रतलाम:आयुष्मान योजना के तहत कैशलेस ईलाज देने वाला जीडी हॉस्पिटल जिले का पहला अस्पताल बना
-गरीब और मध्यमवर्गियों के ईलाज के लिए जिले को मिली बड़ी सौगात
-घुटना-कूल्हा बदलने जैसे जटिल ऑपरेशन अब हो सकेंगे निशुल्क
रतलाम,08 जून (इ खबरटुडे)। जिले में अब तक कई सौगात देने वाले जीडी अस्पताल ने एक और कीर्तिमान हासिल कर लिया है। जीडी जिले का पहला अस्पताल बन गया है जिसे आयुष्मान कार्ड से ईलाज हो सकेगा। अब जिन मरीजों के पास आयुष्मान कार्ड हैं उन्हें छोटे से छोटे ईलाज से लेकर घुटना, कूल्हा बदलने तक के जटिल ऑपरेशन भी निशुल्क हो सकेंगे।
खास बात यह है कि अस्सी फीट रोड स्थित जीडी अस्पताल में न केवल हड्डियों से संबंधित बल्कि बच्चों का ईलाज, सामान्य ईलाज, क्रिटिकल केयर, दांतों की सर्जरी, पॉलीट्रामा, जलने, प्लास्टिक सर्जरी, हड्डियों का ईलाज एवं सर्जरी, महिला संबंधित रोगों का ईलाज और ऑपरेशन भी यहां करवाने पर आयुष्मान कार्ड की सुविधा के अन्तर्गत लाभ मिलेगा।
अस्पताल संचालक और हड्डी रोग के विशेषज्ञ डॉ. लेखराज पाटीदार ने बताया कि अब तक अस्पताल में ऐसे कई मरीज आते थे जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होती है। लेकिन परिजनों या स्वयं के बीमार या एक्सीडेंट होने पर अच्छे से अच्छा ईलाज चाहते हैं, ताकि जान और शरीर के अंग बचाए जा सके।
कई केस में अस्पताल चाह कर भी दवाईयों, उपकरणों, सेवा आदि के कारण ऐसे मरीजों की बहुत अधिक मदद नहीं कर पाता है और इन्हें वडोदरा, अहमदाबाद आदि जाकर महीनों चक्कर खाने पड़ते हैं। मरीजों की समस्या को देखते हुए आयुष्मान कार्ड से ईलाज की सुविधा देने के लिए आवेदन किया जिसके बाद लगातार प्रयास में लगे रहे। आखिरकार पूरी टीम, अधिकारियों और चिकित्सकों के प्रयासों से भारत सरकारी की टीम ने अस्पताल की ईलाज व्यवस्था, भवन में साफ-सफाई आदि देखकर संतुष्ट होते हुए अनुमति दी है।
कौन ले सकता है आयुष्मान योजना का लाभ
-योजना का लाभ लेने के लिए सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना के आंकड़ों का इस्तेमाल हुआ है। लाभ लेने के लिए परिवार के आकार या उम्र की कोई सीमा तय नहीं की गई है। योजना में प्रति परिवार हर साल 5 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा मिल रहा है। पुरानी बीमारियों को भी कवर की जाती हैं।
किसी बीमारी की स्थिति में अस्पताल में एडमिट होने से पहले और बाद के खर्च भी कवर किये जा रहे हैं। किसी बीमारी की स्थिति में सभी मेडिकल जांच/ऑपरेशन/इलाज आदि कवर होते हैं। योजना पर आने वाली लागत राज्य और केंद्र सरकार आपस में बांटे रही हैं।