December 25, 2024

जल संरक्षण पर ध्यान जरूरी नहीं तो 2050 तक सभी नदियां सूख जाएंगी,मीडिया संवाद में निकलकर आए उपयोगी निष्कर्ष

media samvad

रतलाम 22 मार्च (ई खबर टुडे)। जल संरक्षण पर ध्यान नहीं दिया तो 2050 तक सभी नदियां सूख जाएगी, सोश्यल मीडिया के आने से पत्रकारिता में भारी परिवर्तन परिलक्षित हुआ है, अब मौजूदा मीडिया के समक्ष ज्यादा चुनौतियां है। जिला जनसम्पर्क कार्यालय द्वारा 22 मार्च को होटल पलाश में आयोजित मीडिया संवाद कार्यशाला में ये उपयोगी निष्कर्ष निकलकर सामने आए। कार्यशाला में  मुख्य वक्ता इंदौर के वरिष्ठ पत्रकार कीर्ति राणा, जल संरक्षण विशेषज्ञ डॉ. सुनील चतुर्वेदी तथा देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर के पत्रकारिता विभाग की व्याख्याता डॉ. सोनालीसिंह थी। कार्यशाला में रतलाम प्रेस क्लब अध्यक्ष सुरेन्द्र जैन, जनसम्पर्क अधिकारी शकील एहमद खान तथा पत्रकारगण उपस्थित थे ।
कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए डॉ. सुनील चतुर्वेदी ने जल संरक्षण व संवर्धन  की दिशा में विशेष कार्य करने पर जोर देते हुए कहा कि जल संकट का मुख्य कारण कुएं, बावड़ी व नदियों का सूखना है। यदि हमें अपने जीवन को सुखी एवं समृद्ध करना है तो हमें जल एवं जंगल को बचाना होगा। आपने कहा कि देश में जल स्त्रोतों  के चिन्हांकित 5027 ब्लॉक्स में से 1820 ब्लॉक्स में पानी की गिरावट खतरनाक स्थिति में पहुंच चुकी है। देश का 32 प्रतिशत जल गंभीर संकट वाले झोन में पहुंच चुका है।
डॉ. चतुर्वेदी ने कहा कि देश में सबसे पहला ट्यूबवेल खनन सन् 1935 में हुआ था। आज स्थिति यह है कि पूरे देश में करोड़ों ट्यूबवेल खनन किए जा चुके हैं, यह जल संकट का प्रमुख कारण है। आपने कहा कि मध्यप्रदेश में जल की स्थिति खतरनाक है। प्रदेश के 13 जिलों के भूमिगत जल में नाइट्रेट की मात्रा ज्यादा है, इसके अलावा 8 जिलों के पानी में फ्लोराईड की मात्रा अधिक है। रतलाम तथा नागदा के पानी में आर्सेनिक की मात्रा ज्यादा है जो कि कैंसर का कारण है। आपने कहा कि सम्पूर्ण भारत में 455 छोटी-बड़ी नदिया हैं जिनमें से आधी से ज्यादा मरणासन्न स्थिति में हैं, जिनमें पानी ही नहीं है। यदि जल संरक्षण की ओर ध्यान नहीं दिया गया तो सन् 2050 तक सभी नदियां सूख जाएंगी।
कीर्ति राणा ने अपने संबोधन में कहा कि बदलते युग में मीडिया भी बदला है, सोश्यल मीडिया जितना प्रभावी है, उतना ही खतरनाक भी है। इसका उपयोग संवेदनशीलता बरतते हुए तथा जनहित को ध्यान में रखते हुए ही किया जाना चाहिए। खबरों की सत्यता प्रमाणित हो, फेक न्यूज से बचे, आज की पत्रकरिता में कई ज्यादा चुनौतियां पत्रकारो के समक्ष मौजूद है। पत्रकार को खबर के अलावा मार्केटिंग, सर्कुलेशन जैसे कई सारे काम एकसाथ करने पड़ते हैं। इन सब चुनौतियों से निपटते हुए आमजन, गरीब एवं कमजोर वर्ग के हित में पत्रकारिता करना होगी। उन्होंने कहा कि मीडिया में मैनेजमेंट ज्यादा आवश्यक हो गया है। सोश्यल मीडिया के सक्रिय होने से पत्र्ाकारिता में परिवर्तन हुआ है, परन्तु सोश्यल मीडिया की स्थिति खतरनाक है, इसके दुरुपयोग ज्यादा हो रहे हैं। आपने अनेक प्रसंगों का उदाहरण देते हुए सोश्यल मीडिया के दायित्वों के बारे में प्रकाश डाला।
डॉ. सोनालीसिंह ने कहा कि पत्रकारिता देश की ताकत है, हमारे देश में सदैव से क्षेत्रीय  पत्रकारिता कई स्वरुपों में विद्यमान रही है। आज के परिप्रेक्ष्य मे मीडिया के समक्ष चुनौतियां ज्यादा हैं। व्यावहारिक स्वरुप में पत्राकारिता आज की जरुरत है। सजग मस्तिष्क के साथ काम करना जरुरी है। पत्रकारिता में विकास के लिए सकारात्मक सोच अपनाना होगी। आपने क्षेत्रीय  पत्रकारिता तथा आंचलिक पत्रकारिता के सम्बन्ध में भी कई तथ्यों से अवगत करवाया।
प्रारम्भ में अतिथियों ने माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण तथा दीप प्रज्जवलित कर कार्यशाला का शुभारंभ किया। अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट किए गए। संचालन श्री आशीष दशोत्तर ने किया तथा आभार प्रेस क्लब अध्यक्ष सुरेन्द्र जैन ने माना।

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