पंचक्रोशी मार्ग पर पहुंचा जांच दल
4 वर्षों में नहीं हुई जांच के आकस्मिक काज पर उठे सवाल
उज्जैन 16 जनवरी (इ खबरटुडे)। पंचक्रोशी मार्ग के 91 किलोमीटर के निर्माण में पिछले 12 वर्षों में जो गड़बड़ हुई है उसकी जांच के लिए लोक निर्माण विभाग ने दल गठित किया था। लम्बे समय बाद यह दल गुरुवार को जांच के लिए मार्ग पर पहुंचा। दल ने क्या-क्या जांच की, इस संबंध में विभागीय स्तर पर कोई जानकारी नहीं दी गई है।
धार्मिक यात्रा पंचक्रोशी मार्ग पिछले 12 वर्षों में चौथी बार बनाने की तैयारी हो रही है। खास बात तो यह है कि हर बार इस मार्ग के निर्माण करने के साथ ही 5 वर्ष का मार्ग संधारण का अनुबंध भी ठेकेदार के साथ किया गया। इसके बावजूद 12 वर्ष में चौथी बार निर्माण की स्थिति बन पड़ी है। अब तक इस मार्ग पर करीब 200 करोड़ का खर्च आने की बात विभागीय सूत्र बता रहे है। खास बात तो यह है कि 31 जनवरी तक मार्ग ठेकेदार के संधारण में है, इसके बावजूद इसके टेण्डर किए जा चुके है और स्वीकृति के लिए वरिष्ठ कार्यालय को भोपाल प्रेषित किए गए है।
ये थे जांच दल में
लोक निर्माण विभाग मुख्य अभियंता कार्यालय में पदस्थ सहायक यंत्री प्रशांत भांड, अधीक्षण यंत्री कार्यालय में पदस्थ सहायक यंत्री श्री दोराहे, प्रयोगशाला में पदस्थ उपयंत्री एस.एच. पाल, घट्टिया और उज्जैन में पदस्थ उपयंत्री ए.के. दुबे।
बदल गई थी समिति
लोक निर्माण विभाग ने ही पंचक्रोशी मार्ग की जांच के लिए दो समिति बन चुकी है। पहली बार समिति में एसडीओ पी.के. झा, उपयंत्री आर.के. सविता, उपयंत्री शरद त्रिपाठी को रखा गया था। दूसरी बार की समिति में प्रशांत भांड, श्री दोराहे, एस.एच. पाल, ए.के. दुबे को रखा गया।
तीन बार बनने पर भी लेवल 9 इंच नहीं
विभागीय सूत्र बताते है कि पंचक्रोशी मार्ग का निर्माण वर्ष 2004 से 2011-12 के बीच तीन बार किया गया। 2004 में पहली बार निर्माण हुआ और पांच वर्ष के संधारण का अनुबंध भी। इसके बाद वर्ष 2009-10 में सड़क बनी और पांच वर्ष के संधारण का अनुबंध भी किया गया। प्रत्येक बार 3 इंच की डामर की लेयर इस पर बनना चाहिए थी। जबकि 91 किलोमीटर मार्ग में अधिकांश जगह वर्तमान सड़क मात्र 3 इंच के करीब ही मोटाई में है। आखिर 6 इंच का डामर कहां गायब हो गया। खास बात तो यह है कि वर्ष 2010 में भी न्यायालय ने इस मामले में जांच के आदेश दिए थे जिस पर अब तक कोई जांच नहीं हुई थी। आकस्मिक रुप से गुरुवार को जांच दल ने कार्यवाही की है। विभागीय सूत्र ये भी बता रह है कि जांच में सडक़ पर पहुंचे सदस्यों की कार्य योग्यता पर ही सवाल उठाए जा रहे है। सूत्रों का कहना है कि इनमें से एक भी सदस्य ने अपने सेवाकाल में 1 किलोमीटर की सड़क नहीं बनाई है। आखिर जांच कैसे होगी?
इनका कहना
गुरुवार को जांच दल जांच के लिए पहुंचा था। हमारी ओर से स्वीकृति के लिए टेण्डर वरिष्ठ कार्यालय भोपाल की ओर प्रेषित किए गए है। जांच हो रही है उसके बाद ही कुछ होगा। शेष मामले की मुझे जानकारी नहीं है।
– पी.जी. केलकर, कार्यपालन यंत्री सिंहस्थ संभाग लो.नि.वि. उज्जैन