प्यूटर प्रदान किए जाने है जिससे कि ग्राम पंचायत इन्टरनेट के माध्यम से पूरे विश्व से जुड सके।
पंचायतों के कम्प्यूटरीकरण के लिए केन्द्र सरकार ने विस्तृत दिशा निर्देश जारी किए थे,लेकिन जिला पंचायत के अफसरों ने सरकार के दिशा निर्देशों को ताक पर धर कर अपनी जेबें गर्म कर ली।
जिला पंचायत के सूत्रों के मुताबिक जिला पंचायत को ६५ कम्प्यूटर व अन्य उपकरण क्रय करने के लिए ६५ लाख रु.की राशि आवंटित की गई थी। इस राशि में जहां कम्प्यूटर व अन्य उपकरण क्रय करना थे,वहीं इन उपकरणों का मैन्टनैंस भी इसी राशि से होना था।
जिला पंचायत के अधिकारियों ने पहले दिन से ही सरकारी दिशा निर्देशों को ताक पर रखना शुरु कर दिया। शासन के निर्देश थे कि कम्प्यूटर क्रय करने के लिए एनआईसी के कम्प्यूटर विशेषज्ञों के साथ समिति गठित की जाना थी,लेकिन जिला पंचायत ने एनआईसी को इस समिति से पूरी तरह दूर रखा। जिला पंचायत के ऐसे अधिकारियों की क्रय समिति बनाई गई जिन्हे कम्प्यूटर के बारे में कोई जानकारी या विशेषज्ञता हासिल नहीं थी। शासन ने कम्प्यूटर के स्पेसिफिकेश भी स्पष्ट किए थे,जिससे कि कम्प्यूटर उच्च गुणवत्ता के ही हो। लेकिन रतलाम जिला पंचायत के अफसरों ने अपनी मनमर्जी से गठित क्रय समिति की अनुशंसा के आधार पर लघु उद्योग निगम को ६५ कम्प्यूटर प्रदाय करने का आदेश जारी कर दिया।
सूत्र बताते है कि शासन द्वारा जारी दिशा निर्देशों के मुताबिक कम्प्यूटरों में ओरिजनल विंडोज ७ होना अनिवार्य रखा गया था। वैसे भी मध्यप्रदेश सरकार का माइक्रोसाफ्ट कम्पनी के साथ करार है कि म.प्र.सरकार द्वारा क्रय किए जाने वाले कम्प्यूटरों में विडोंज के ओरिजनल प्रोग्राम ही डाले जाएंगे। पाईरेटेड वर्शन नहीं डाले जाएंगे। चूंकि जिला पंचायत द्वारा बनाई गई क्रय समिति में कम्प्यूटर के जानकार थे ही नहीं इसलिए उन्हे ओरिजनल और पाईरेटेड विन्डोज का अन्तर तक नहीं मालूम। नतीजा यह हुआ कि इ पंचायतों के लिए क्रय किए गए ६५ कम्प्यूटरों में से किसी में भी ओरिजनल विन्डोज सेवन नहीं डाला गया। शासन ने कहा था कि इ पंचायतों को कम्प्यूटर के साथ प्रिन्टर और स्केनर अलग अलग खरीदे जाए लेकिन जिला पंचायत द्वारा थ्री इन वन प्रिन्टर क्रय कर लिए गए। इतना ही नहीं प्रत्येक कम्प्यूटर के साथ यूपीएस खरीदा जाना था जो मात्र करीब २२०० रुपए का आता है। लेकिन जिला पंचायत के विद्वान अधिकारियों ने कम्प्यूटरों के साथ यूपीएस की बजाय पच्चीस हजार रुपए कीमत के इन्वर्टर खरीद लिए। सूत्र बताते है कि इन इन्वर्टरों की फिटिंग के लिए पृथक से दो-दो हजार रु.फिटिंग चार्ज भी अदा किया गया। जिला पंचायत ने इन ६५ कम्प्यूटरों के साथ ग्राफिक कार्ड और दो जीबी रेम जैसी कई अनुपयोगी चीजें भी खरीद ली। इन चीजों का पंचायतों में कहीं भी कोई उपयोग नहीं है।
कुल मिलाकर जिला पंचायत के अधिकारियों ने इ पंचायतों के नाम पर लाखों रुपए की आय जुटा ली। इस तरह इ पंचायत के पहले ही चरण में जिला पंचायत के अफसरों की चान्दी हो गई।
कमोबेश यही कहानी प्रदेश की अनेक जिला पंचायतों में दोहराई गई है। मन्दसौर जिला पंचायत द्वारा किए गए घोटाले की शिकायत सांसद प्रेमचन्द गुड्डु ने सीधे केन्द्र सरकार को की है। केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश को भेजी अपनी शिकायत में सांसद श्री गुड्डु ने बताया है कि जिला पंचायत मन्दसौर में भी कम्प्यूरों का कान्फिगरेशन पूरी तरह बदल दिया गया है। शासन ने कोर आइ थ्री सेकण्ड जेनरेशन के कम्प्यूटर खरीदने के निर्देश दिए थे,लेकिन जिला पंचायत मन्दसौर ने कोर आइ थ्री फस्र्ट जेनरेशन के कम्प्यूटर खरीदे। इनकी कीमतों और गुणवत्ता में भारी अन्तर है। इसी तरह मन्दसौर जिला पंचायत ने कई औचित्यहीन सामग्रियों को भी क्रय किया जिनकी कोई आवश्यकता ही नहीं थी।
कम्प्यूटरीकरण का यह घोटाला प्रदेश की कई जिला पंचायतों में होने की खबर है। यदि सभी जिलों में हुए घोटालों को एक साथ देखा जाए तो यह घोटाला में कई करोडों तक पंहुच सकता है। सांसद प्रेमचन्द गुड्डु ने अपनी शिकायत में मांग की है कि जिला पंचायत द्वारा क्रय की गई इन सामग्रियों का भौतिक सत्यापन कम्प्यूटर विशेषज्ञों के दल से करवाया जाए और भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारियों के विरुध्द कडी कार्रवाई की जाए।