December 24, 2024
srinagar

(जम्मू कश्मीर और लद्दाख से लौटकर तुषार कोठारी)

रतलाम,17 सितंबर (इ खबरटुडे)। अनुच्छेद 370 हटने के बाद कश्मीर घाटी की स्थिति को लेकर जितने भी कयास लगाए जा रहे है,वे कश्मीर घाटी में पंहुचने के बाद पूरी तरह गलत साबित हो जाते है। उपरी तौर पर तो घाटी के श्रीनगर जैसे प्रमुख शहरों में बाजार बंद दिखाई देते है,लेकिन लोगों की रोजमर्रा की जरुरतें पूरी हो रही है। तनाव का माहौल नहीं है और सडक़ों पर बेरोकटोक आवाजाही चल रही है। जम्मू कश्मीर और लद्दाख का जायजा लेने गए रतलाम के पांच सदस्यीय दल ने मोहर्रम के दिनों में कश्मीर घाटी का दौरा किया।
अलग ढंग से मनता है मोहर्रम

कश्मीर घाटी में मोहर्रम अलग ढंग से मनाया जाता है। यहां मध्यप्रदेश में मोहर्रम का जुलूस रात से शुरु होकर अगले दिन सुबह तक निकलता है और जुलूस में ताजिये निकाले जाते है। शिया और सुन्नी दोनो ही मोहर्रम के जुलूस में शामिल होते है। शिया मतावलंबी शोकस्वरुप काले कपडे पहन कर जुलूस में शामिल होते है। लेकिन कश्मीर घाटी में मोहर्रम का जुलूस नहीं निकाला जाता। मोहर्रम के दिन शिया बहुल इलाकों में सडक़ों पर मोहर्रम का मातम मनाया जाता है और सडक़ें जाम हो जाती है। सुन्नी मतावलंबी मोहर्रम के इस मातम में शामिल नहीं होते।
दल के सदस्यों ने कारगिल,द्रास और सोनमर्ग में मोहर्रम के मातम को देखा। मोहर्रम का मातम मनाने में महिलाएं भी काले कपडे पहन कर शामिल होती है। सोनमर्ग में मनाए जा रहे मोहर्रम के मातम के दौरान सडक़ें खून से लाल हो रही थी। मातम मनाने वालो के साथ में एंबूलैंस और मेडीकल टीम साथ में ही चल रही थी। मातम मनाने के दौरान अधिक खून बह जाने से कई युवा बेहोश हो रहे थे और उन्हे फौरन एंबूलैंस में डाल कर मेडीकल मदद दी जा रही थी। मातम मनाने वाली महिलाएं छाती तो कूटती है,लेकिन रक्तरंजित नहीं होती।

कोई रोकटोक नहीं है श्रीनगर में

मोहर्रम के ही दिन श्रीनगर पंहुचे यात्रा दल को यह आशंका थी कि शहर में प्रवेश के दौरान पूछताछ या रोक टोक होगी,लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। सुरक्षा कर्मी चप्पे चप्पे पर तैनात थे,लेकिन सडक़ों पर आम लोगों का आवागमन सामान्य तौर पर हो रहा था। आम लौग पैदल और वाहनों से इधर उधर आ जा रहे थे। सडक़ों पर सामान्य आवाजाही नजर आ रही थी। कहने को तो सारे बाजार बंद थे,लेकिन रोजमर्रा की जरुरतें पूरी करने वाली दुकानें या तो पूरी खुली थी,या आधा शटर गिराकर कामकाज चल रहा था। सब्जी,फल,किराना और मेडीकल आदि की दुकानें सामान्य रुप से चल रही थी।

पर्यटक नदारद,होटलों पर तालें

अनुच्छेद 370 हटाए जाने के मद्देनजर कश्मीर में मौजूद सभी पर्यटकों को वहां से बाहर निकाल दिया गया था। उसके बाद से पर्यटकों को यहां नहीं आने की सलाह दी गई थी। इस वजह से श्रीनगर में पर्यटक नदारद है। इस क्षेत्र का मुख्य व्यवसाय ही पर्यटन है। पर्यटकों के नहीं होने से पर्यटन उद्योग पूरी तरह ठप पडा है। होटलों और रेस्टोरेंट्स पर ताले पडे हुए है।

