बैंक मैनेजर की तरह होती है कर्मसत्ता – मुनिराजश्री
रतलाम 26 अक्टूबर(इ खबरटुडे)।संसार में कर्मसत्ता का काम बैंक मैनेजर की तरह होता है । बैंक में हम जितना देते हैं, उतना ही बैलेंस बढ़ता है और जितना लेते हैं, उतना कट जाता है । कर्मों का हिसाब भी उसी तरह होता है । अच्छे कर्म सदैव काम आते हैं और बुरे कर्म नुकसान करते हैं । कर्म को दोष देने के बजाए इंसान के रुप में इंसानियत से रहे तो कर्मों का बंधन कम होता है । श्रमण बनकर नियमों से रहें तो भी कर्मों का बंधन नहीं होगा ।
यह बात मुनिराजश्री निपुणरत्न विजयजी म.सा. ने कही। जयन्तसेनधाम में लोकसन्त, आचार्यश्री जयन्तसेन सूरीश्वरजी म.सा. की निश्रा में धर्मसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने पाप श्रमण की व्याख्या की । मुनिराजश्री ने कहा कि सुन्दर श्रमण जीवन पाने के बाद पाप श्रमण नहीं करना चाहिए । भगवान ने जो किया वह हम नहीं कर सकते, मगर भगवान ने जो कहा है वह करना चाहिए । इसके लिए पुरुषार्थ करना पड़ेगा । जीवन में अच्छे कार्य कभी याद नहीं रखने चाहिए, बूरा काम सदैव याद रहना चाहिेए । सजा जब भी मिले तो उस बूरे कार्य का स्मरण कर लेना चाहिए ।
मुनिराजश्री ने उत्तराध्ययन सूर्त के 17 वें अध्ययन का श्रवण कराया । इस मौके पर थराद से आए पं. जीतू भाई का चातुर्मास आयोजक व राज्य योजना आयोग उपाध्यक्ष चेतन्य काश्यप परिवार तथा रतलाम श्रीसंघ की ओर से झमकलाल वोहरा, गेंदालाल सकलेचा व लोकेश ओस्तवाल ने बहुमान किया । दादा गुरुदेव की आरती का लाभ धरमचंद मेहता परिवार ने लिया ।
जीवदया के साथ मना अवतरण दिवस –
बुधवार को मुनिराजश्री चारिर्तरत्न विजयजी म.सा. का अवतरण दिवस जीवदया के साथ मनाया गया । चातुर्मास आयोजक व राज्य योजना आयोग उपाध्यक्ष चेतन्य काश्यप परिवार द्वारा इस मौके पर गौशाला में गौवंश को लाप्सी तथा वृद्धाश्रम व अन्नक्षेत्र में फल, बिस्किट वितरित किए गए । मुनिराज को दिनभर शुभकामनाएं मिलती रहीं । उन्होंने कहा जीवन क्षणभंगुर है । छोड़ी गई सांस कभी लौटकर वापस नहीं आती और हर क्षण आयुष से कम हो रहा है । लोग समझते हैं हम बड़े हो रहे हैं मगर वास्तव में वे छोटे हो रहे हैं । दिन-रात जितने बीत रहे हैं, उतनी आयु घट रही है, इसलिए प्रत्येक बीतने वाले क्षण को सार्थक कर लेना चाहिए।