देश में सिर्फ 33 फीसदी लोग ही मुसलमानों को मानते हैं अपना सच्चा दोस्त : सर्वे रिपोर्ट
नयी दिल्ली,05अप्रैल (इ खबरटुडे)। देश के सामाजिक ताने-बाने में विषमता इस कदर बढ़ती जा रही है कि लोग अब दोस्ती करने में भी किसी पर भरोसा नहीं करते. आलम यह कि यदि दोस्ती का हाथ बढ़ाने वाला कोई अनजान किसी के सामने आता है, तो लोग सबसे पहले उसकी जाति जानने के प्रति ज्यादा उत्सुक दिखाई देते हैं. इसमें यदि कोई अल्पसंख्यक समुदाय का आदमी दोस्ती का हाथ बढ़ाता है, लोग उससे दूरी बनाने में ही ज्यादा विश्वास रखते हैं. सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डिवेलपिंग सोसाइटीज(CSDS) ने एक सर्वे रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया है कि अलग-अलग समुदायों के लोग दोस्ती के रिश्ते बनाते समय सबसे पहले अपने धार्मिक हित को देखते हैं.
सर्वे के मुताबिक, 91 फीसदी हिंदुओं के नजदीकी दोस्त उनके अपने समुदाय से होते हैं. हालांकि, इनमें से 33 फीसदी के नजदीकी दोस्त मुस्लिम समुदाय से भी हैं. वहीं, 74 फीसदी मुस्लिमों का हिंदुओं से भी नजदीकी रिश्ता है, जबकि 95 फीसदी के घनिष्ठ मित्र समान समुदाय से ही हैं. सीएसडीएस ने पाया कि हिंदुओं और मुस्लिमों में अधिकतर ने अपने ही समुदाय से नजदीकी दोस्त बनाये हैं. सीएसडीएस के अध्ययन में यह भी पाया गया है कि गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक और ओड़िशा में मुस्लिम समुदाय अलग-थलग रहना पसंद करता है.
अध्ययन का हिस्सा बने हिंदुओं में से 13 फीसदी मानते हैं कि मुस्लिम समुदाय के लोग बहुत देशभक्त होते हैं. वहीं, ईसाइयों के लिए यह आंकड़ा अलग है. 20 फीसदी हिंदू ईसाइयों को देशभक्त मानते हैं. सिखों के मामले में यह आंकड़ा 47 फीसदी का है. खुद मुस्लिमों की मानें, तो 77 फीसदी मुस्लिम अपने समुदाय के लोगों को बेहद देशभक्त मानते हैं. वहीं, 26 फीसदी ईसाई ऐसे हैं, जो मुस्लिमों में देशभक्ति की भावना देखते हैं. सिखों की बात करें, तो महज 66 फीसदी सिख को हिंदुओं में अपार देशभक्ति की भावना नजर आती है.
सर्वे के मुताबिक, एक तरफ जहां तीन-चौथाई मुस्लिमों के करीबी दोस्तों में हिंदू हैं. वहीं, हिंदुओं में यह आंकड़ा एक-तिहाई का है. यानी एक-तिहाई हिंदू ऐसे हैं, जिनके करीबी दोस्तों में मुस्लिम भी हैं. इनसे अलग ईसाई समुदाय के लोगों की दूसरे धर्मों के लोगों से दोस्ती करने में शायद दिलचस्पी नहीं है, लेकिन अगर तुलना की जाये, तो मुस्लिमों की तुलना में उनके हिंदुओं से ज्यादा अच्छे संबंध हैं.
सर्वे में गाय के सम्मान को लेकर सरकार के रुख, सार्वजनिक कार्यक्रमों में भारत माता की जय बोले जाने, बीफ खाने, राष्ट्रीय गान के वक्त खड़े होकर सम्मान दिये जाने आदि को लेकर किये गये सवालों पर भी अलग-अलग धर्मों के लोगों की राय जानी गयी. सर्वे के मुताबिक 72 फीसदी लोग इन मुद्दों के साथ मजबूती के साथ खड़े नजर आये, 17 फीसदी दबे स्वर में आजाद खयालों के साथ दिखे और 6 फीसदी पूरी तरह से आजाद ख्याली का समर्थन करते हैं.