April 28, 2024

आलू आयात का निर्णय किसान विरोधी-केलकर

भारतीय किसान संघ ने दी आन्दोलन की चेतावनी

नई दिल्ली,25 अक्टूबर (इ खबरटुडे)। भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय महामंत्री prabhakarjiप्रभाकर केलकर ने कहा है कि केन्द्र सरकार द्वारा लिया गया आलू के आयात का निर्णय पूर्णत: किसान विरोधी है। केन्द्र सरकार को यह निर्णय वापस लेना होगा अन्यथा किसानों और देश के हित में भारतीय किसान संघ इस निर्णय के विरुध्द देशव्यापी आन्दोलन छेडेगा।
भारतीय किसान संघ द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में राष्ट्रीय महामंत्री श्री केलकर ने कहा है कि भारतीय किसान संघ सदैव किसान हितैषी एवं किसानों के प्रति समर्पित रहकर भारत व भारतीय किसानों को आत्मनिर्भर बनाते हुए स्वावलंबन की ओर अग्रसर करते हुए देश के भण्डार भरने की बात करता है। लेकिन केन्द्र सरकार के किसान विरोधी निर्णय के कारण किसान जगत में आक्रोश पनप रहा है। उन्होने कहा कि केन्द्र सरकार को तुरंत आलू के आयात का निर्णय वापस लेना चाहिए। वरना पूरे देश में किसान आन्दोलन करेंगे और केन्द्र सरकार को किसानों के गुस्से का सामना करना पडेगा।
आलू आयात से होने वाली समस्याओं को स्पष्ट करते हुए श्री केलकर ने बताया कि केन्द्र सरकार द्वारा लिए गए आलू आयात के फैसले के बाद विदेशों से आलू आयात करने में कम से कम एक माह का समय लगेगा। तब तक देश के खेतों का आलू बाजार में आ जाएगा और देश में आलू आवश्यकता से अधिक हो जाएंगे। ऐसी स्थिति में भारतीय किसानों को अपना आलू घाटे में ही बेचना पडेगा। उन्होने कहा कि आलू आयात किए जाने से भारतीय किसानों के हित प्रभावित होंगे। देश के सामान्य किसान व अन्य शहरी जनजीवन भी इस फैसले से प्रभावित होगा। देश के कई प्रदेशों में आलू उत्पादन को प्रमुखता दी जाती है। जिससे किसानों की जीविका और सामाजिक व आर्थिक सामंजस्य प्रभावित होता है। यदि केन्द्र सरकार द्वारा आलू का आयात किया जाएगा तो अगेती फसल उत्पादक किसानों को काफी नुकसान होगा। अगेती कृषि करने वाले किसान सामान्य से कहीं अधिक लागत अपनी फसल पर खर्च करते है। चूंकि देश में अगेती आलू की फसल बाजार में आने के लिए लगभग तैयार हो चुकी है,ऐसे समय पर विदेशी आलू के देशी बाजार में आने से किसानों को उनकी मेहनत का मूल्य नहीं मिल पाएगा।
श्री केलकर ने कहा कि केन्द्र सरकार ने अपने चुनावी घोषणापत्र एवं आम सभाओं में घोषणा की थी कि किसानों उनके द्वारा उत्पादित फसल पर लागत मूल्य और उस पर पचास प्रतिशत लाभांश जोडकर दिया जाएगा। लेकिन आलू आयात के फैसले से सरकार अपने वादों से पलटती हुई दिखाई दे रही है। श्री केलकर ने कहा कि केन्द्रीय कृषि मंत्री  माननीय राधेमोहन सिंह कहते है कि आलू की वर्तमान बढी हुई कीमतों को नियंत्रण में लाने के लिए आलू आयात का फैसला लिया गया है। श्री केलकर ने अपने बयान में केन्द्रीय कृषिमंत्री को आडे हाथों लेते हुए कहा है कि क्या उन्होने कभी आढतियों और बिचौलियों द्वारा आलू का भण्डारण कर आलू की कृत्रिम कमी उत्पन्न कर भाव बढाने वालों के खिलाफ कोई कार्यवाही की है या कार्यवाही करने का विचार भी किया है। यदि केन्द्र सरकार आलू की जमाखोरी करने वालों के खिलाफ कार्यवाही करेगी तो वास्तविकता सामने आएगी कि आलू की कमी कृत्रिम है।
श्री केलकर ने कहा कि भारतीय किसान अपनी स्थिति और आवश्यकता के अनुसार अपनी फसल को कम दामों में आढतियों और बिचौलियों को बेच देता है क्योकि उपयुक्त भण्डारण की क्षमता किसानों की पंहुच में नहीं है,और ना ही सरकार द्वारा भण्डारण की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। भारतीय किसान काफी असहाय होता जा रहा है। आज भी देश में आलू के भण्डार भरे पडे है,लेकिन वे सब आढतियों और बिचौलियों के है।
श्री केलकर ने केन्द्र सरकार को सुझाव दिया ैहै कि वे आढतियों और बिचौलियों के भण्डारों भरे गए आलू को मुक्त करवाए। आलू की कीमतों को नियंत्रण में लाने के लिए आलू के आयात की नहीं जमाखोरी को रोकने की जरुरत है। भारतीय किसान संघ आलू आयात के निर्णय की कडी निन्दा करता है।

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