आजाक अधिकारी का तुगलकी फरमान,सूने क्वारन्टीन सेन्टर में चौबीसों घण्टे ड्यूटी दे रहे है शिक्षक
रतलाम,30 जून(इ खबरटुडे)। क्या कोरोना के डर से किसी सूनी इमारत में बिना किसी आवश्यकता के चौबीसों घण्टे कर्मचारियों को तैनात किया जा सकता है? लेकिन आदिम जाति कल्याण विभाग के सहायक आयुक्त राजेश सिंह परिहार ऐसे अधिकारी है,जिन्होने सूने पडे क्वारन्टीन सेन्टर पर भी अपने कर्मचारियों की चौबीसों घण्टे ड्यूटी लगा रखी है। कर्मचारियों का कहना है कि यह तुगलकी आदेश उन्होने कर्मचारियों के प्रति द्वैषता के चलते दिया है।
आजाक विभाग के शिक्षकों की ड्यटी सागोद रोड स्थित केन्द्रीय विद्यालय में लगाई गई है। केन्द्रीय विद्यालय को जिला प्रशासन द्वारा क्वारन्टीन सेन्टर बनाया गया है और इसकी जिम्मेदारी आजाक विभाग के सहायक आयुक्त को दी गई है। इस क्वारन्टीन सेेन्टर पर लम्बे समय से कोई मरीज भर्ती नहीं किया गया है। इसी को देखते हुए यहां तैनात पुलिस कर्मियों को भी यहां से हटा दिया गया है। लेकिन आजाक विभाग के कर्मचारियों की ड्यूटी चौबीसों घण्टे लगाई जा रही है।
कोरोना संकट को देखते हुए जिला प्रशासन ने कुल 14 स्थानों पर क्वारन्टीन सेन्टर बनाकर 553 बिस्तरों की व्यवस्था की है। कोरोना पाजिटिव मरीजों की सीमित संख्या के कारण उनके सम्पर्क में आने वाले व्यक्तियों की संख्या भी अत्यन्त सीमित है। जिला प्रशासन द्वारा सोमवार को जारी मेडीकल बुलेटिन के मुताबिक 29 जून तक क्वारन्टीन सेन्टरों में भर्ती किए गए लोगों की संख्या केवल 23 थी। इस लिहाज से कई क्वारन्टीन सेन्टर पूरी तरह सूने पडे है। केन्द्रीय विद्यालय भी इसी प्रकार का क्वारन्टीन सेन्टर है,जहां कोई भी भर्ती नहीं है।
आजाक विभाग के सहायक आयुक्त को सागोद रोड पर बनाए गए कुल चार क्वारन्टीन सेन्टर की जिम्मेदारी दी गई है। इनमें केन्द्रीय विद्यालय के अलावा समता शिक्षा निकेतन और दो शासकीय छात्रावास शामिल है। इनमें से केवल समता शिक्षा निकेतन में कुछ लोग क्वारन्टीन किए गए हैं। शेष तीनों सेन्टर्स पर लम्बे समय से कोई मरीज नहीं आया है।
विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, आजाक विभाग के सहायक आयुक्त ने कोरोना संकट की आड में अपने कर्मचारियों को प्रताडित करने का नया तरीका विकसित कर लिया है। उन्होने विभाग के कई शिक्षकों को अपने अधीन आने वाले सूने पडे तीनों क्वारन्टीन सेन्टरों पर ड्यूटी देने का आदेश जारी किया है। आदेश के मुताबिक प्रत्येक कर्मचारी को वहां छ:घण्टे ड्यूटी देना है। उन्होने ड्यूटी तो लगा दी,लेकिन कर्मचारियों को किसी प्रकार की मूलभूत सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई है। ड्यूटी पर तैनात कर्मचारियों के लिए पीने का पानी तक उपलब्ध नहीं कराया जाता। सेनेटाइजर इत्यादि की व्यवस्था की तो वे सोच भी नहीं सकते। विभाग के दो दर्जन से अधिक कर्मचारी सहायक आयुक्त के इस तुगलकी आदेश से परेशान है।
विभागीय सूत्रों का कहना है कि सूने क्वारन्टीन सेन्टर पर लगाई गई औचित्यहीन ड्यूटी करने वाले शिक्षकों को यह तक नहीं बताया जा रहा है कि उन्हे करना क्या है? दिन की ड्यूटी वाले कर्मचारी तो जैसे तैसे समय काट लेते है,लेकिन रात की ड्यूटी करने वालों के लिए तो रात काटना बेहद कठिन और खतरनाक है। कर्मचारियों का कहना है कि सहायक आयुक्त ने चुन चुन कर व्यक्तिगत द्वैषता निकालने के लिए शिक्षकों की ड्यूटी लगाई है। कर्मचारियों का कहना है कि वे पिछले एक महीने से लगातार बिना साप्ताहिक अवकाश के निरन्तर औचित्यहीन ड्यूटी कर रहे है। कर्मचारियों का कहना है कि किसी भी क्वारन्टीन सेन्टर में यदि मरीज लाए जाते है,तो उन्हे ड्यूटी देने में कोई दिक्कत नहीं है,लेकिन सूनी इमारतों मे बेवजह ड्यूटी करने का क्या औचित्य है?