November 15, 2024

मरणोपरांत संत के आस्था अभियान को मिली “नारीशक्ति”

पुलिस और प्रशासन ने देखा तो बंद करवाए अवैध कत्ल खाने, मंच के कार्यकर्ताओं को पुलिस ने किया गिरफ्तार

उज्जैन,05 सितम्बर(ब्रजेश परमार/इ खबरटुडे)। वैकुंठवासी संत प्रतीतराम रामस्नेही के आस्था के अभियान को उनकी मृत्यु के सालों बाद नारी शक्ति का साथ मिला । आस्था के नियम पर आघात देखकर महिलाएं भी अपने साथ सब्बल लेकर आई थी।पवित्र नगरी की मांग को लेकर पहली बार महिलाओं ने शक्ति दिखाई स्वर्णिम भारत मंच के बैनर तले हुए कत्लखानो के विरोध प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिलाओं ने भाग लिया। जिसके कारण पुलिस को काफी मशक्कत करना पड़ी। मंच कई वर्षों से महाकाल मंदिर क्षेत्र से कत्लखाने, मांस की दुकानें हटाने के लिए मांग की जा रही है, परंतु प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं करता है।

जिसके विरोध में बुधवार को मंच की और से आयोजित विरोध प्रदर्शन में नारी शक्ति और कार्यकर्ता सब्बल लेकर कत्लखाने हटाने निकले । पुलिस ने बीच में ही रोकने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस नहीं रोक पायी।

संत प्रतीतराम रामस्नेही ने लगभग 30 वर्षों तक पवित्र नगरी के लिए आंदोलन किया, पर प्रशासन के कान पर जूं तक नहीं रेंगी । बुधवार को संत के इस आंदोलन को नारीशक्ति का साथ मिला और मजबूर होकर पुलिस प्रशासन को वो सब बंद करवाना पड़ा जो नियम विरूद्ध महाकाल क्षेत्र में सतत रूप से चल रहा था।
संत के पवित्र नगरी के मुद्दे पर पिछले 5 वर्षों से मंच आंदोलन कर रहा है, फिर भी कत्लखाने, मांस की दुकानें नहीं हट पाई। जबकि अतिक्रमण के नाम पर गरीबों को परेशान किया जा रहा है।

महिलाओं के हाथों में सब्बल देख महिला पुलिस को बुलाना पड़ा-
मंच की पूर्व घोषणानुसार 5 सितम्बर बुधवार को महिलाएं कत्लखाने हटाने निकली, फिर भी पुलिस ने तैयारी नहीं की। स्वर्णिम भारत मंच महिला इकाई अध्यक्ष अक्षता यादव ने आरोप लगाया कि महिला कार्यकर्ताओं को पुरुष पुलिसकर्मियों ने रोका। कार्यकर्ताओं के हाथों से जबरन सब्बल भी छीन ली, जबकी महिला पुलिस अधिकारी को मौजूद होना था। बाद में 3 महिला पुलिस कर्मियों को बुलाया गया।

हाथों में सब्बल लेकर कत्लखाने हटाने महिलाएं आई-
मंच महिला इकाई की रीता नरवरिया ने बताया कि हम महाकाल मंदिर दर्शन करने आते है तो हमें सबसे ज्यादा कत्लखानों को देखकर तकलीफ होती है। इसलिए महिलाओं को भी आंदोलन में शामिल होना पड़ा। करुणा शितोले, सलौनी जैन, माला कोडापे, नीलू चौहान, टीना गुजराती, अनुपमा श्रीवास्तव, कुसुम नेगोत्री, मोनिका प्रजापत, अंजू भार्गव शोभा सोलंकी, सुनीता यादव, किरण परिहार, नर्मदा मालवीय, रत्ना शर्मा, प्रेमलता यादव, शीतल मरमट, राखी श्रीवास, माला राठौर, ज्योति साँखला, रश्मि सक्सेना सहित कई महिलाएं आंदोलन में पहुंची थी।

