युवा और मानसिक स्वास्थ्य
-डॉ.डीएन पचौरी
पिछली जनगणना के अनुसार भारत में सबसे अधिक संख्या युवाओं की है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1999 में युवाओं के बारे में जागरुकता बढाने के लिए 12 अगस्त को युवा दिवस के रुप में मनाने का निश्चय किया था। अत: प्रतिवर्ष 12 अगस्त को अन्तर्राष्ट्रिय युवा दिवस मनाया जाता है। इसके लिए एक विषय वस्तु या थीम का चयन किया जाता है। जैसे 2013 में युवा दिवस की थीम थी,युवा पर्यटन और विकास। इस वर्ष 2014 में युवा दिवस की थीम है युवा और मानसिक स्वास्थ्य।
विकासशील देश या विकसित,दोनों में ही दो प्रकार के युवा हैं। एक वो जो भौतिक सुख सुविधाओं से संतृप्त हो चुके है। ये संपंन्न परिवारों से आते है। ये इस अवसाद से घिरे है कि अब आगे क्या? क्योकि जीवन में जो कुछ पाना था वह सबकुछ पा लिया है। दूसरे वे हैं,जो अतृप्त हैं और धनाभाव के कारण अवसाद में है। अत: युवाओं के बारे में गहन चिन्तन की आवश्यकता है। युवाओं को ये बताना पडेगा कि यदि भविष्य में कुछ प्राप्त करना है,प्रगति करना है,सुख और आनन्द की जिन्दगी जीना है,तो कोई लक्ष्य निर्धारित करें और दिन प्रतिदिन लक्ष्य की ओर कदम बढाएं। साथ ही परिणामों पर नजर रखें। इसके लिए कर्मठ बनना आवश्यक है। किसी भी कार्य को टालने का बहाना ना बनाएं। परिस्थिति के आदर्श होने का इन्तजार मत करिए। ये कभी आदर्श नहीं होगी। आपकी सोच परिस्थितियों को अच्छा या बुरा बनाती है। याद रखें केवल विचारों से सफलता नहीं मिलती। इन विचारों को कार्य में परिणित करना पडता है। कभी दिवास्वप्र नहीं देखने चाहिए। अपनी मानसिक ऊ र्जा को निरर्थक सपने देखने में व्यय न करें। बिना परिश्रम के सफलता नहीं मिलती है। जीवन में लाटरी निकलने की उम्मीद न रखे। कर्म करने से आत्मविश्वास बढता है। सही मूड का इन्तजार मत कीजिए। कर्म करोगे तो मूड अपने आप ठीक हो जाएगा। अपने दिमाग को कर्मरुपी वाहन के गेयर में डाल दीजिए और सफलता की राह में आगे बढते जाइए।
जैसा सोचोगे वैसे ही बनोगे। विचार और पसन्द हर व्यक्ति के अलग अलग होते है। हर इन्सान की प्रकृति अलग अलग होती है। हरेक की अपनी सीमाएं होती है। ये बात स्वीकार करें। किसी आदमी से पूर्णता की आशा नहीं रखनी चाहिए। दुनिया में कोई व्यक्ति पूर्ण नहीं है। हरेक व्यक्ति को अलग सोचने,अलग बोलने,अलग बनने और अलग होनेका अधिकार है। दूसरे को अपने विचार व्यक्त करने,अपनी उपलब्धियों को बताने का मौका देना चाहिए। हर आदमी अपनी राय का बादशा है। आप उसका सुधारक बनने का कभी कष्ट ना करें और ना ही किसी दूसरेकी नकल करना चाहिए। अपने गुणों,अपनी बुध्दि,अपनी काबिलियत पर ध्यान केन्द्रित करें। जब आप कर्म करने के लिए कमर कस लेते है तो दिमाग उसे पूर्ण करने के तरीके ढूंढ लेता है। मानकर चलिए कि ये काम किया जा सकता है। किन्तु अपनी क्षमता पर भी नजर रखें।
मै यह नहीं कर सकता,जैसे नकारात्मक विचारों को मन से निकाल फेंके। नए विचारों को स्वीकार कीजिए। नई शैली अपनाईए। प्रयोगशील बनिए और अपने हर काम में प्रगतिशील रहिए। सफल व्यक्ति के विचारों से प्रेरणा ग्रहण करें। अपनी दृष्टि को विस्तार दीजिए। अपने गुणों और अपनी योग्यताओं पर भरोसा रखें। मानकर चलिए कि आप अपने बारे में जितना सोचते है या खुद को जैसा समझते है,आप उससे कहीं बेहतर है। जीवन में सुखी,संपंन्न,समृध्द और स्वस्थ रहने का यह अचूक फार्मूला है। बोलते समय आशा,आनन्द,सुख,विजय के भाव व्यक्त करने वाले शब्दों का प्रयोग करें, नकि सदैव निराश रहें और ऐसे शबदिों का प्रयोग करें जिनसे निराशा दुख और पराजय के चित्र बनते हो।
जीवन में असफलता को एक प्रयोग के रुप में लीजिए। इससे कुछ सीखों,इसका विश्लेषण करो कि असफलता क्यो मिली और सोचो कि क्या अच्छा किया जा सकता था। जीवन में आगे बढने के लिए अपनी असफलता को प्रेरणा बनाए और अपनी असफलता का दोष दूसरो पर ना डालें। पीठ पीछे यदि कोई आपकी बुराई करता है तो उसका बुरा नहीं मानना चाहिए। ये आपके विकास और आपकी प्रगति का प्रमाण है। पीठ पीछे बुराई करने वाले मानसिक रुप से रुग्ण होते है और मानसिक बीमार कहे जाते है। उन पर ध्यान देकर अपनी महानता कम मत कीजिए और ऐसे लोगों के प्रति सहानुभूति रखिए। अन्त में युवाओं को यही परामर्श दिया जा सकता है कि अपना मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रखना है तो अच्छे विचार रखिए। जिस प्रकार अच्छा भोजन शरीर को शक्ति देता है,अच्छे विचार मस्तिष्क को शक्ति देते है। आप का विश्वास ही सबसे महत्वपूर्ण है।