November 15, 2024

चुनावी चकल्लस-8/ जिस बन्टाधार को पूरे सूबे ने नकारा उसे रतलामी बाशिन्दों ने दिया सहारा

-तुषार कोठारी

रतलाम,21 नवंबर। रतलामी बाशिन्दों की माया अपरम्पार है। जिसे पूरे सूबे ने नकार दिया हो,उसे रतलामी सहारा देने को तैयार रहते है। सूबे में दस साल तक राज करने के बाद मिस्टर बन्टाधार की उपाधि हासिल करने वाले महान नेता से उन्ही की पार्टी ने बडी मुश्किल से पिण्ड छुडाया था। पहले वे पंजा पार्टी के महासचिव भी हुआ करते थे। लेकिन उनके एक एक बयान से फूल छाप को बडा फायदा होता था। उनकी ऐसी उपलब्धियों को देखते हुए आखिरकार पंजा पार्टी ने उन्हे पूरी तरह परिदृश्य से गायब कर दिया था। इधर फूल छाप वालों के पास मिस्टर बण्टाधार का जिक्र करने के अलावा प्रचार का कोई दूसरा साधन भी नहीं था। पंजा पार्टी को यह बात भी अच्छे से समझ में आ गई थी कि यदि मिस्टर बण्टाधार ही नहीं होंगे तो फूल छाप वाले टार्गेट किसे करेंगे। नतीजा यह हुआ कि पंजा पार्टी के तमाम पोस्टर बैनर विज्ञापनों में से उनका चेहरा गायब कर दिया गया। पूरे प्रदेश में उनकी कहीं कोई सभा भी नहीं रखी गई। वे खुद भी कहते हुए देखे गए कि उनके भाषणों से पंजा पार्टी के वोट कम हो जाते है,इसलिए वे भाषण नहीं देते। इतना सबकुछ हुआ,लेकिन रतलाम की पंजा पार्टी के लिए आज भी उनका वही महत्व है,जो पन्द्रह साल पहले हुआ करता था। पंजा पार्टी ने रतलाम को पहले से हाशिये पर डाल रखा था। इसलिए यहां किसी स्टार प्रचारक का कार्यक्रम भी नहीं दिया जा रहा था। इन हालातों को देखते हुए रतलाम के पंजा पार्टी नेताओं को अपने पुराने मसीहा की याद आई और अब गुरुवार को पंजा पार्टी के मिस्टर बण्टाधार रतलाम आ रहे है। पहले तो रतलाम में उनकी आमसभा करने की योजना बनाई गई थी,लेकिन फिर किसी ने राय दे दी कि इससे कहीं उपर वाले नाराज ना हो जाए। तो फिर,उनकी सभा का कार्यक्रम निरस्त करते हुए कार्यकर्ता सम्मेलन की योजना बनाई गई। पंजा पार्टी वाले बता रहे है कि कार्यकर्ता सम्मेलन वहीं रखा गया है,जहां से उस्ताद सारे राजनीतिक कार्यक्रमों की शुरुआत करते थे,यानी त्रिवेणी से। अब देखना यह है कि मिस्टर बण्टाधार के आने का पंजा पार्टी पर क्या असर पडता है…?

जारी है पार्टी फण्ड का इंतजार…..

आदिवासी अंचल सैलाना में पंजा पार्टी की ओर से गुड्डू भैया जोर आजमाईश कर रहे है। पिछली बार हार का झटका खाए हुए गुड्डू भैया इस बार कोई कोर कसर बाकी नहीं रखना चाहते है,इसलिए खुले हाथों से काम कर रहे है। कार्यकर्ताओं की मौज है। वाहनों की टंकिया और कार्यकर्ताओं की जेबें दोनो ही उपर तक भरे हुए है। लेकिन दूसरी तरह फूल छाप वाले मईडा जी की स्थिति बेहद कमजोर है। मईडा जी मेहनत में तो कमी नहीं कर रहे है,लेकिन खाली जेबों वाले कार्यकर्ताओं की सुस्ती दूर नहीं होती। उन्हे पार्टी फण्ड से उम्मीद थी,लेकिन फण्ड आते आते देर हो रही थी। फूलछाप वाले बताते है कि परेशानियों से परेशान मईडा ने आखिरकार स्टेशनरोड पर अर्जी लगाई। स्टेशनरोड से विटामिन मिलने पर उनके अभियान ने थोडा जोर भी पकडा। लेकिन अब भी पार्टी फण्ड़ का इंतजार जारी है।

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