कपास की फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए एक-तिहाई टिंडे बनने पर करें सिंचाई, इस महीने नमी की कमी न आने दे
कपास में इस माह नमी की कमी न आने दें।
खाद के रूप में 2.5% यूरिया व 0.5% जिंक सल्फेट 21% का घोल बनाकर स्प्रे करें।
बिजाई करते समय मिट्टी की जांच करवा कर सही मात्रा में डाले खाद
किसान मिट्टी की गुणवत्ता, उत्पादकता और जैव विविधता में सुधार कर सकते हैं।
मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए गोबर की खाद 4-6 टन प्रति एकड़ प्रयोग करें।
ढेंचा और मूंग जैसी दलहनी फसलों को खेत में हरी खाद के रूप में प्रयोग करें। हरी खाद को आमतौर पर फसल के वानस्पतिक वृद्धि काल में, यानि लगभग 45-60 दिनों के बाद मिट्टी में मिला दें।
मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार और जैविक कार्बन की मात्रा बढ़ाने के लिए केंचुआ खाद का प्रयोग करें।
मिट्टी की जांच करा मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के तहत जानकारी लेकर उर्वरक डालें।
इसके बाद 10 दिन के अंतराल पर दो बार पोटाशियम नाइट्रेट 1 प्रतिशत की दर से स्प्रे करें।
एक तिहाई टिंडे तैयार होने के बाद फसल की सिंचाई न करें।
टिंडागलन की रोकथाम के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 2 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़कें।
सुडियों की रोकथाम के लिए आवश्यकता हो तो एक कीटनाशक का प्रयोग करें।
मीलीबग के नियंत्रण के लिए पर पोषी पौधों को नष्ट करें।