अमित शाह के सामाजिक समरसता स्नान पर अब किसान संघ की आपत्ति
किसान संघ उपाध्यक्ष श्री केलकर ने कहा विभेद बढ़ाएगा यह कार्यक्रम
उज्जैन,८ मई (इ खबरटुडे)। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के सामाजिक समरसता स्नान पर शंकराचार्य स्वरूपनंद सरस्वती के बाद आरएसएस से जुड़े भारतीय किसान संघ ने भी आपत्ति जताई है. किसान संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभाकर केलकर् ने यहा कहा की सामाजिक समरसता स्नान के कारण सामाजिक विभेद बढ़ेगा.
श्री केलकर उज्जैन मे भाकिस द्वारा आयोजित किसान सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. भाजपा अध्यक्ष का नाम लिए बगैर उन्होने कहा कि समरसता स्नान की घोषणा से ऐसा लगता है जेसे इससे पहले सिंहस्थ मे दलित वर्ग के साथ भेदभाव किया जा रहा था. जबकि वास्तविकता यह है कि आज तक किसी अन्न क्षेत्र या स्नान मे किसी की भी जाति नही पूछी जाती और बिना किसी भेदभाव के सभी कार्यक्रम हो रहे है. श्री केलकर ने कहा कि सिंहस्थ एक धार्मिक और आध्यात्मिक उत्सव है. लेकिन धार्मिक आयोजन पर भी राजनीतिक कब्ज़े का प्रयास होने लगा है. यहा नेताओ के इतने फोटो लगाए गये है मानो यह कोई राजनीतिक कार्यक्रम हो. हर नेता अपना फोटो लगा कर लोगो को सिंहस्थ मे आमंत्रण दे रहा है. जबकि लोग यहा अपनी आस्था के कारण आ रहे है. यहा आयोजित होने वाले वैचारिक कुंभ पर टिप्पणी करते हुए उन्होने कहा कि सिंहस्थ मे विभिन्न धर्मगुरू आगामी बारह वर्षो के लिए धर्मादेश देते है.इस कुंभ के अलावा किसी अन्य आयोजन को कुंभ की उपमा देना भी उचित नही है.
श्री केलकर ने कहा की भारतीय किसान संघ,देश के किसानो को निराशा से उबारने के काम मे लगा है. आज किसानो मे निराशा का भाव है और वे खेती को छोड़ने के बारे मे सोचने लगे है. उन्होने कहा की नेताओ को अपने फोटो लगाने और अन्य कार्यक्रमो से फ़ुर्सत नही मिल रही है. किसानो के प्रति निरंतर उपेक्षा बरती जा रही है. प्याज उत्पादक किसानो की दुर्दशा पर ध्यान देने को कोई तैयार नही है. आमतौर पर देश मे करीब सवा सौ फसले होती है. जिनमे से मात्र केवल पच्चीस फसलो का समर्थन मूल्य घोषित किया जाता है और मात्र चार या पाँच फसलो की सरकारी खरीद होती है. जबकि किसान चाहते है कि सभी फसलो का समर्थन मुल्य तय किया जाए और प्रत्येक फसल की सरकारी खरीद की व्यवस्था की जाए. उन्होने किसानो से आव्हान किया की वे संघर्ष के लिए तैयार रहे. श्री केलकर ने किसानो से कहा कि बिना संघर्ष के उनकी समस्याए हल नही होगी.