Movie prime

New Delhi: मानसून ने दे दी दस्तक,कैसे पता चलता है की मानसून आएगी 

 

New Delhi: केरल में शनिवार यानी 24 मई को मानसून ने दस्तक दे दी। इस बार मानसून अपने तय वक्त से 8 दिन पहले पहुंच गया। अब जुलाई तक मानसून पूरे देश तक पहुंच जाएगा। आखिरी बार 2009 में ऐसा हुआ था जब मानसून इतनी जल्दी पहुंच गया था। अगर उत्तर भारत की बात करें तो यह अममून 20-25 जून तक पहुंचता है।लेकिन मानसून आता क्यों है और मानसून के जल्दी आ जाने के पीछे क्या वजह हैं? आइए इस खबर में जानते हैं इन सवालों के जवाब।

मानसून क्या है और कैसे आता है
मानसून शब्द की उत्पत्ति अरबी भाषा के शब्द 'मौसिम' से हुई है, जिसका अर्थ है- ऋतु या मौसम। पुर्तगाली में इसे मान्सैओ कहते हैं। मानसून को रिवर्सल ऑफ विंड कहा जा सकता है। मानसून एक खास तरह की जलवायु घटना है। इस ऐसे समझें कि एक दिशा से कम से कम 120 डिग्री या पूरी तरह से 180 डिग्री तक हवाओं का पलट जाना।  मानसून का जादू शुरू होता है जब दक्षिण-पश्चिमी हवाएं, जिन्हें मानसून हवाएं कहते हैं, हिंद महासागर से भारत की ओर बढ़ती हैं। ये हवाएं अपने साथ नमी भरी बादल लाती हैं, जो पहाड़ों और मैदानों पर बरसते हैं। ये हवाएं इतनी ताकतवर होती हैं कि ये पूरे उपमहाद्वीप (Indian Subcontinent) में बारिश का पैटर्न तय करती हैं। इसकी चाल और ताकत का असर इस बात पर पड़ता है कि समुद्र की सतह कितनी गर्म है और हवाओं का रुख कैसा है।

भारत के दो हिस्से में अलग तरीके से आता है मानसूनतेज हवाएं और बारिश वाले बादल जब बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में पहुंचते हैं, तो ये दो हिस्सों में बंट जाते हैं। इसका एक हिस्सा अरब सागर की ओर यानी गुजरात, मुंबई, राजस्थान से होते हुए आगे बढ़ता है। वहीं, इसका दूसरा हिस्सा बंगाल की खाड़ी से पश्चिम बंगाल, बिहार होते हुए हिमालय से टकराकर गंगा के तलहटी क्षेत्रों की ओर मुड़ जाता है। इस तरीके से मानसून भारत में दस्तक देता है।

कैसे पता करते हैं कब आने वाला है मानसून
मानसून का ऐलान करने से पहले मौसम विभाग कुछ तय मानकों को चेक करता है फिर मानसून के एंट्री की घोषणा कर देता है। अव्वल तो मौसम विभाग केरल और आसपास के इलाके में 14 तय मौसम केंद्रों में से कम से कम 60 फीसदी पर लगातार दो दिनों तक 2.5 मिलीमीटर या उससे ज्यादा बारिश हो। इसके साथ ही पश्चिमी हवा 15-20 नॉट की स्पीड से चलनी चाहिए। वहीं एक खास इलाके में आउटगोइंग लॉन्गवेव रेडिएशन (OLR) का स्तर 200 W/m² से कम होना चाहिए।