November 16, 2024

बच्चों की तरह करे,परवरिश पेड़ो की भी….

-वैदेही कोठारी (स्वतंत्र पत्रकार एवं लेखिका)

आजकल हर रोज अखबार के दो-तीन पेज पौधा रोपण की खबरो से भरा हुआ होता हैं। हर प्रति वर्ष यही प्रक्रिया चलती रहती हंै। हर वर्ष से$कड़ो संस्थाएं पौधा रोपण करती हैं। बड़े-बड़े नेता, उच्च पदाधिकारी पौधा रोपड़ करते हुए, अखबारो व अन्य सोशल मीडिया पर बड़े-बड़े फोटो व खबरों में छाए रहते हैं। प्रत्येक वर्ष अधिकतर लोग पौधे लगाते है,इसी तरह सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष कई योजनाएं, पौधा रोपण व पर्यांवरण संरक्षण के लिए निकालती हंै,करोड़ो का फंड इन योजनाओं के अन्र्तंगत सरकार द्वारा आता है। लेकिन यह फंड कितना पौधो में उपयोग होता है। यह हम सभी बहुत अच्छी तरह से जानते है। पिछले वर्ष हमारी प्रदेश सरकार ने छ: करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया था। वह लक्ष्य भी हवा हवाई बन कर रह गया। हर वर्ष हजारों पौधे लगाए जाते है,इस मान से तो अभी तक मानव से ज्यादा पेड़ हो जाने चाहिए थे। लेकिन दुर्भाग्य पेड़ो की संख्या और अधिक कम होती जा रही हैं। क्या हमारा दायित्व मात्र पौधा लगाने से पूरा हो जाता है? यदि हम कोई बच्चा गोद लेते हैं, तो उसका लालन-पालन भी करते है। इसी तरह हमने जिस पौधे को लगाया है। उस पौधे को समय-समय पर खाद पानी देना,साथ ही पशुओ से सुरक्षा करना हमारा दायित्व बनता है। फोटो खिचाने तक पौधा रोपण करने से क्या फायदा,जब उस पौधे को बढना ही नही,पौधा लगाते हुए फोटो खिचाया। आप लोग गए एक घंटे बाद पौधा भी गायब,देखा तो पशु खा गए,क्यों इस तरह दिखावा करना?
हम लोग प्रकृति के साथ इतनी बरर्बता कर चुके हैं, की प्रकृति अब हमें उसका जवाब देने लगी है। हमारी ऋतुए अब असमान्य हो गई है। मानसून असमान्य हो गया है। इसके बावजूद भी हम प्रकृति के साथ इमानदारी से व्यवहार नही कर रहे हंै। अभी भी हम दिखावे में लगे हुए है। होड़ लगाए हुए हैं,कौन कितने पौधे लगाएगा, कितने लोग है, जो पौधा लगाने के बाद एक बार उस पौधे को देखने भी जाते है। क्यों इस तरह खुद का और सरकार का पैसा बर्बाद कर रहे हैं। प्रकृति को बढ़ाने और सहेज ने का कार्य हम इमानदारी से क्यों नही करते है?
प्रत्येक वर्ष आप सेकड़ो पौधे न लगाएं सिर्फ एक पौधा लगाएं व उसका अच्छे से ध्यान रखे जब तक की वह बड़ा न हो जाए। सभी के घरो में फल खाए जाते हंै,सभी उनकी गुठलियां सहेज कर रखे जब भी आप चार पहिया या दो पहिया वाहन से कही घूमने जाएं तो साथ ले जाएं। जंगल जहंा भी दिखे वहां कुछ कुछ दूरी पर बिखेर दे या छोटा सा गडडा खोद कर दबा दे।
कोई भी पौधा ऐसी जगह लगाए जहां वह पौधा बढ़ सके। उस पौधे के आसपास जाली लगाएं। जब तक वह छोटा हैं,उसको हर दूसरे दिन देखने जाएं। अभी बारिश का मौसम है, तो पौधे को पानी की दिक्कत नही पर जैसे ही गर्मी आई तो सबसे पहले छोटे पौधे ही सूखते है। गर्मी में खासकर ध्यान रखना आवश्यक होता है।
सरकारी और गैर सरकारी संस्थाएं जितने भी पौधे और बीज रोपण करे। उनका समय-समय पर निरीक्षण करते रहें। जिससे सभी पौधे का रखरखाव अच्छी तरह से हो सके। और सभी पौधे व उनकी संख्या में बढ़ोतरी हो सके।
हमें प्राकृतिक त्यौहार मनाने का हक तभी है, जब हम प्रकृति का संरक्षण करे। जिस प्रकार हम स्वयं की देखरेख करते है उसी तरह हमें प्रकृति की देखभाल की भी आवश्यकता है। प्रकृति सुरक्षित तो हम सुरक्षित।

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