कहीं कोई तनाव नहीं

श्रीनगर और अनंतनाग जैसे कस्बों और घाटी के पूरे हाईवे के भ्रमण के दौरान स्थानीय निवासियों में कहीं कोई तनाव देखने को नहीं मिला। मोहर्रम मनाने वाले शिया मतावलंबी और सुन्नी समुदाय के लोग सडक़ों पर मौजूद थे। धारा 144 लागू होने के कारण लोग एकत्रित नहीं हो सकते। लेकिन तनाव जैसा कोई माहौल कहीं भी नजर नहीं आया। स्थानीय निवासियों से हुई चर्चा में यह तथ्य सामने आया कि दुकानें बंद रख कर लोग प्रतीकात्मक विरोध दर्शाने का तो प्रयास कर रहे हैं,लेकिन बडी संख्या में ऐसे लोग भी है,जिन्हे अनुच्छेद 370 हटाए जाने में राज्य का फायदा नजर आ रहा है। हांलाकि ऐसे लोगों को भी अलगाववादियों के दबाव में अपना व्यवसाय बंद रखना पड रहा है। अधिकांश लोगों की नाराजगी सिर्फ इतनी है कि अनुच्छेद 370 हटाए जाने से पहले सरकार ने घाटी के लोगों को विश्वास में नहीं लिया। अधिकांश लोग तो यह मान रहे है कि अब 370 इतिहास की बात हो चुकी है और अब इसमें कोई बदलाव नहीं हो सकता,लेकिन मुख्य धारा के नेताओं की नजरबंदी से भी लोगों में नाराजगी है।

लद्दाख और जम्मू में खुशी का माहौल

अनुच्छेद 370 हटने और राज्य के विभाजन से पहले जम्मू कश्मीर में लद्दाख भी शामिल था। लद्दाख को अलग से केन्द्रशासित प्रदेश बनाए जाने से लद्दाख घाटी में खुशी का माहौल है। लद्दाख के आम लोग,कारोबारी दुकानदार और शासकीय कर्मचारी हर कोई लद्दाख के अलग हो जाने से खुश हैं। उन्हे उम्मीद है कि अब लद्दाख का पूरी तरह से विकास हो सकेगा। लद्दाख वासियों का मानना है कि उनके हिस्से की सारी राशि कश्मीर वाले हडप जाया करते थे,लेकिन अब कश्मीर से अलग हो जाने के बाद उन्हे उनके हिस्से की पूरी राशि मिलने लगेगी।

इसके विपरित जम्मू में घाटी से सटे मुस्लिम बहुल बनिहाल जैसे कस्बों में माहौल पूरी तरह सामान्य है। हांलाकि यहां के निवासी चर्चा के दौरान यही नाराजगी जताते है कि 370 हटाने के पहले घाटी के लोगों को विश्वास में लिया जाना चाहिए था। जम्मू कश्मीर पुलिस में पदस्थ एक अधिकारी ने चर्चा के दौरान कहा कि जम्मू क्षेत्र के लोग तो पहले से ही भारत के साथ है,लेकिन अनुच्छेद 370 इस तरह से नहीं हटाया जाना चाहिए था। उक्त अधिकारी का कहना था कि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि अनुच्छेद 370 समाप्त होने से राज्य को फायदा होगा या नुकसान,लेकिन अब केन्द्र सरकार की जिममेदारी बढ गई है। केन्द्र सरकार को कश्मीर के निवासियों में भरोसा कायम करने के लिए बडे कदम उठाने पडेंगे। आगे की परिस्थितियां इसी पर निर्भर करेंगी कि केन्द्र सरकार कश्मीर के लिए कितनी गंभीरता से कदम उठाती है?

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