आंदोलन के कारण मांस की दुकानें बन्द रही –
सुबह से ही पुलिस ने तोपखाने, बेगम बाग क्षेत्र में भारी पुलिस बल लगा दिया था। मांस की दुकानों व कत्लखानों के मालिकों को पुलिस ने 2 बजे तक कत्लखानें बन्द रखने की हिदायत दी थी। जिसके चलते दोपहर तक कत्लखाने, मांस की दुकानें नहीं खुली। बाद में दुकानें खोली गई।

अतिक्रमण को लेकर पुलिस से हुज्जत – मंच के कार्यकर्ताओं को थाने ले जाने पर एक बार फिर गरमा-गरमी हो गई। पुलिस के खिलाफ़ गुस्सा कार्यकर्ताओं का फुट पड़ा। स्वर्णिम भारत मंच युवा इकाई अध्यक्ष अभय नरवरिया ने आरोप लगाया कि पुलिस तोपखाने, बेगमबाग जूना सोमवारिया, छत्री चौक वाली पानी की टंकी के पास सब्जी मंडी क्षेत्र के दुकानदारों का अतिक्रमण नहीं हटाती है। उल्टे सीधे-साधे गरीब लोगों पर बर्बरता पूर्वक कार्रवाई करती है। पुलिस भेदभाव नीति बन्द करने की मांग रखी गई। थाने पर एएसपी अभिजीत रंजन ने प्रशासन तक बात रखने की बात करने का आश्वासन दिया तब जाकर नारेबाजी बन्द हुई।

पुलिस के एक वाहन में नहीं बैठ पाए हिरासत में लिए गए लोग –
कार्यकर्ता पुलिस बल को धकेल कर तोपखाने की तरफ उपकेश्वर चौराहा से कुछ ही दूरी तक पहुंच गए। जहां पुलिस ने बड़ी मशक्कत से रोक तो लिया पर हिरासत में लिए कार्यकर्ताओं को एक वाहन में नहीं ले जा सकी। जिससे अफरातफरी मंच गई। लोगों को महाकाल टीआई पैदल लेकर आए अभय नरवरिया, मनोज बैरागी, मौनू पाठक, अर्जुन सिंह भदौरिया, अमर यादव, पुष्पेद्र चित्तौड़ा, वीरेन्द्रसिंह ठाकुर, सोनू जायसवाल, रवि पांचाल, मोहित मालवीय, शुभम नरवरिया, अंकित जैन, राहुल मोदी, हितेश जैन, संदीप आंजना, राधेश्याम परमार, विजय शर्मा, शशांक सेन, मोहित गुप्ता, रोहित बोड़के, किशोर पाटीदार, ईश्वर आंजना, अतुल सक्सेना, तरुण चौराषिया, प्रफुल कुमार जाल, आलोकसिंह, अर्जुन शर्मा, सागर कुशवाह को हिरासत में लेकर पुलिस वैन में बैठा कर थाने पर छोड़ा।

दुकानें बन्द नहीं हुई तो फिर आंदोलन –
महाकाल थाने पर एडिशनल एसपी अभिजीत रंजन ने मंच के कार्यकर्ताओं से कहा कि हम शीघ्र कार्रवाई करेंगे तो कार्यकर्ता अड़ गए कि समय सीमा बताएं क्योंकि मंदिरों के आसपास के दुकानदारों को 24 घण्टे में ही हटा दिया था तो कत्लखाने वालों के लिए इतना क्यों सोच रहे हो। इस दौरान महाकाल मंदिर के हटाये गए दुकानदार भी आ गए थे। उन्होंने भी विरोध किया। मंच ने कहा कि कत्लखाने नहीं हटे तो 1 माह में फिर से आंदोलन करेंगे।

-मंच के कार्यकर्ताओं की महाकाल क्षेत्र में मांस की दुकानें बंद करने और उज्जैन को पवित्र नगरी घोषित किये जाने की मांग थी।इनका आंदोलन पिछले काफी समय से चल रहा है।महिला कार्यक

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