December 27, 2024

निगम चुनाव-शुरु हुआ शह और मात का खेल

himche

दोनो ही पार्टियों में असर दिखाएगी अन्तरकलह

रतलाम,12 नवंबर (इ खबरटुडे)। नगर निगम चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने का समय तो समाप्त हो चुका है,लेकिन दोनो ही पार्टियों के भीतर शह और मात का खेल चालू हो गया है। राजनीति की बिसात पर आखरी हार जीत तो 28  नवंबर को तय होगी,लेकिन इस वक्त नेताओं के बीच शह और मात का खेल बेहद दिलचस्प है। कांग्रेस में जहां संजय दवे ने टिकट के मोर्चे पर जीत हासिल कर ली है,वहीं भाजपा में दोनो गुट अपनी हार जीत का हिसाब लगा रहे है।
भाजपाई खेमे की राजनीति ज्यादा दिलचस्प मोड पर पहुंच चुकी है। केन्द्र से राज्यों तक लगातार जीत हासिल कर रही भाजपा में हर व्यक्ति को जीत आसान दिखाई दे रही है,इसलिए टिकट की मारामारी यहां काफी ज्यादा रही। टिकट वितरण के बहाने विरोधी खेमे को निपटाने के खेल में नगर विधायक चैतन्य काश्यप ने शुरुआती दौर में तो बढत हासिल कर ली थी,लेकिन महापौर के चयन में वित्त आयोग चैयरमेन हिम्मत कोठारी को बढत मिल गई।
पार्षदों के टिकट वितरण के लिए बनी संभागीय चयन समिति में शहर विधायक चैतन्य काश्यप को नामांकित किया गया था। इसका पूरा फायदा उन्होने हिम्मत कोठारी समर्थकों को निपटाने में उठाया। पार्षदों के चयन में निगम अध्यक्ष दिनेश पोरवाल और जल समिति चेयरमेन पवन सोमानी जैसे मजबूत पार्षदों के टिकट भी पूरी बेदर्दी से काट दिए गए। इसका अन्दाजा कोठारी को भी था। इसलिए उन्होने महापौर चयन पर अपना दांव लगाया। कोठारी ने महापौर पद के लिए ऐसे नाम आगे बढाए,जो आसानी से चयनित हो सकते थे। यही हुआ। महापौर पद पर भाजपा ने डॉ.सुनीता यार्दे को प्रत्याशी घोषित कर दिया। विधायक काश्यप के समर्थक रही अनिता निर्मल कटारिया और मधु मनोहर पोरवाल को टिकट के मामले में मायूसी हाथ लगी।
पार्षदों के चयन में अपनाई गई कठोरता का असर मंगलवार रात को ही दिखाई देने लगा था। भाजपा कार्यकर्ताओं में जमकर आक्रोश पनपा। गुस्साए कार्यकर्ताओं की भीड विधायक निवास पर जो पुहंची और उनके खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई। कई वार्डों में भाजपा कार्यकर्ताओं ने भाजपा द्वारा घोषित प्रत्याशियों का विरोध किया पुतले तक जला दिए। प्रत्याशी चयन को लेकर पनपा यह आक्रोश पार्टी के नेता कितना दबा पाते है और चुनाव पर इसका कितना असर होगा यह तो आने वाले दिनों में नजर आएगा लेकिन शुरुआती दौर में इससे यह जरुर तय हो गया है कि शहर विधायक के खिलाफ नाराजगी बढने लगी है।
महापौर चयन के मामले में मात खा चुके शहर विधायक ने हांलाकि प्रत्याशी की घोषणा के बाद मामले को संभालने की कोशिश की। उन्होने फौरन ऐसे कदम उठाए जिससे यह प्रदर्शित किया जा सके कि प्रत्याशी चयन में उनका भी योगदान और सहमति थी। पार्टी निर्देशों के मुताबिक डॉ.सुनीता यार्दे के नामांकन के समय वित्त आयोग चेयरमेन हिम्मत कोठारी और शहर विधायक चैतन्य काश्यप दोनो ही मौजूद थे। हांलाकि दोनो नेताओं के बीच मौजूद खाई साफ दिखाई देती रही। अब यह देखना मजेदार होगा कि चुनाव अभियान में ये दोनो नेता किस भूमिका में रहेंगे?
दूसरी ओर कांग्रेस में महापौर पद के टिटकट की पहली लडाई पार्षद संजय दवे ने जीत ली। दवे ने लम्बे समय से कांग्रेस पर कब्जा जमाए बैठे पूर्व शहर कांग्रेस अध्यक्ष डॉ.राजेश शर्मा को टिकट के मामले में करारी मात दे दी। इस हार से आहत डॉ शर्मा,साईबाबा के दर्शन करने शिर्डी रवाना हो गए। कांग्रेस की स्थिति बेहद खराब है और कांग्रेस का मनोबल इतना गिरा हुआ है कि पार्षद पद के टिकट की खींचतान भी बेहद कम है। कांग्रेस में केवल अल्पसंख्यक क्षेत्रों के वार्डों में टिकट की खीचतान ज्यादा है और थोडी खींचतान अनारक्षित वार्डो में है। कई वार्ड तो ऐसे है,जहां कांग्रेस को प्रत्याशी ही नहीं मिल रहे थे। इतनी कमजोर स्थिति के बावजूद कांग्रेस की कलह कम होने का नाम नहीं ले रही है। महापौर प्रत्याशी के नामांकन में पूर्व सांसद कांतिलाल भूरिया के अलावा कई स्थापित और कद्दावर नेता नदारद रहे। कांग्रेस का यह दृश्य चुनाव में कांग्रेस के नतीजे भी दर्शाता है।

You may have missed

Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds