December 26, 2024

कोठारी व नवाल मानसरोवर यात्रा के लिए चयनित

tushar and aashuthos

विदेश मंत्रालय द्वारा आयोजित यात्रा के लिए पन्द्रह अगस्त को पंहुचेंगे दिल्ली

रतलाम,01अगस्त(इ खबरटुडे)।भारतीय विदेश मंत्रालय द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित की जाने वाली कैलाश मानसरोवर यात्रा में रतलाम के पत्रकार तुषार कोठारी और मन्दसौर के पत्रकार आशुतोष नवाल का चयन किया गया है। दोनो पत्रकार पच्चीस दिवसीय मानसरोवर यात्रा के अंतिम जत्थे में शामिल होंगे। रतलाम व मन्दसौर जिलों से मानसरोवर यात्रा के लिए सिर्फ वे ही चयनित हुए हैं।उल्लेखनीय है कि भगवान शिव का निवास कहे जाने वाले पवित्र कैलाश पर्वत की परिक्रमा के लिए भारतीय विदेश मंत्रालय द्वारा प्रतिवर्ष मानसरोवर यात्रा आयोजित की जाती है। इस यात्रा के लिए बडी संख्या में श्रध्दालुजन आवेदन करते है लेकिन कैलाश मानसरोवर वर्तमान में चीन अधिकृत तिब्बत की सीमा के भीतर है इसलिए इस यात्रा पर सीमित यात्रियों को ही अनुमति प्रदान की जाती है। कैलाश मानसरोवर की यात्रा अत्यन्त दुर्गम और जटिल होने के कारण इस यात्रा पर जाने वाले प्रत्येक व्यक्ति को कडे मेडीकल परिक्षणों से गुजरना होता है और इसमें योग्य पाए जाने पर ही यात्रा की अनुमति दी जाती है।
कैलाश मानसरोवर की यात्रा करीब पच्चीस दिन की बेहद कठिन और दुर्गम यात्रा है,जिसमें यात्रियों को आक्सिजन की बेहद कमी वाली उचांई साढे उन्नीस हजार फीट तक की ऊंचाईयों से गुजरना पडता है। इन बर्फीले पहाडों पर किसी भी क्षण बर्फीले तूफान आ जाते है। मानसरोवर यात्रा के लिए वर्तमान में दो मार्ग उपलब्ध है। इनमें से एक सिक्किम के रास्ते नाथू ला दर्रे से होकर गुजरता है। यह मार्ग हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी और चीनी प्रधानमंत्री के बीच हुए समझौते के बाद प्रारंभ हुआ है।
यह अपेक्षाकृत बेहद आसान मार्ग है,क्योकि इसमें यात्री वाहनों के द्वारा कैलाश पर्वत तक पंहुचते है। जबकि दूसरा मार्ग उत्तराखण्ड के लिपूलेख दर्रे से होकर धारचूला होते हुए कैलाश पर्वत तक पंहुचता है। यह मार्ग अत्यन्त दुर्गम है और इसमें यात्रियों को लगभग दो सौ किमीमीटर की पैदल चढाई करना होती है। इस यात्रा को भारताय पर्वतारोहण फाउण्डेशन द्वारा एक ट्रैकिंग अभियान के रुप में मान्यता दी गई है।
बर्ड्स वाचिंग ग्रुप के संस्थापक राजेश घोटीकर ने बताया कि ग्रुप से जुडे इ खबरटुडे के संपादक तुषार कोठारी व दैनिक गुरु एक्सप्रेस के संपादक आशुतोष नवाल ने मानसरोवर यात्रा के लिए इसी दुर्गम मार्ग को चुना है। लिपूलेख दर्रे से जाने वाली यात्रा में कुल अठारह जत्थे बनाए गए है। श्री कोठारी व श्री नवाल अंतिम जत्थे में रहेंगे।

श्री घोटीकर ने बताया कि श्री कोठारी व श्री नवाल इस यात्रा से पहले वे देश के अनेक हिस्सों की यात्राएं कर चुके है,तथा साथ ही यूथ होस्टल्स आफ इण्डिया द्वारा आयोजित किए जाने वाले अनेक ट्रैकिंग कार्यक्रमों में भाग ले चुके है। पर्वतीय प्रदेशों की यात्रा करना उनका शौक है। वे अब तक कश्मीर,उत्तरांचल,हिमाचल प्रदेश के साथ साथ अण्डमान निकोबार, सिक्किम और उत्तर पूर्व के असम अरुणाचल,मेघालय,नागालैण्ड़ और मणिपुर आदि क्षेत्रों का भ्रमण कर चुके है। देश के विभिन्न क्षेत्रों में की गई उनकी यात्राओं के यात्रावृत्तान्त इन्टरनेट पर उपलब्ध है।

मानसरोवर यात्रा पर भी वे जानकारीपरक यात्रा वृत्तान्त लिखने के साथ साथ पूरी यात्रा की विडीयोग्राफी करने की योजना बना रहे हैं,ताकि अधिक से अधिक लोग भगवान शिव के इस दुर्गम निवास के बारे में जानकारी हासिल कर सके। बर्ड्स वांचिग ग्रुप के सदस्यों ने श्री कोठारी व श्री नवाल को इस साहसिक यात्रा को सफलतापूर्वक संपन्न करने के लिए शुभकामनाएं दी हैं।

You may have missed

Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds