लोकायुक्त कर्मचारियों पर मारे जाए छापे-थेटे
रतलाम,१अप्रैल(इ खबरटुडे)। प्रदेश में लोकायुक्त पुलिस द्वारा भ्रष्ट कर्मचारियों के विरुध्द की जा रही कार्रवाईयों को संभाग के अपर आयुक्त रमेश थेटे ने सिरे से खारिज करते हुए इन कार्रवाईयों को महज दिखावा बताया है। कभी लोकायुक्त द्वारा रंगे हाथों पकडे गए श्री थेटे का कहना है कि अगर लोकायुक्त के कर्मचारियों के यहां छापे मारे जाए तो बेहिसाब सम्पत्ति सामने आएगी।
अपर आयुक्त श्री थेटे शनिवार को रतलाम आगमन के मौके पर पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे। उन्होने कहा कि यदि वास्तव में भ्रष्टाचारियों को सामने लाना है तो सबसे पहले लोकायुक्त एजेंसी में पदस्थ अधिकारियों के यहां छापे मारे जाना चाहिए। इससे असली भ्रष्टाचारी उजागर होंगे और बेहिसाब सम्पत्ति सामने आएगी। श्री थेटे ने लोकायुक्त पुलिस द्वारा भ्रष्टाचारियों को रंगे हाथों गिरफ्तार किए जाने की कार्रवाई को दिखावा बताते हुए कहा कि अधिकतर छापे फर्जी होते हैं। असली आरोपी तो शान से घूम रहे हैं।
उन्होने कहा कि लोकायुक्त की कार्रवाई में जातिवाद,भाई भतीजावाद,आर्थिक स्वार्थसिध्दी समेत कई गडबडियां शामिल होती है। आज तो यह हो रहा है कि स्वार्थसिध्दी नहीं होने पर छापे डाले जा रहे है। उन्होने कहा कि छापे डालने से उनका विरोध नहीं है लेकिन जब तक छापे डालने वालों के यहां छापे नहीं पडेंगे तब तक सही मायने में भ्रष्टाचार उजागर नहीं होगा। उन्होने कहा कि व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता है। उल्लेखनीय है कि वर्ष २००३ में श्री थेटे को लोकायुक्त पुलिस ने आईटीआई भोपाल के प्राचार्य से रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। इस कार्रवाई के खिलाफ श्री थेटे ने दस साल तक उच्चतम न्यायालय में कानूनी लडाई लडी और आखिरकार जीत कर पुन: नौकरी पर बहाल हुए। लोकायुक्त कार्रवाई होने के बाद से ही वे लोकायुक्त की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगाते रहे है।