December 26, 2024
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कैलाश मानसरोवर यात्रा पर गए अंतिम जत्थे ने मृतात्माओं की शांति के लिए किया यज्ञ

रतलाम,15 सितम्बर (इ खबरटुडे)। विदेश मंत्रालय द्वारा आयोजित की जाने वाली कैलाश मानसरोवर यात्रा के अंतिम अठारहवें जत्थे के यात्रियों ने यात्रादल प्रमुख उत्तराखण्ड आईजी संजय गुंजियाल के नेतृत्व में वर्ष 2013 की केदारनाथ त्रासदी के पांच हजार से अधिक मृतकों की तर्पण मानसरोवर के तट पर किया। मानसरोवर के तट पर यात्रियों ने केदारनाथ मृतकों की आत्माओं की शांति के लिए संपूर्ण वैदिक विधि विधान से यज्ञ भी किया। यज्ञ में विश्व शांति की प्रार्थना भी की गई।
हाल ही में कैलाश मानसरोवर की यात्रा कर लौटे मन्दसौर के पत्रकार आशुतोष नवाल ने एक विशेष चर्चा में बताया कि अठारहवें जत्थे के यात्रा प्रमुख उत्तराखण्ड के पुलिस महानिरीक्षक संजय गुंजियाल ने वर्ष 2013 में हुई केदारनाथ त्रासदी के दौरान राहत एवं बचाव कार्यों में प्रमुख भूमिका निभाई थी। वे आपदास्थल पर सबसे पहले पंहुचने वाले व्यक्ति थे। बचाव कार्यों के दौरान श्री गुंजियाल ने पांच हजार से अधिक मृत तीर्थयात्रियों का अंतिम संस्कार करवाया था। इन ज्ञात अज्ञात yagya yagya2मृतकों की आत्मा की शांति के लिए उन्होने उस समय भी हरिद्वार में जाकर अपनी ओर से विधि विधान से मृतकों का तर्पण किया था। हाल की कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान श्री गुंजियाल ने मानसरोवर के तट पर भी इन मृतात्माओं की शांति के लिए तर्पण की इच्छा जताई थी। अठाहरवें यात्रा दल में शामिल देशभर के सैंतीस तीर्थयात्रियों ने भी यात्रादल प्रमुख आईजी श्री गुंजियाल के इस संकल्प में सहभागी बनते हुए तर्पण करने का निश्चय किया था।
श्री नवाल ने बताया कि अठारहवा जत्था 1 सितम्बर को तिब्बत में स्थित मानसरोवर तट पर पंहुचा था। यात्रा दल में शामिल मैनपुरी (उप्र) के पं.आशुतोष मुकर्जी ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच केदारनाथ त्रासदी के मृतकों का सामूहिक तर्पण करवाया। मानसरोवर तट पर दो दिवसीय निवास के अंतिम दिन 2 सितम्बर को सभी यात्रियों ने विश्व शांति एवं केदारनाथ हादसे के मृतकों की आत्मा की शांति के लिए यज्ञ भी किया। इस यज्ञ में सभी तीर्थयात्रियों ने अपनी आहूतियां दी। यज्ञ के समय मानसरोवर तट पर मौजूद अनेक विदेशी पर्यटकों ने भी इस यज्ञ में सहभागिता की और यज्ञ का प्रसाद प्राप्त किया।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2013 में उत्तराखण्ड के गढवाल क्षेत्र में स्थित केदारनाथ में आई भीषण प्राकृतिक आपदा के चलते पांच हजार से अधिक तीर्थयात्रियों व अन्य लोगों की अकाल मृत्यु हो गई थी। आईजी श्रई गुंजियाल ने सबसे पहले आपदास्थल पर पंहुच कर राहत व बचाव कार्य प्रारंभ किए थे। उनके प्रयासों के चलते हजारों लोगों की जान बच पाई थी। इस त्रासदी के बाद उत्तराखण्ड में श्री गुंजियाल की पहल पर ही राज्य आपदा बचाव दल (स्टेट डिजास्टर रिलीफ फोर्स एसडीआरएफ) की स्थापना की गई थी। आज उत्तराखण्ड का एसडीआरएफ देश के प्रमुख आपदा प्रबन्धन समूहों में से एक है।
पत्रकार श्री नवाल ने बताया कि वे वर्ष 2016६ की कैलाश मानसरोवर यात्रा के अंतिम अठारहवें जत्थे में शामिल थे। इस जत्थे में प्राधिकृत अधिकारी आईजी श्री गुंजियाल के अतिरिक्त देश के विभिन्न प्रान्तों और कुछ विदेशों से कुल 37 यात्री शामिल हुए थे। इस जत्थे में मध्यप्रदेश के कुल चार यात्री थे,जबकि उत्तराखण्ड,राजस्थान,बिहार,तमिलनाडू,उडिसा ,दिल्ली,पं. बंगाल इत्यादि राज्यों के तीर्थयात्री शामिल हुए थे। अठारहवें जत्थे की यात्रा 19 अगस्त को नईदिल्ली से प्रारंभ हुई थी,जो 9 सितम्बर को नई दिल्ली पंहुचकर समाप्त हुई।

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