December 25, 2024

कोरोना से बचाने बिना साधनों के मैदानी कार्य करने के बाद भी अधिकारी दे रहे हैं चेतावनी

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रतलाम,15 मई (इ खबरटुडे )।कोरोना जैसी महामारी के इस दौर में ग्रामीण क्षेत्रों के कर्मचारी जान जोखिम में डालकर बिना मास्क, ग्लोब्स और सेनेटाइजर के गांव में घर-घर जाकर आयुष औषधी संश्मनीवटी एवं त्रिकटु चूर्ण का वितरण कर रहे हैं।

किसका और रुमाल बांधकर गांव-गांव घूम रहे हैं। इस कार्य में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ही जिम्मेदारी का निर्वाह कर रहे हैं। बावजूद इसके जिला अधिकारी है कि उन्हें पुरस्कार की बजाए चेतावनी दे रही हैं। इसे लेकर कर्मचारी संगठन में व्यापक आक्रोश है।

ज्ञातव्य है कि। लॉक डाउन के बाद से ही जिले में आयुष विभाग के दल द्वारा पूरे जिले में सक्रियता से कार्य किया जा रहा है इस कार्य में चिकित्सकों के अलावा तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भी संसाधनों के अभाव में कार्य कर रहे हैं। हर दिन की सम्बंधित व्यक्तियों के परिवार के सभी सदस्यों की जानकारी रजिस्टर में नोट कर प्रतिदिन की जानकारी जिला कार्यालय को भी नियमित भेज रहे हैं।

अब सार्थक एप पर मांगी जा रही है जानकारी
आयुष विभाग की जिला अधिकारी द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत कर्मचारियों को सार्थक ऐप डाउनलोड करने के लिए चेतावनी पत्र जारी किया गया। पत्र के माध्यम से कर्मचारियों को फोन कर डराया धमकाया जा रहा है।

यह है वस्तुस्थिति
मुद्दे की बात तो यह है कि जिले में केवल 8 चिकित्सक हैं।जिले के लगभग सभी आयुष औषधालयों में मात्र एक-एक कर्मचारी ही पदस्थ हैं। जो कि तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हैं। तृतीय श्रेणी के कंपाउंडर हैं और चतुर्थ श्रेणी के दवासाज कार्यरत हैं। ऐसे में वस्तुस्थिति यह है कि कई कर्मचारियों को मोबाइल चलाना एवं उसमे जानकारी अपलोड कर देना नहीं आता है। इस कारण में कार्य करने के बावजूद मानसिक रूप से परेशान हो रहे है। ऐसे 23 लोगों को चेतावनी जिला आयुष अधिकारी द्वारा दी गई है।

जिलाधिकारी द्वारा दबाव बनाकर जिस तरह कर्मचारियों को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। इसके मद्देनजर मध्यप्रदेश राज्य कर्मचारी संघ का प्रतिनिधि मण्डल जिला अध्यक्ष प्रमोद पाठक, जिला कार्यकारी अध्यक्ष अशोक सिंह पवार, जिला सचिव सुरेश जोशी, जिला आयुष प्रकोष्ठ अध्यक्ष अशोक शर्मा के नेतृत्व में जिला आयुष अधिकारी डॉ. प्रमिला चौहान से मिलकर कर्मचारियों की समस्याओं एवं मांगों का पत्र जिला अधिकारी को भेंटकर निराकरण के लिए चर्चा की गई।

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