November 16, 2024

अनुच्छेद 35A : SC ने 27 अगस्त तक टाली सुनवाई, CJI बोले- तीन जजों की बेंच करेगी सुनवाई

नई दिल्ली,06 अगस्त(इ खबरटुडे)। सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर को विशेषाधिकार देने वाले अनुच्छेद 35A में बदलाव की मांग से जुड़ी याचिका पर सुनवाई 27 अगस्त तक टाल दी है. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने कहा इस मामले पर तीन जजों को सुनवाई करनी है. उनमें से एक आज नहीं आए हैं, इसलिए आज इस पर सुनवाई नहीं की जा सकती है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि तीन जजों की बेंच अगली सुनवाई में यह तय करेगी कि क्या यह मामला संवैधानिक बेंच के पास भेजा जाए या नहीं.  इस याचिका को लेकर जम्मू-कश्मीर में माहौल काफी तनावपूर्ण है. 35A के समर्थन में अलगाववादी संगठनों ने रविवार और सोमवार को जहां बंद का ऐलान किया है, वहीं अमरनाथ यात्रा भी दो दिनों के लिए रोक दी गई है. हालांकि राजनीतिक दलों का कहना है कि अनुच्छेद 35A की मौजूदा स्थिति को बनाए रखा जाए. नेशनल कांफ्रेंस,पीडीपी, सीपीएम और कांग्रेस इस अनुच्छेद के समर्थन में हैं.

अनुच्छेद 35 ए से जुड़ी याचिका दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने कहा इस मामले पर तीन जजों को सुनवाई करनी थी. उनमें से एक आज नहीं आए हैं, इसलिए आज इस पर सुनवाई नहीं की जा सकती है.सीजेआई मिश्रा ने कहा, ‘हमें यह देखना होगा कि क्या 35ए संविधान की मूल संरचना के खिलाफ है. बेंच यह भी देखेगी कि क्या यह मामला संविधान पीठ के समक्ष भेजे जाने की जरूरत है.’ प्रधान न्यायाधीश ने इसके साथ ही याचिका पर अगली सुनवाई के लिए 27 अगस्त को मुकर्रर की है.

अनुच्छेद 35 ए को हटाने की मांग से जुड़ी याचिका पर जम्मू कश्मीर सरकार की तरफ से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जेनरल तुषार मेहता ने इस मामले की सुनवाई टाल की मांग की. हालांकि याचिकाकर्ता ने आज ही सुनवाई करवाए जाने की मांग करते हुए कहा कि सरकार किसी न किसी वजह से यह मामला मुलतवी करवाना चाहती है.

राज्य बीजेपी के मुख्य प्रवक्ता सुनील सेठी ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘बीजेपी किसी भी व्यक्ति या किसी भी राजनीतिक दल से इस बात पर चर्चा करने के लिए तैयार है कि अनुच्छेद 35 ए राज्य के लोगों के हित में है या नहीं. हम खुला निमंत्रण देते हैं.’ उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 35 ए को लेकर पिछले कुछ दिनों से राज्य का राजनीतिक माहौल गर्म है और कुछ राजनीतिक दलों और खासकर कश्मीर में सक्रिय दलों ने इस मुद्दे पर ‘देश विरोधी और जनविरोधी’ रुख अपनाया है.

नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस को निशाना बनाते हुए सेठी ने कहा कि अनुच्छेद 35 ए पर राज्य के लोगों को गुमराह किया जा रहा है. उन्होंने कहा, ‘अनुच्छेद 35 ए को जारी रखे जाने से राज्य को कोई फायदा नहीं होगा. केंद्र सरकार ने पिछले 70 वर्षों में राज्य को करोड़ों रुपये दिये लेकिन उतना विकास नहीं हुआ जितना होना चाहिए था.’ उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 35 ए राज्य के विकास में बाधा है क्योंकि इससे बाहरी निवेश नहीं हुआ है.

अपनी बेबाक राय रखने के लिए जाने-जानेवाले IAS अधिकारी शाह फैसल ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 35ए को रद्द करने से देश के बाकी हिस्से से जम्मू कश्मीर का संबंध खत्म हो जाएगा. उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ‘मैं अनुच्छेद 35 ए की तुलना निकाहनामा से करूंगा. आप इसे समाप्त करते हैं तो रिश्ता खत्म हो जाएगा. उसके बाद चर्चा के लिये कुछ भी नहीं बचेगा.’

फैसल ने कहा कि जम्मू कश्मीर का विलय भारत के संविधान के लागू होने से पहले हुआ. उन्होंने कहा, ‘हां, जो लोग कहते हैं कि विलय अब भी कायम है, वे यह भूल जाते हैं कि विलय ‘रोका’ की तरह था, क्योंकि उस वक्त संविधान लागू नहीं हुआ था.’ उन्होंने कहा, ‘अगर निकाहनामा को समाप्त कर दिया जाता है तो क्या तब भी रोका दो लोगों को बांधे रख सकती है.’

RSS से जुड़े संगठन ने 35A को रद्द करने की दी थी याचिका
आरएसएस से जुड़े गैर सरकारी संगठन अनुच्छेद 35A को खत्म करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी थी. संगठन की मांग है कि संवैधानिक पीठ द्वारा 35A से जुड़ी याचिका की सुनवाई हो. सिविल सोसाइटी के जम्मू-कश्मीर चैप्टर के संयोजक चेतन शर्मा ने कहा, ‘सुनवाई फिर से स्थगित करने की कोई जरूरत नहीं है.  हम सोमवार को हमारे वकील के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट को बताने जा रहे हैं कि अनुच्छेद 35A पर हमारी याचिका की सुनवाई संवैधानिक पीठ द्वारा की जाए.

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