May 18, 2024

अब सिंहस्थ प्रचार-प्रसार के लिये संभागीय अधिकारी की जरुरत

रुटीन कार्य में ही व्यस्त रहता है वर्तमान स्टाफ

उज्जैन,15 सितम्बर(इ खबरटुडे)। सिंहस्थ-2016 को लेकर संभागायुक्त प्रचार-प्रसार के लिये पिछले काफी दिनों से अपनी बैठकों में अपेक्षाएं जता रहे हैं। सिंहस्थ संबंधी प्रचार-प्रसार के लिये सामग्री को लेकर जनसंपर्क विभाग में अपनी तैयारियां शुरु कर दी हैं। प्रचार-प्रसार सामग्री तैयारी के लिये अलग से स्टाफ की आवश्यकताएं भी प्रतीत होती हैं। वर्तमान स्टाफ रुटीन के समाचारों के साथ ही कार्यों में व्यस्त होकर रह जाता है। ऐसे में संभागीय कार्यालय में संभागीय अधिकारी के साथ और अधिक स्टाफ यहां पदस्थ करने से प्रचार-प्रसार का काम अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक किया जा सकेगा।
सिंहस्थ 2016 को लेकर किये जा रहे कार्यों में जनसंपर्क विभाग की भूमिका अतिमहत्वपूर्ण बन गई है। 5 करोड़ श्रध्दालुओं के आगमन के साथ ही सिंहस्थ आयोजन की व्यवस्थाओं और सिंहस्थ के स्नान के साथ ही सिंहस्थ से संबंधित जानकारियों का प्रचार-प्रसार इसी विभाग के जिम्मे रहेगा। राष्ट्रीय से लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक प्रचार-प्रसार के लिये सामग्रियों का प्रकाशन भी विभाग अपने स्तर पर करेगा। यहां तक कि सिंहस्थ को लेकर बड़े स्तर पर विज्ञापन प्रदर्शन भी किये जायेंगे। इतने बड़े धार्मिक आयोजन के प्रचार-प्रसार के लिये संभागायुक्त अपनी सभी बैठकों में चिंताएं व्यक्त करते आ रहे हैं। यहां तक कि पर्यटन विकास निगम और तमाम विभागों से वे उज्जैन और सिंहस्थ से संबंधित प्रचार-प्रसार की सामग्री तैयार करने की अपेक्षाएं जता चुके हैं। सिंहस्थ में 13 अखाड़ों का महत्व जैसे विषय भी इसमें महत्वपूर्ण हैं। सिंहस्थ प्रचार-प्रसार के लिये वर्तमान स्टाफ के अतिरिक्त स्टाफ की आवश्यकताएं अपेक्षित की जा रही हैं। सिंहस्थ के वर्तमान कार्यों और जिले के रुटीन समाचारों में एक अधिकारी सहित वर्तमान स्टाफ पूरी तरह से व्यस्त हो जाता है। सिंहस्थ के प्रचार-प्रसार एवं सिंहस्थ से संबंधित सामग्री लेखन और प्रकाशन की तैयारी की स्थिति को देखते हुए उज्जैन के संभागीय जनसंपर्क कार्यालय में संयुक्त संचालक स्तर के अधिकारी की पदस्थी अब आवश्यक होती जा रही है। सिंहस्थ 1992 और 2004 के समय संयुक्त संचालक स्तर के अधिकारियों के हाथों में ही प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारियां रही हैं।
इधर बताया जा रहा है कि प्रचार-प्रसार के लिये श्रव्य साधनों से पत्र व्यवहार किये जा रहे हैं। प्रचार-प्रसार का कार्य जिस गति से होना चाहिये और प्रकाशन सामग्री जितनी जल्दी बाहर आयेगी, उससे यादा से यादा प्रचार-प्रसार हो सकेगा। यही नहीं सिंहस्थ से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य और आयोजन की रुपरेखा से संबंधित साहित्य प्रकाशन की गुणवत्ता भी उसी समय बन पायेगी, जबकि अभी से उसके लिये अलग से एक टीम कार्य करेगी। इसी तरह से और भी कई प्रकाशन सामग्रियां रहेंगी, जिन्हें लेकर अभी से कार्य किया जाना बेहतर प्रचार-प्रसार की दिशा में मजबूत कदम होगा।

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