January 23, 2025

बारिश की मार से सोयाबीन की आधी फसल हुई खराब

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रतलाम18 सितम्बर (इ खबरटुडे)। पहले अधिक वर्षा और फिर बारिश की लंबी खेंच ने जिले में सोयाबीन फसल के उत्पादन को बुरी तरह प्रभावित किया है। सोयाबीन का उत्पादन आधे से भी कम होने का अनुमान है। जब बारिश की जरूरत नहीं थी, तब खूब पानी बरसा और जब पानी की दरकार थी तब बारिश ही नहीं हुई। पहले अधिक बारिश ने किसानों की फसल खराब कर दी, बाद में बारिश नहीं होने से सोयाबीन सिकुड़ गई। किसानों का कहना है कि जहां 5 से 6 क्िवटल फसल होना थी, वहां 50 किलो से ढाई क्िवटल ही उत्पादन हुआ है। कई किसानों को तो भारी नुकसान हुआ है और लागत तक नहीं निकल पा रही है।

किसानों का कहना है कि मौसम की मार से इस बार 50 से 60 फीसद उत्पादन कम होने की आशंका है। समय पर बारिश होने से जून के दूसरे व तीसरे सप्ताह में अधिकांश किसानों ने बुआई कर दी थी। पिछले कुछ सालों से बारिश कम होने के चलते अधिकांश किसानों ने कम पानी में होने वाली सोयाबीन बोई थी, जो करीब 80 दिन में पक जाती है। वहीं 20 फीसद किसानों ने 90 से 95 दिन में पकने वाली फसल बोई थी। फसल खड़ी होने के बाद जब फूल आने का समय आया तो 3-4 दिन अधिक बारिश हुई। इससे कई किसानों की फसल चौपट होकर पानी में बह गई या गल गई। बाद में बची कसर बारिश की खेंच ने पूरी कर दी।

अब बारिश तो नुकसान

किसान इन दिनों भगवान से पानी नहीं बरसाने की प्रार्थना कर रहे हैं। अधिकांश किसानों को कहना है कि 15 दिन तक बारिश नहीं होना चाहिए। 80 फीसद खेतों में फसल कटाई का काम चल रहा है।

तेज वर्षा की चेतावनी सावधानी बरतें किसान

मौसम विभाग ने प्रदेश के पूर्वी व दक्षिणी भाग स्थित जिलों में अगले 72 घंटों में कहीं-कहीं तेज बारिश अथवा बहुत तेज बारिश होने की संभावना व्यक्त की गई है। जिले में सोयाबीन तथा दलहनी फसलों की कटाई की जा रही है। अतः फसल सुरक्षा के लिए किसान को निम्न उपाय किए जाना आवश्यक है। किसान कटाई के बाद फसलों को खेत में न छोड़े। तत्काल सुरक्षित तथा ऐसे स्थान पर रखे, जहां फसल वर्षा से भीगे नहीं। खलिहान में रखी फसल को भी तिरपाल से ढंक कर रखे।

लागत भी नहीं निकली

एक बीघा खेत में सोयाबीन के उत्पादन पर करीब छह हजार रुपए का खर्च हुआ है। 30 बीघा में सोयाबीन बोया था। फसल तैयार हो गई है। कटाई शुरू कर दी है। औसत एक से डेढ़ क्िवटल सोयाबीन का उत्पादन हुआ है। अधिकांश खेतों में यही स्थिति हैं। फसल बेचने पर पांच हजार भी नहीं आएंगे। इस से लागत नहीं निकल पा रही है।

 

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