जिला अस्पताल बद्अमली का गढ़ ,प्रशासन की नाक के नीचे सरकारी परिसर में निजी विज्ञापन
रतलाम,08अगस्त(इ खबरटुडे)।रतलाम के जिला अस्पताल वर्तमान में भगवान भरोसे ही चल रहा है। इस सरकारी परिसर में निजी विज्ञापन,वार्ड में भरपूर गंदगी ,टॉयलेट में बंद पड़े नल ,शौचालय के पानी से भोजन की थाली धोते मरीज देखे जा सकते है जो कि नियमो व मानवता के बिल्कुल विरुद्ध है बावजूद इस विषय में जिम्मेदारों को कोई जानकारी नहीं है। इस विज्ञापन को लगाये हुए एक वर्ष हो गया है,लेकिन इसके बावजूद जवाबदार अधिकारियो को इस विज्ञापन की कोई जानकारी तक नहीं है और ना ही अभी तक उचित कार्यवाही की गई है ।
पहली दुर्दशा : चलते फिरते कोई भी दीवारों पर पोत जाता है विज्ञापन
बुधवार सुबह इ खबर टुडे के कैमरे की नजऱ जिला अस्पताल परिसर की दुर्दशा पर पड़ी। सबसे पहले दुर्दशा में अवैध विज्ञापन देखे गये ,विज्ञापन को परिसर में पेन्ट किये हुए एक वर्ष से भी अधिक समय हो गया है। मुद्दे की बात तो यह है कि विज्ञापन डॉ बी.आर रत्नाकर को आंवटित किये गए सरकारी भवन की दिवार पेन्ट किया हुआ है और जब इ खबर टुडे ने डॉ बी.आर रत्नाकर से इस संबंध में चर्चा की तो उन्होंने अपने ही भवन की दीवार पर पेन्ट हुए इस विज्ञापन को गलत व अनुचित बताया और प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया। यह विज्ञापन घास बाजार क्षेत्र स्थित कपड़े की दुकान का है।
दूसरी दुर्दशा : डिस्चार्ज होने पर मरीजो से की जाती है रुपयों की मांग
जिला अस्पताल में भीतर की स्थित तो और गंभीर है यह अस्पताल कहने मात्र सरकारी है यहां नर्सिंग स्टाफ ,सफाई कर्मचारी द्वारा डिस्चार्ज होने पर मरीजो से रुपयों की मांग की जाती है। डिस्चार्ज होने पर टेबल पर बैठा नर्सिंग स्टाफ मरीज के परिजनों से बोलता है कि आप की स्वेछा से जो हो रख दो टेबल पर तब मरीज के परिजन अपनी स्वेछा अनुसार कुछ रुपए रखते है तभी उन्हें डिस्चार्ज कार्ड दिया जाता है,दूसरी ओर किसी मरीज का ऑपरेशन या प्रसव के बाद भी उन्हें रुपयों के लिए परेशान किया जाता है और ना देने की स्थिति में मरीज की तरफ ध्यान नहीं दिया जाता है।
तीसरी दुर्दशा: रात्रि में टॉयलेट के नल बंद पाएं गए
जिला अस्पताल के मरीजों के लिए रात्रि का समय निकालना किसी पहाड़ पर चढ़ने से कम नहीं है। रात्रि के समय अस्पताल के अधिकांश वार्डो के टायलेट के नल बंद कर दिए जाते है ,जिसके चलते मरीजों को काफी परेशानीयो का सामना करना पड़ता है। इ खबर टुडे ने इस विषय में वार्डो में भर्ती मरीजों से चर्चा की तो मरीजों ने बताया कि पेट दर्द,उल्टी,दस्त जैसी बीमारियों के चलते हमे बार-बार शौचालय जाना पड़ता है और शौचालय में पानी नहीं होने की वजह से हमारे परिजनों को पानी के लिए अस्पताल से बहार जाना पड़ता है। परिजनों ने कई बार नर्सिंग स्टाफ को इस विषय में सूचित किया लेकिन स्टाफ ये बोल कर टाल देता है की यह हमारा काम नहीं है।
चौथी दुर्दशा: मरीज भोजन की थाली शौचालय के पानी से धोने को मजबूर
चिकित्सा विभाग जहां मरीजों को स्वस्थ रहने के लिए स्वच्छ भोजन की सलाह देता है वही रतलाम जिला अस्पताल में मरीज भोजन की थाली शौचालय के पानी से धोने को मजबूर है। क्यों कि यहां बनाए गए वाशबेसिंग में नल तक नहीं है। परिसर में लगे वाशबेसिंग का शुभांरभ 22 मार्च 2002 में किया गया था लेकिन नल लगाने का मुर्हत 2018 तक नहीं आया है। जिसके चलते मरीजों को भोजन की झूठी थाली शौचालय में धोना पड़ती है।
पांचवी दुर्दशा : सभी वार्डो के बहार भारी गंदगी
मरीजों के लिए चिकित्सा विभाग का स्लोगन होता है की -आवश्यक है स्वच्छता, जिससे कायम रहे आरोग्यता लेकिन जिला अस्पताल वर्तमान स्थिति में स्वयं इस स्लोगन के विपरीत देखा जा रहा है। जिम्मेदारों द्वारा गंदगी फैलाने वाले लोगो पर कोई ठोस कार्यवाही नहीं करने व समय पर सफाई नही होने के चलते गंदगी प्रतिदिन बढ़ती जा जा रही है,लेकिन जिम्मेदार व बुद्धिमान अधिकारी आँखे बंद कर बैठे हुए है।
इ खबर टुडे ने सीएचएमओ डॉ आंनद चंदेलकर से अस्पताल में अवैध विज्ञापन व अव्यवस्था के संबंध में जानकारी ली तो उन्होंने बताया कि उन्हें फ़िलहाल इ खबर टुडे के माध्यम से यह जानकारी मिली है। मामला उजागर होने पर डॉ आंनद चंदेलकर ने दोषियों के ख़िलाफ़ कार्यवाही का आश्वासन दिया है।