एकाग्रता एक साधना है, सफलता को कोई शार्टकट नहीं-डॉ. श्रीमती स्मिता शर्मा
रतलाम,26 मार्च (इ खबर टुडे)। एकाग्रता के बगैर जीवन के किसी भी कार्य में सफल होना संभव नहीं है। एकाग्रता एक साधना है। चाहे पढ़ाई हो या खेल सभी कार्यो में बगैर एकाग्रता के श्रेष्ठ परिणाम की कल्पना किसी भी शार्टकट से नही की जा सकती है।ये शिक्षा डॉ. श्रीमती स्मिता शर्मा ने बच्चों को बाल संस्कार केन्द्र पर दी। प्रति शनिवार तेजस्वी भारत की बेटी द्वारा संचालित इस प्रकल्प में बच्चों को विभिन्न विषयों पर मार्गदर्शन दिया जाता है। इस बार का विषय था – एकाग्रता। इसका जीवन के हर क्षेत्र में महत्त्व समझाने के लिए गुरू द्रोणाचार्य और एकलव्य के प्रसंग पर केन्द्रित प्रसंग को नाट्य मंचन के माध्यम से समझाया गया।
डॉ. श्रीमती शर्मा ने कहा कि किसी भी कार्य को मन लगाकर एकाग्रचित्त होकर करने का नाम ही एकाग्रता है। आमतौर पर होता यह है कि बच्चे किसी भी काम को करते वक़्त अपना ध्यान विषय से भटका देते है। जिससे उन्हें अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाती है। एकाग्र होने के लिए जो कार्य कर रहे है, उस कार्य को पूरी तत्परता से किया जाना चाहिए। उन्होने कहा की ये एकलव्य की एकाग्रता की साधना का ही परिणाम था कि वो धनुरविधा में पारंगत हो गया। लक्ष्य के प्रति सम्पूर्ण तत्परता के साथ किया गया परिश्रम सफलता के सौपन पर पहुंचता है।
इस अवसर पर बच्चों को डॉ. नीता शर्मा ने भी मार्गदर्शन दिया। कार्यक्रम में श्रीमती किरण शर्मा, श्रीमती सुदर्शी वर्मा, श्रीमती सुशीला बोथरा, डॉ. निशा खत्री, डॉ. मनीषा, डॉ. प्रियदर्शनी आदि की उपस्थिति रही। संचालन सविच श्रीमती नीता केलवा ने किया।