“वंदेमातरम् गीत का विभाजन हुआ, इसी लिए भारत का विभाजन हुआ”-
रतलाम,21 अगस्त (इ खबरटुडे)।अखण्ड भारत संकल्प दिवस का आज नगर में चौथा आयोजन हनुमान भाग के जैन स्कूल में सम्पन्न कर ,श्रंखला का समापन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथी विश्वास एकेडमी के सह संचालक कृष्णपाल सिंह पंवार रहे एवं मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समाजिक समरसता जिला संयोजक तथा महाविद्यालयीन इकाई रतलाम जिले के पालक सुरेन्द्र सिंह भामरा मंचासीन रहे ।सुरेन्द्र सिंह भामरा ने अखंड भारत की विस्तृत जानकारी देते हुए, भौगोलिक रचना के बारे में बताया कि हमारा अखंड भारत 1857 के पूर्व 83 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला था,लेकिन 1947 के बाद हमारा भारत मात्र 32 लाख 87 त्हजार वर्ग किलोमीटर का ही रह गया। अफगानिस्तान
1876,नेपाल 1904,भूटान 1906,तिब्बत 1914,श्रीलंका 1935,बर्मा 1937 व पाकिस्तान 1947 में हमसे अलग कर दिया गया ।1857 से 1947 तक हमारे देश का 50 लाख वर्ग किलोमीटर का भूभाग हमारा न रहा।
अंग्रजो की नीति रही है फुट डालो राज करो उन्होंने बंग-भंग की नीति बनाई जिसमे 1905 में बंगाल का विभाजन किया जाना था।पूर्व बंगाल तथा पश्चिम बंगाल, लेकिन बंगाल के लोगों ने तय कर लिया था कि हमे बंगाल का विभाजन नही होने देना है तथा बंगाल के लोगों ने एक दूसरे को पीला रक्षा सूत्र बांधकर यह संकल्प लिया कि जिस दिन बंगाल विभाजन की घोषणा की जाएगी उस दिन हम सब एक साथ इसका विरोध कर काला दिवस मनायेंगे।
16 अक्तूबर1905 को लार्ड कर्जन द्वारा घोषणा होते ही सकिर्तन प्रभातफेरी निकालकर ,गंगा नदी में स्नान कर सभी ने पीले रक्षासूत्र बांध विरोध प्रारंभ कर प्रण किया कि अंग्रेजो की इस नीति को सफल नही होने देना है,सभी लोगो ने दृढ़ता के साथ इसका विरोध किया ।लाल,बाल,पाल ने इस आंदोलन को राष्ट्रव्यापी बनाया। आंदोलनकारियों की दृढता के समक्ष अंग्रेजो को नत्मस्तक होकर 12दिसम्बर1911को बंग भंग का आदेश वापस लेना पडा।1923 में काकीनाड़ा सम्मेलन में वन्देमातरम का गायन श्री विष्णु पलुस्कर द्वारा किया जा रहा था।
लेकिन वही मंच पर बैठे कांगेस अध्यक्ष मोहम्मद अली जिन्ना ने वंदेमातरम का विरोध किया।परिणाम स्वरूप वंदेमातरम् से उनकी आपत्ति वाले शब्द एक कमेटी बनाकर हटा दिए गये और वंदेमातरम् का विभाजन कर दिया गया । वर्तमान मे खंडित व अधूरा वंदेमातरम ही गाया जाता है। जब कि इसी वन्देमातरम को गा कर हमें आज़ादी मिली थी।
यदि वंदेमातरम को उस समय खंडित नही किया जाता तो शायद आज अपना भारत भी अखंड होता। कुटील अंग्रेजों ने भारतीय मुस्लिमो को छलना आरंभ कर दिया और तुष्टिकरण की नीति निरंतर जारी रही,जिसके समक्ष भारतीय नेता कमजोर पडते गये। इसी की परिणीती 1947 के दुखद विभाजन के रूप में हुई। जो अंग्रेज भारत के बंगाल का विभाजन करने में सफल न हो सके,वे 1947का विभाजन कराने में सफल हो गये। सामाजिक समरसता और एकात्मा के अभाव में यह अंग्रेजों के समय का सातवां व कुल मिलाकर भारतवर्ष का यह 24वां विभाजन था। सम्पूर्ण कार्यक्रम की जानकारी देते हुए जिला प्रचार प्रमुख विवेक जायसवाल ने बताया कि कार्यक्रम का समापन खंडित भारत को अखंड बनाने के संकल्प एवं भारत माता की आरती के साथ सम्पन किया गया।