December 25, 2024

जिन पर परमात्मा की कृपा वे ही पहुचते है कैलाश तक

samman1

कैलाश मानसरोवर की यात्रा पूर्ण करने पर पत्रकार कोठारी व नवाल का सम्मान

रतलाम ,25 सितम्बर(इ खबरटुडे)। कैलाश मानसरोवर हिंदु धर्म में ऐसा धाम है जहां साक्षात भगवान शिव विराजमान हैं। यहां भगवान के चरण स्थली तक ही पहुंचा जा सकता है। यह सुयोग भी सिर्फ उन्हीं को मिलता है जिन पर परमात्मा की विशेष अनुकंपा होती है। रावण जैसा विद्वान भी कैलाश के शिखर तक नहीं पहुंच सका। यह बात बड़ा रामद्वारा के महंत गोपालदास महाराज ने अस्सीफीट रोड स्थित होटल नारायणी पैलेस में कही। यहां हिंदु धर्म की सबसे पवित्र और दुर्गम तीर्थ यात्रा पूर्ण करने पर रतलाम के वरिष्ठ पत्रकार तुषार कोठारी और मंदसौर के पत्रकार अशुतोष नवाल का भारत भक्ति परिवार, बर्ड्स वाचिंग ग्रुप, रतलाम प्रेस क्लब, होटल नारायणी पैलेस और तुषार कोठारी मित्र मंडल द्वारा सम्मान किया गया।

आयोजन में बड़ा रामद्वारा के महंत गोपालदास महाराज के सान्निध्य में दोनों पत्रकारों का सभी संस्थाओं और दर्जनों साथियों ने पुष्प माला पहनाकर, तिलक लगाकर, नारियल भेंट कर व शॉल और साफा बांधकर सम्मानित किया। आयोजन में मुख्य अतिथि मप्र जनअभियान परिषद के उपाध्यक्ष प्रदीप पाण्डे रहे। विशेष अतिथि भाजपा के संभागीय संगठन मंत्री राकेश डागोर थे।
तीर्थ यात्री के पैर स्पर्श करने से भी मिलता है पुण्य
मप्र जनअभियान परिषद के उपाध्यक्ष प्रदीप पाण्डे ने कोई भी व्यक्ति जब किसी तीर्थ यात्रा से वापस आता है तो उसके पैर छूने चाहिए। इसलिए क्योंकि उसके साथ वहां की तपस्या, वहां की शांति, वहां का विश्वास, धैर्य और मिट्टी भी चली आती है। तीर्थ यात्रियों का सम्मान हमारी पंरपरा है। उनका सम्मान करने से हमें भी प्रेरणा मिलती है। उन्होंने मंच से पंडित दीनदयाल उपाध्याय को भी याद किया। विशेष अतिथि श्री डागौर ने कहा कि श्री कोठारी और नवाल ने इतनी मुश्किल यात्रा पूर्ण की, इसके लिए वे बधाई के पात्र हैं। कैलाश पर साक्षात शरीर रूप से तो भगवान नहीं दिख सकते हैं, लेकिन वहां की शांति, प्रकृति और अदभुत सौंदर्य से प्रभु की प्रतिकृति का अनुभव मिलता है।
चीन में होती है आधी यात्रा
कार्यक्रम के दौरान अपनी यात्रा के संस्मरण भी दोनों पत्रकारों ने सुनाएं। श्री नवाल ने बताया कि उन्होंने जब श्री कोठारी के साथ आवेदन किया तब विश्वास नहीं था कि यात्रा के लिए उनका भी नंबर आएगा। जब नंबर आया और वे दिल्ली और फिर पैदल यात्रा के निकले तो पहले दिन थक कर वापस आने का मन किया, लेकिन परमात्मा की प्रेरणा से चलते गए और जीवन की सबसे कठिन यात्रा पूर्ण करने पर जो आत्मतृप्ती मिली वह किसी भी सुख से नहीं मिल सकती। श्री कोठारी ने अनुभव साझा करते हुए बताया कि भारत के लोग बारह ज्योर्तिलिंगों को जानते हैं जो भगवान का हाल मुकाम (अस्थायी आवास) है, लेकिन स्थायी आवास कैलाश को नहीं जानते। उन्होंने बताया कि मानसरोवर यात्रा में आधी यात्रा चीन के क्षेत्र में आती है जिसके कारण इसका खर्च अधिक हैं, लेकिन यहां आईटीबीपी, चीनी सरकार और भारतीय एंजेसियां यात्रियों को ध्यान रखती हैं।
ऑक्सीजन की कमी से निकलने लगता है खून
श्री कोठारी ने बताया कि यात्रा में जब पर्वत के ऊपर चलते हैं तो 4 फीट चौड़ी सड़क के किनारे हजारों फीट गहरी खाई होती है। यहां बारिश, अंधेरे और बर्फीले तूफानों के बीच टोर्च की टिमटिमाती रोशनी में चलना पड़ता है। कभी ऊंचाई पर ऑक्सीजन की कमी से आंखों व नाक से खून बहने लगता है,मतिभ्रम हो जाता है। बावजूद इसके श्रद्धा, विश्वास से भक्त यात्रा पूरी करते हैं। उन्होंने बताया कि कैलाश न सिर्फ हिंदु धर्म का बल्कि जैन धर्म का भी पवित्र तीर्थ है, वहां भगवान ऋषभ देव ने भी तपस्या पूर्ण की थी। बौध धर्म का भी यह बड़ा तीर्थ है। भक्त यहां दंडवत प्रणाम करते हुए यात्रा पूर्ण करते हैं।
इन्होंने किया सम्मान
राजेश घोटीकर, उदित अग्रवाल, सुभाष नायडू, भरत गुप्ता, नरेंद्र शर्मा, राजेश पाण्डे, दशरथ पाटीदार, डॉ.लेखराज पाटीदार, हरीश शर्मा, कमलेश पाण्डे, हिंमाशु जोशी, अमित लाम्बा, रमेश तिवारी, वासिफ काजी, ईनामुल शेख, टीआई दिनेश वर्मा, नीरज सक्सेना, मनीष धभाई, सांवलिया पाटीदार, संतोष त्रिपाठी, सुनील पारिख आदि ने सम्मान किया। प्रेस क्लब ने भी शॉल श्रीफल भेंट कर श्री कोठारी व नवाल को सम्मानित किया। प्रेस क्लब अध्यक्ष सुरेंद्र जैन, वरिष्ठ पत्रकार शरद जोशी, रमेश मिश्रा, रमेश टांक, अजीत मेहता, सत्यनारायण सोलंकी, सुधीर जैन, दिनेश दवे, भेरूलाल टांक, नरेंद्र जोशी, सौरभ पाठक, किशोर जोशी दत्ता, दिव्यराज, अनवर कादरी, मुकेशपुरी गोस्वामी, सिकंदर पटेल, देवकीनंदन पंचोली, अदिति मिश्रा, हरिवंश शर्मा, अवधेश शर्मा, सौरभ कोठारी, रमेश सोनी, विजय मीणा, प्रदीप नागौरा, किशन साहू आदि ने स्वागत किया। इस दौरान रोचन सोनटके ने सरस्वती वंदना और वंदे मातरम का गान कर समां बांध दिया। प्रारंभ में सभी अतिथियों का स्वागत तिलक लगाकर पारंपरिक रूप से किया गया। प्रतिभा सोनटके, वैदेही कोठारी आदि मौजूद थे।

You may have missed

Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds