December 26, 2024

चुनावी चकल्लस 4- पंजा पार्टी में पार्टी फण्ड पर रोक,फूल छाप में चाय नाश्ते पर चार लाख का खर्च

chunavi chakallas

रतलाम,17 नवंबर(इ खबर टुडे)। मतदान में अब कुल ग्यारह दिन बचे है। प्रचार के लिए तो केवल दस दिन बाकी है। फूल छाप वाले भैयाजी तो पिछले तीन चार सालों से लगातार इसी काम में जुटे हुए हैं। इसलिए उन्हे तो कोई समस्या नहीं है। वे सुबह साढे नौ पर निकलते है,डेढ बजे तक मतदाताओंं से मिलजुल कर वापस आ जाते है। थोडा आराम करते हैं,शाम को साढे चार फिर से मतदाताओं को प्रणाम करने के लिए निकल जाते है। बहुरानी की समस्या कुछ अलग है। बहुरानी को अलग दिखना है,इसलिए पैदल चलती है। सबसे मिलने की कोशिश भी करती है। लेकिन दिक्कत बजट को लेकर आ गई है। पंजा पार्टी ने नया फरमान जारी कर दिया है। जिस किसी प्रत्याशी का कोई रिश्तेदार विधायक या मंत्री रहा हो,उसे पार्टी फंड नहीं दिया जाएगा। बहुरानी के ससुर जी पूरे मालवा के उस्ताद रह चुके है। पूरे मालंवाचल में जब कोई नहीं जीता था,तब उस्ताद जीते थे। फिर कुछ समय धार्मिक मामलों के मंत्री भी रहे थे। उस्ताद का जलवा तो अलग ही था। लेकिन अब पंजा पार्टी के फरमान के कारण बहुरानी को पार्टी फण्ड मिलने में दिक्कत आ रही है। बहुरानी के प्रमोटर्स का गणित यह था कि पार्टी फण्ड से झांकी जमा लेंगे और कुछ कमाई भी कर लेंगे,लेकिन अगर पार्टी फण्ड ही नहीं मिलेगा,तो कहानी आगे कैसे बढेगी? अब दिक्कत ये है कि वास्तविक कामों के लिए भी फण्ड नहीं दिया जा रहा है। दूसरी तरफ भैयाजी है कि जिस को जो चाहिए मिल रहा है। पंजा पार्टी के भी कई सारे लोग उधर से ही मेहनताना हासिल कर रहे है। अगले दिनों का सीन क्या बनेगा समझदारों को तो समझ में आ रहा है,नासमझों को कौन समझाएगा….?

चाय नाश्ते के चार लाख

ग्रामीण की कहानी इससे बेहद अलग है। पंजा पार्टी प्रत्याशी सचमुच का नेता है। न जाने कितने लोगों की मदद करता रहा है,लेकिन चुनाव लडने के लिए केवल कार्यकर्ताओं की मदद करने से काम नहीं चलता। आर्थिक रुप से सक्षम होना भी जरुरी होता है। इस कमी की पूर्ति पार्टी फण्ड भेज कर करती है। जब फण्ड आएगा,तो समस्याएं हल हो जाएगी। कहानी तो दूसरी तरफ है। फूल छाप वाले मास्टर जी वैसे तो सक्षम है,लेकिन मतदाताओं के सामने सामान्य बन कर ही जाते है। फूल छाप पार्टी खुद भी सक्षम है। फूल छाप वालों ने इस तरह की सीटों पर फण्ड भेजने की व्यवस्था भी करके रखी है। हांलाकि रतलाम ग्रामीण में फूल छाप के प्रत्याशी मास्टर सा. खुद सक्षम है,उनके प्रमोटर मामा भांजे उनसे कई गुना ज्यादा सक्षम है। पार्टी फण्ड की कोई जरुरत भी नहीं है। लेकिन वे प्रदर्शन यहीं करते है कि प्रत्याशी कमजोर है और बिना पार्टी फण्ड के उसका उध्दार नहीं हो सकता। पार्टी भी इसी को सच भी मानती है। लेकिन कहानी कुछ और है। अन्दर की खबर रखने वालों का कहना है कि अभी चुनाव प्रचार चालू हुए एक हफ्ता भी नहीं हुआ है,लेकिन चुनाव के कर्ता धर्ता बने हुए मामा भांजे की जोडी ने चाय नाश्ते के खर्च पर चार लाख का खर्चा दिखाकर पार्टी से इस राशि की मांग कर ली है। लोग पूछ रहे है कि दस दिन में चाय नाश्ते पर चार लाख रु. कैसे खर्च होते है…?

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