November 8, 2024

सृष्टि की उत्पत्ति के बारे में जानकारी दी श्री कासलीवाल ने

प्रगत प्रौद्योगिक केन्द्र के सौजन्य से कण और प्रकाष सप्ताह के अन्तर्गत प्रदर्षनी

उज्जैन 25 जून(इ खबरटुडे)। राजा रमन्ना प्रगत प्रौद्योगिक केन्द्र, इन्दौर के वैज्ञानिक अपोलो कासलीवाल ने विक्रम विष्वविद्यालय के स्वर्ण जयन्ती सभागार में आयोजित कण और प्रकाष सप्ताह के अन्तर्गत तीसरे दिन विषिष्ट व्याख्यान में विद्यार्थियों को फंडामेंटल पार्टीकल्स के बारे में जानकारी प्रदान की।
समस्त सृष्टि की उत्पत्ति के बारे में जानकारी देते हुवे उन्हौने यह भी बताया कि इस अध्ययन के लिये त्वरकों का उपयोग कैसे किया जाता है। राजा रमन्ना प्रगत प्रौद्योगिक केन्द्र, में स्थित त्वरक इण्डस1एवं इण्डस 2 के उपयोगों पर प्रकाष डाला।
आयोजन में श्री कासलीवाल ने उन्हौने बडी संख्या में उपस्थित विद्यार्थियों को इन्दौर स्थित आर.आर.केट में विकसित सिंक्रोटोन-रेडिएषन सोर्सेस, लेजर टेक्नाॅलाॅजी आदि के अवगत कराया।
इस अवसर पर आर.आर.केट, इन्दौर के वैज्ञानिक अमलेंदु शर्मा ने अपने व्याख्यान सिंक्रोट्रोन रेडियेषन स्त्रोत के बारे में बनाया एवं आर.आर.केट स्थित इण्डस सिंक्रोट्रोन रेडियेषन स्त्रोतों से अवगत कराया।
विद्यार्थियों को प्रदर्षनी अवलोकन करते हुए अपनी जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त किया। विक्रम विष्वविद्यालय एवं राजा रामन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केन्द्र, इन्दौर कण और प्रकाष विज्ञान सप्ताह के तीसरे दिन दिनांक 25 जून को विभिन्न अध्ययनषालाओं, महाविद्यालयों एवं स्कूल के विद्यार्थियों ने प्रदर्षनी का अवलोकन किया। प्रदर्षनी में प्रदर्षित माडल सम्पर्क रहित पाॅवर ट्रासफर ऐडी करंट के प्रयोग से अन्य रंगों का निर्माण , इलेक्ट्रान डिस्कवरी का प्रयोग,वायर कंटिग फाईबर आटिकस आदि के उपयोग की तकनीक की जानकारी दी गई।
कल दिनांक 26 जून को प्रातः 11.00 बजे से निबन्ध,चित्रकला और क्वीज की प्रतियोगिताएं होगी। निबन्ध के निम्न विषयों में से किसी एक पर लेखन करना होगा 1 राष्ट्र की सेवा में कण एवं प्रकाष विज्ञान 2. विज्ञान और तकनीक जगत में भारत का योगदान 3. राजा रमन्ना प्रगत प्रौद्योगिक केन्द्र, इन्दौर में त्वरक एवं लेजर अनुसंधान विकास कर्याक्रम।चित्रकला के लिये दैनिक जीवन में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का महत्व विषय रखा गया है।
अयोजन में सरस्वती षिषु मन्दिर ऋषिनगर,क्रीष ज्योति कांनवेन्ट, क्षीरसागर कन्या विद्यालय ,भारतीय ज्ञानपीठ एवं उत्कृष्ट विद्यालय सहित कई  विद्यालयों के लगभग चार सौ पच्चास से अधिक  विद्यार्थी कार्यक्रम में उपस्थित रहे।

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