सकलेचा को टिकट दिया तो अल्पसंख्यक नहीं देंगे कांग्रेस को वोट,काजी की चेतावनी पर आए पर्यवेक्षक ने जानी कांग्रेसजनों की राय
रतलाम,23 अक्टूबर(इ खबरटुडे)। कांग्रेस के टिकट चुनाव लडने की इच्छा लेकर कांग्रेस में आए पारस सकलेचा के लिए बुरी खबर है। शहर के चीफ काजी आसिफ अली ने कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ को पत्र लिख कर चेतावनी दी है कि अगर कांग्रेस ने पारस सकलेचा को टिकट दिया तो अल्पसंख्यक कांग्रेस को वोट नहीं देंगे। कांग्रेस ने भी इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पर्यवेक्षक को रतलाम भेजा है। कांग्रेस द्वारा भेजे गए पर्यवेक्षक ने मंगलवार को कांग्रेस संगठन के नेताओं व टिकट के दावेदारों से वन टू वन चर्चा कर उनकी राय भी जानी।
शहर के चीफ काजी आसिफ अली द्वारा पीसीसी चीफ कमलनाथ को बेहद कडा पत्र लिखा गया था। अपने पत्र में काजी ने पीसीसी चीफ को साफ शब्दों में चेतावनी दी थी कि यदि सकलेचा को कांग्रेस का टिकट दिया गया,तो अल्पसंख्यक कांग्रेस को वोट नहीं देंगे और जरुरत पडी तो सकलेचा के खिलाफ अल्पसंख्यक उम्मीदवार को निर्दलीय चुनाव भी लडा देंगे।
कांग्रेस ने इस चेतावनी को बडी गंभीरता से लिया है। कांग्रेस के सूत्रों के मुताबिक नई दिल्ली से राजवीर सिंह को पर्यवेक्षक बनाकर भेजा गया है। मंगलवार को कांग्रेस पयर्यवेक्षक राजवीर सिंह ने संगठन के पदाधिकारियों और टिकट के दावेदारों से वन टू वन चर्चा कर उनकी राय भी जानी। उल्लेखनीय है कि पारस सकलेचा को पिछले दिनों दिग्विजय सिंह फिर से कांग्रेस में लाए थे और उन्हे कांग्रेस का टिकट देने का आश्वासन भी दिया गया था।
क्या लिखा है चीफ काजी ने पत्र में
पीसीसी चीफ कमलनाथ को भेजे इ मेल में कहा है कि पारस सकलेचा अपने जीवन में कुल 70 दिन कांग्रेसी रहे हैं। दलबदल उनकी आदत में शामिल है। पारस सकलेचा का इतिहास बताते हुए आसिफ काजी ने बताया कि श्री सकलेचा 1998 में निर्दलीय महापौर बने और बीजेपी पार्षदों के साथ मिलकर एमआईसी बनाई। 2003 में कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव लडकर हारे और कांग्रेस के निष्ठावान नेताओं कार्यकर्ताओं पर हार का ठीकरा फोडा। इस दौरान कुल ढाई महीने कांग्रेस में रहे। 2004 में मालवा देशम पार्टी बनाई और लोकसभा चुनाव में भाजपा के समर्थन में काम किया। 2004 में ही नगर निगम चुनाव में निर्दलीय महिला प्रत्याशी को चुनाव लडवाकर कांग्रेस प्रत्याशी श्रीमती हमीदन आरआर खान को चुनाव हरवाया। 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ आप पार्टी के टिकट पर मन्दसौर से चुनाव लडे। आसफि काजी ने पत्र में लिखा है कि वर्ष 2010 में जब अल्पसंख्यकों पर पुलिस ने अत्याचार किए थे,तो पारस सकलेचा घर से बाहर तक नहीं निकले थे,जबकि इन अत्याचारों के विरोध में 29 शहरों में मुस्लिम समाज ने ईद नहीं मनाई थी। अगर ऐसे पारस सकलेचा को कांग्रेस का टिकट दिया जाता है,तो यह वैसा ही होगा,जैसे कि जिसनें अपनी कबर खोदी उसी को कबर का मुजावर(खादिम) बना दिया जाए।
निष्ठावान कांग्रेसी को ही दें टिकट
आसिफ काजी ने पत्र में लिखा है कि पिछले पन्द्रह वर्षों से कांग्रेस सत्ता से बेदखल है। पिछले चुनाव में कांग्रेस ने कई जगहों पर उन लोगों को प्रत्याशी बनाया था,जिन्होने अपने कर्मों से कांग्रेस को नुकसान पंहुचाया था। इस बार मौका है कि कांग्रेस अच्छे प्रत्याशियों का चयन करके सत्ता हासिल कर सकती है।
आसिफ काजी ने अपने पत्र में लिखा है कि शहर में अनेक निष्ठावान कांग्रेसी नेता जैसे खुर्शीद अनवर,प्रेमलता दवे,अदिती दवेसर,यास्मीन शैरानी,वासिफ काजी,महेन्द्र कटारिया,निमिष व्यास,विजय सिंह चौहान,राकेश झालानी,सतीश पुरोहित मुबारिक खान आदि मौजूद है,जो सदैव कांग्रेस के साथ रहे हैं और कांग्रेस की मदद करते रहे हैं। चाटूकारों और दोगलों को टिकट देकर चुनाव हारने से अच्छा है कि निष्ठावान कांग्रेसी को टिकट देकर जीत हासिल की जाए।
आसिफ काजी ने अपने पत्र में लिखा है कि यदि कांग्रेस ने पारस सकलेचा को टिकट दे दिया,तो कांग्रेस फिर से चुनाव हार जाएगी। पारस सकलेचा के लिए अल्पसंख्यक समाज में इतना रोष है कि यदि कांंग्रेस ने उन्हे टिकट दे दिया,तो अल्पसंख्यक समाज का कोई प्रतिष्ठित व्यक्ति किसी अन्य दल से या निर्दलीय के रुप में चुनाव में खडा हो सकता है।