December 26, 2024

नेहरू युवा केंद्र संगठन से ‘नेहरू’ की विदाई की तैयारी, हटेगा नाम

nehru

नई दिल्‍ली,06सितम्बर(इ खबर टुडे)। केंद्र सरकार अब एक और संगठन से नेहरू की छाप खत्‍म करने की तैयारी कर रही है. यानी कांग्रेस के साथ उसके नए टकराव की तैयारी हो रही है. मामला दरअसल नेहरू युवा केंद्र संगठन से जुड़ा है. केंद्र सरकार देश में युवाओं के व्यक्तित्व विकास के लिए काम करने वाली संस्था नेहरू युवा केंद्र संगठन से ‘नेहरू’ शब्द हटाना चाहती है.

खेल और युवा मामलों के मंत्रालय ने इसके लिए एक प्रस्ताव बनाया है. इस प्रस्ताव को केन्द्रीय कैबिनेट से मंजूरी का इंतजार है. नेहरू युवा केंद्र संगठन एक स्वायत्तशासी संस्था है. केन्द्र सरकार इस संस्था का नाम बदलकर नेशनल युवा केन्द्र संगठन करना चाहती है.

1972 में जब देश आजादी की 25 वर्षगांठ मना रहा था तो इस संस्था की शुरुआत की गई थी. इसका मकसद गांवों से ताल्लुक रखने वाले कम पढ़े लिखे युवाओं का व्यक्तित्व विकास था. पहले इस संस्था ने देश के 42 जिलों में अपना कामकाज शुरू किया, लेकिन 1986-87 में जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे तो इस संगठन का काम देश के 311 जिलों में चलने लगा. राजीव गांधी के काल में इस संस्था को एक सोसायटी के रुप में रजिस्टर्ड किया गया.

केन्द्र द्वारा तैयार किये गये प्रस्ताव में नेहरू शब्द को हटाने के कई तर्क दिये गये हैं. प्रस्ताव के मुताबिक ये संस्था अब राष्ट्रव्यापी बन गई है. देश के 623 जिलों में काम कर रही है. इसके अलावा इस संस्था के जरिये अब शहरी युवाओं को भी प्रशिक्षण मिल रहा है. इसके अलावा खेल मंत्रालय का कहना है कि इस योजना के तहत सूचनाओं के प्रसारण का भी काम किया जाता है. ये संगठन नरेन्द्र मोदी सरकार की योजनाओं जैसे स्वच्छ भारत, डिजिटल इंडिया, नमामि गंगे जैसी योजनाओं के बारे में देश भर में जागरुकता फैलाती है. लिहाजा अब इसका नाम बदलकर नेशनल युवा केन्द्र संगठन कर देना चाहिए.

प्रस्ताव में इस बात की भी चर्चा है कि संस्था का नाम बदल देने के बावजूद इसका संक्षिप्त नाम NYKS ही रहेगा. क्योंकि नये नाम में सिर्फ नेहरू की बजाय नेशनल शब्द जोड़ा जा रहा है. NYKS के बोर्ड ऑफ गवर्नस ने भी इस बात की पुष्टि की है कि बोर्ड में नाम बदलने पर औपचारिक रुप से चर्चा हुई है. लेकिन इसे अब तक स्वीकृति नहीं मिली है. सूत्रों के मुताबिक इस संस्था का नाम बदलने की चर्चा तब से ही होने लगी थी जब केन्द्र में बीजेपी सरकार सत्ता में आई. आरएसएस से संबंद्ध संस्था के कई वाइस प्रेसीडेंट ने इस संगठन का नाम बदलने की पैरवी की.

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