December 25, 2024

अलगाववादियों पर नरम रुख अख्तियार कर उनके एहसान चुका रहीं महबूबा: पुलिस अधिकारी

kashmir

श्रीनगर,18 जून (इ खबरटुडे)। जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा अपने साथियों की हत्या से राज्य के पुलिस जवानों में रोष है। पुलिसकर्मी इसे अलगाववादियों के खिलाफ सरकार की नरम नीतियों को जिम्मेदार ठहरा रहे है। एक पुलिस अधिकारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि पीडीपी सरकार जमात-ए-इस्लामी के सदस्यों की 2014 के चुनाव में जीत के लिए एहसानमंद है। इसलिए सरकार अलगाववादियों को लेकर नरम है। यही अलगाववादी पुलिस के खिलाफ लोगों को भड़काते हैं।

गौरतलब है कि सेना की मोस्ट वॉन्टेड लिस्ट में शामिल रहे लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर जुनैद मट्टू के अंतिम संस्कार में शनिवार को सैकड़ों लोग पाकिस्तान का झंडा लेकर शामिल हुए। मट्टू अपने दो सहयोगियों के साथ कुलगाम जिले के अरवनी गांव में शुक्रवार को सुरक्षा बलों के साथ हुई मुठभेड़ में मारा गया था। उसे खुदवानी गांव में दफनाया गया। उसके जनाजे में शामिल कई हथियारबंद आतंकवादियों ने बंदूक की गोलियां दागीं। वहीं मट्टू के गांव से महज 22 किलोमीटर दूर पुलवामा जिले के अवंतीपुरा में एक 26 वर्षीय एसएचओ फिरोज डार का अंतिम संस्कार हो रहा था।

फिरोज उन 6 शहीद पुलिसकर्मियों में से एक हैं जो आतंकवादियों के हमले में शहीद हुए थे। अनंतनाग जिले के अचबल इलाके में शुक्रवार को लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों ने घात लगाकर पुलिस दल पर हमला कर दिया जिसमें 6 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे। पुलिस के मुताबिक लश्कर ने अपने कमांडर जुनैद मट्टू के मारे जाने का बदला लेने के लिए पुलिस बल पर हमला किया।

शहीद फिरोज की मां ने कहा, ‘फिरोज ने कोई अपराध नहीं किया था फिर भी उन्होंने उसे मार दिया।’ उन्होंने अपने बेटे की मौत के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया। उनके एक सहयोगी ने कहा, ‘फिरोज ने कुछ दिनों पहले अपने घरवालों को मिलने के लिए शोपियां बुलाया था, लेकिन उन्हें उसकी मौत की खबर मिली।’ पुलिसकर्मियों के शहीद होने पर एक ओर जहां शोक की लहर है तो वहीं दूसरी ओर गुस्सा भी है। यह गुस्सा घाटी में आतंकवाद से लड़ाई में ‘संयम से काम लेने’ के प्रशासनिक आदेश को लेकर है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा कि महबूबा सरकार ने पुलिस को निर्देश दिए हैं कि आतंकवादियों से मुकाबला करते समय अधिक संयम से काम लें। गुस्साए पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘पीडीपी सरकार जमात-ए-इस्लामी के सदस्यों की 2014 के चुनाव में जीत के लिए एहसानमंद है। इसलिए सरकार अलगाववादियों को लेकर नरम है। यही अलगाववादी पुलिस के खिलाफ लोगों को भड़काते हैं।’

शुक्रवार को हुए इस हमले में शहीद हुए एक अन्य पुलिसकर्मी सबजार अहमद का शोपियां के नौगांव में अंतिम संस्कार कर दिया गया। 25 वर्षीय अबजार की छह सप्ताह पहले ही शादी हुई थी। पुलिस प्रशासन ने पूरे राज्य के पुलिसकर्मियों की एक दिन की सैलरी इस साल जनवरी से लेकर अभी तक की आतंकवादी घटनाओं में शहीद हुए पुलिसकर्मियों के परिजनों को देने का फैसला लिया है।

बीते दो सालों में आतंकवादी घटनाओं में पुलिसकर्मियों के मारे जाने के मामले बढ़ गए हैं। बीते साल इस तरह की घटनाओं में 82 पुलिसकर्मी शहीद हुए थे, जबकि इस साल अभी तक 20 पुलिसकर्मी शहीद हो चुके हैं। 2012 में 15 पुलिसकर्मी शहीद हुए थे, वहीं 2013 में इनकी संख्या बढ़कर 53 हो गई। इसी तरह 2014 में आतंकवादी हमलों में शहीद पुलिसकर्मियों की संख्या 47 थी, हालांकि 2015 में यह संख्या घटकर 39 हो गई।

पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘बीते कुछ सालों की तुलना में पुलिसकर्मियों के शहीद होने के मामले बढ़े हैं। इस तरह के हमले हम कब तक बर्दास्त करते रहेंगे। कभी-कभी आतंकवादी हमारे परिजनों पर भी हमला कर देते हैं।’

डीजीपी शेष पॉल वैद हालांकि पुलिसकर्मियों पर हमलों को आतंकवादियों की हताशा बताते हैं। उन्होंने कहा, ‘पुलिस ऐंटी-टेरर ऑपरेशंस में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसीलिए उन्हें निशाना बनाया जा रहा है।’ वैद ने कहा, ‘यह लंबे समय तक नहीं चलेगा। हम स्थिति को जल्द काबू में लाने के लिए सभी उपयुक्त कदम उठा रहे हैं।’

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